सिटी बसों का संचालन बंद होने से हाईकोर्ट नाराज, CJ बोले- 'बसों को चालू बताकर झूठा शपथपत्र क्यों दिया'

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर में सिटी बस सुविधा बंद करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने परिवहन सचिव से पूछा कि शपथपत्र में बसों को चालू बताकर झूठा शपथपत्र क्यों दिया।

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Pravesh Shukla
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बिलासपुरछत्तीसगढ़हाईकोर्ट ने बिलासपुर में सिटी बस सुविधा बंद करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिसबीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने परिवहन सचिव से पूछा कि शपथपत्र में बसों को चालू बताकर झूठा शपथपत्र क्यों दिया।

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परिवहन सचिव ने कहा था चालू हैं बसें

इस पर परिवहन सचिव ने बताया कि नगर निगम ने उन्हें बसें चालू होने की जानकारी दी थी। हाईकोर्ट ने कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर को बसों की वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उठाए गए कदम और सिटी बसों का रोडमैप प्रस्तुत करने कहा है। गुरुवार को इस केस की सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव एस प्रकाश हाईकोर्ट में उपस्थित हुए।

चीफ जस्टिस ने किया सवाल

इस दौरान चीफ जस्टिस ने उनसे सवाल-जवाब किया और कहा कि उनके शपथपत्र में क्यों कहा गया कि छह में से पांच सिटी बसें चालू हैं। जबकि, सच्चाई ये है कि बसें बंद है। इस पर उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह जानकारी उन्हें बिलासपुर के नगर निगम कमिश्नर ने 18 जुलाई को पत्र के जरिए दी थी। जिसके आधार पर उन्होंने शपथपत्र दिया है।

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ऑपरेटर्स को भुगतान नहीं होने के कारण बसें हुई बंद

परिवहन सचिव ने कोर्ट को बिलासपुर जिला शहरी जन सेवा समिति के सचिव (नगर निगम कमिश्नर) ने उन्हें जानकारी दी है कि बस ऑपरेटर्स को भुगतान नहीं हो सका है, जिसके चलते सिटी बस सेवा बंद हो गई है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी और इस संबंध में शपथपत्र भी प्रस्तुत किया जाएगा।

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हाईकोर्ट ने कलेक्टर और कमिश्नर से मांगा शपथपत्र

सुनवाई के दौरान नगर निगम के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि निगम जल्द आवश्यक कदम उठाकर सिटी बस सुविधा फिर से बहाल करेगी। जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि कलेक्टर (समिति के अध्यक्ष) और नगर निगम कमिश्नर (समिति के सचिव) अपना व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करें, जिसमें ये बताएं कि वर्तमान में सिटी बसों की क्या स्थिति है और आगे क्या कार्ययोजना बनाई गई है। इस मामले की सुनवाई अब 22 अगस्त को होगी।

खबर को पांच प्वॉइंट में समझें

  1. हाईकोर्ट की नाराजगी: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर में सिटी बस सेवा बंद होने पर कड़ी नाराजगी जताई और परिवहन सचिव से पूछा कि झूठा शपथपत्र क्यों प्रस्तुत किया गया जिसमें बसों को चालू बताया गया।

     2. गलत जानकारी का आधार: परिवहन सचिव ने बताया कि उन्हें बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर से 18 जुलाई        को पत्र मिला था जिसमें कहा गया था कि बसें चालू हैं। उसी जानकारी के आधार पर उन्होंने शपथपत्र दिया।

    3.  बसें बंद होने का कारण: कोर्ट को बताया गया कि सिटी बस सेवा इसलिए बंद हुई क्योंकि ऑपरेटर्स को भुगतान नहीं किया गया था, जिससे वे संचालन नहीं कर पाए।

   4. हाईकोर्ट का निर्देश: कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर को व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया, जिसमें सिटी बसों की वर्तमान स्थिति और भविष्य की कार्ययोजना स्पष्ट की जाए।

  5. अगली सुनवाई की तारीख: हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त 2025 को निर्धारित की है और तब तक सिटी बस सेवा को लेकर ठोस कदम उठाने की उम्मीद जताई है।

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22 अगस्त को अगली सुनवाई

सुनवाई के दौरान नगर निगम के वकील ने कोर्ट को भरोसा दिया कि नगर निगम जल्द आवश्यक कदम उठाकर सिटी बस सुविधा फिर से बहाल करेगी। जिस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि कलेक्टर (समिति के अध्यक्ष) और नगर निगम कमिश्नर (समिति के सचिव) अपना व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करें, जिसमें ये बताएं कि वर्तमान में सिटी बसों की क्या स्थिति है और आगे क्या कार्ययोजना बनाई गई है। इस मामले की सुनवाई अब 22 अगस्त को होगी।

FAQ

सवाल 1 : बिलासपुर में सिटी बस सेवा क्यों बंद हुई है?
जवाब: सिटी बस सेवा इसलिए बंद हुई क्योंकि नगर निगम द्वारा बस ऑपरेटर्स को भुगतान नहीं किया गया, जिसके चलते ऑपरेटर्स ने बसें चलाना बंद कर दिया।
सवाल 2 : हाईकोर्ट ने किस बात पर नाराजगी जाहिर की है?
जवाब: हाईकोर्ट ने नाराजगी इस बात पर जाहिर की कि परिवहन सचिव ने शपथपत्र में दावा किया कि सिटी बसें चालू हैं, जबकि वास्तव में वे बंद थीं। कोर्ट ने इसे झूठा शपथपत्र बताया।
सवाल 3 : परिवहन सचिव ने बसें चालू होने की जानकारी कहाँ से प्राप्त की थी?
जवाब: परिवहन सचिव ने बताया कि उन्हें यह जानकारी बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर द्वारा 18 जुलाई को पत्र के माध्यम से दी गई थी।

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