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रायपुर: छत्तीसगढ़ के चूहे भी कमाल के हैं। जब चूहे सरकारी हों तो कमाल और भी बढ़ जाता है। छत्तीसगढ़ के सरकारी चूहे 80 करोड़ का धान खा गए हैं। जब खरीदी गई धान और खरीदी केंद्रों में पाई गई धान का मिलान किया गया तो पता चला कि ढाई लाख क्विंटल से ज्यादा की धान लापता है। अब यह लापता धान, कहीं गायब हुई या फिर सरकारी चूहे खा गए, यही तलाशा जा रहा है।
यह हालत 10 जिलों की हैं। 10 जिलों में यह स्थिति देखकर अब बाकी के जिलों के खरीदी केंद्रों में भी सरकारी चूहों के बिल तलाशे जा रहे हैं। एफआईआर का सिलसिला शुरु हो गया है और अब वसूली की तैयारी भी की जा रही है।
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80 करोड़ का धान... उड़नछू :
छत्तीसगढ़ में 80 करोड़ का धान उड़नछू हो गया है। पहले धान खरीदी पर चिकल्लस हुई। इस चिकल्लस के साथ सरकार ने इस साल रिकॉर्ड तोड़ धान की खरीदी कर ली। खरीदी इतनी थी कि रखने के लिए सरकारी गोदामों की कमी पड़ गई। अब सरकार ने जब धान खरीदी का बही खाता मिलाने का काम शुरु किया तो अलग ही कहानी सामने आ गई। धान तो सरकारी चूहे खाने लगे हैं। सरकार अब यह पता लगा रही है कि धान चोरी हो गई, लापता हो गई या फिर सरकारी चूहे खा गए।
प्रदेश के 2739 उपार्जन केंद्रों में से 2025 उपार्जन केंद्रों का लेखा मिलान किया गया। इसमें 413 उपार्जन केंद्रों में 2 लाख 47 हजार 876 क्विंटल धान की कमी पाई गई। इस धान की कीमत 80 करोड़ रुपए है। अब 714 उपार्जन केंद्रों में मिलान किया जा रहा है। जो धान लापता हुई है वो 10 जिलों के खरीदी केंद्रों से हुई है। अब सरकार बाकी के जिलों के खरीदी केंद्रों पर भी बही खातों का मिलान करवा रही है। खरीदी केंद्रों में धान खरीदी का अलग आंकड़ा है और उपलब्ध धान का अलग आंकड़ा है।
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यहां से इतनी धान गायब और कार्यवाही :
महासमुंद - 13 हजार क्विंटल - समिति प्रबंधक और समिति प्रभारी पर एफआईआर
बलौदाबाजार - 700 क्विंटल - खरीदी प्रभारी और समिति प्रभारी पर एफआईआर
बिलासपुर - 10 हजार क्विंटल - खरीदी प्रभारी पर एफआईआर
कोरबा - 6 हजार क्विंटल - समिति प्रबंधक और खरीदी प्रभारी पर एफआईआर
रायगढ़ - 19 हजार क्विंटल - समिति प्रबंधक,फंड प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर पर एफआईआर
सारंगढ़ - 15 हजार क्विंटल - समिति प्रबंधक, खरीदी प्रभारी समेत अन्य कर्मचारियों पर एफआईआर
अब ऐसे होगी वसूली :
धान खरीदी में अनियमितता बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सरकार सख्त कार्यवाही करने जा रही है। सरकार ने पत्र जारी कर साफ कर दिया है कि जिन खरीदी केंद्रों में धान की कमी पाई गई है उस समिति के कर्मचारियों से वसूली की जाएगी। यह वसूली समिति को मिलने वाले कमीशन की राशि से की जाएगी। यदि धान शार्टेज कमीशन से ज्यादा है तो उन समितियों से संबंधित सहकारी बैंक से यह वसूली की जाएगी।
यदि इसके बाद भी शार्टेज की राशि ज्यादा रही तो इसको अगले साल कैरी फॉरवर्ड कर दिया जाएगा और उस साल समिति को मिलने वाले कमीशन से इस धान की कमी की राशि को समायोजित किया जाएगा। जिस समिति में लगातार दो साल तक धान की शार्टेज पाई गई तो तो उस समिति को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा।
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चूहे खा गए धान | CG News