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छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन 18 जुलाई 2025 को प्रश्नकाल में धान उठाव और समितियों में गड़बड़ियों का मुद्दा गूंजा। कांग्रेस विधायकों ने खाद्य मंत्री दयालदास बघेल को बिलासपुर जिले की दो सहकारी समितियों में धान की कमी और अनियमितताओं के लिए घेरा। कांग्रेस विधायक संगीता सिन्हा और अटल श्रीवास्तव ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए सरकार से जवाब तलब किया।
जवाब में, खाद्य मंत्री ने मल्हार और रिसदा सहकारी समितियों में धान की कमी की बात स्वीकार की और बताया कि जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है। इस मुद्दे ने सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस को जन्म दिया, जिसने राज्य में धान खरीदी और प्रबंधन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए।
कांग्रेस का हमला, धान उठाव में देरी और गड़बड़ियां
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक संगीता सिन्हा ने धान उठाव में देरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि खरीदे गए धान का समय पर उठाव क्यों नहीं हो रहा और इसका किसानों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। वहीं, बिलासपुर से कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव ने जिले की मल्हार और रिसदा सहकारी समितियों में धान की कमी का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि बिलासपुर में कुल 10,800 क्विंटल धान की कमी सामने आई है। श्रीवास्तव ने मंत्री से इस मामले में हुई कार्रवाई और जांच में सामने आए दोषियों की जानकारी मांगी।
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खाद्य मंत्री ने गड़बड़ी स्वीकारी, FIR दर्ज
खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने कांग्रेस के सवालों का जवाब देते हुए स्वीकार किया कि बिलासपुर जिले की मल्हार और रिसदा सहकारी समितियों में धान की कमी पाई गई है। उन्होंने बताया कि मल्हार समिति में 79,632.40 किलो धान खरीदा गया था, जिसमें से 9,122.40 किलो की कमी पाई गई। इसी तरह, रिसदा समिति में 40,879.20 किलो धान खरीदा गया, जिसमें 1,763.77 किलो की कमी दर्ज की गई। मंत्री ने कहा, "इन गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार समिति प्रबंधकों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, और मामले की गहन जांच चल रही है।
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धान खरीदी और उठाव की प्रक्रिया
छत्तीसगढ़ धान उत्पादन के लिए जाना जाता है, हर साल बड़ी मात्रा में धान की खरीदी सहकारी समितियों के माध्यम से करता है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से धान खरीदती है, जिसके बाद इसका उठाव और भंडारण किया जाता है।
हालांकि, मल्हार और रिसदा जैसी समितियों में धान की कमी और अनियमितताओं की शिकायतें समय-समय पर सामने आती रही हैं। इन गड़बड़ियों में धान की गलत रिकॉर्डिंग, चोरी, या खराब प्रबंधन जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं, जो किसानों और सरकारी खजाने दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।
कांग्रेस बोली, सरकार की नाकामी उजागर
कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे को लेकर साय सरकार पर तीखा हमला बोला। संगीता सिन्हा ने कहा कि धान उठाव में देरी से किसानों को भुगतान में विलंब हो रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। अटल श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि सहकारी समितियों में गड़बड़ियां सरकार की लचर निगरानी और भ्रष्टाचार को दर्शाती हैं। उन्होंने पूछा, "10,800 क्विंटल धान की कमी कोई छोटी बात नहीं है। सरकार इसकी जिम्मेदारी ले और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।"
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खाद्य मंत्री की सफाई और कार्रवाई
खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने बताया कि मल्हार और रिसदा समितियों में धान की कमी की शिकायत मिलने के बाद तत्काल कार्रवाई शुरू की गई। समिति प्रबंधकों और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, और जांच के आधार पर दोषियों को दंडित किया जाएगा। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि धान उठाव की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
सियासी नोकझोंक और किसानों का हित
धान उठाव और सहकारी समितियों में गड़बड़ियों का मुद्दा छत्तीसगढ़ में हमेशा से संवेदनशील रहा है, क्योंकि राज्य की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि और धान उत्पादन पर निर्भर है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाकर बीजेपी सरकार को किसान विरोधी होने का आरोप लगाया, जबकि सत्तापक्ष ने इसे पुरानी समस्याओं का हिस्सा बताकर अपनी कार्रवाइयों का बचाव किया।
जांच और भविष्य की दिशा
खाद्य मंत्री ने विधानसभा में आश्वासन दिया कि मल्हार और रिसदा समितियों में धान की कमी की जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ और सख्त कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, सरकार ने भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए सहकारी समितियों की निगरानी बढ़ाने और डिजिटल रिकॉर्डिंग सिस्टम को मजबूत करने की बात कही।
गड़बड़ियों का मुद्दा चर्चा का केंद्र रहा
विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन धान उठाव और सहकारी समितियों में गड़बड़ियों का मुद्दा चर्चा का केंद्र रहा। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर साय सरकार को घेरने की कोशिश की, जबकि खाद्य मंत्री ने गड़बड़ियों को स्वीकार करते हुए कार्रवाई का भरोसा दिया। यह मामला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी कठघरे में खड़ा करता है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह देखना होगा कि क्या दोषियों को सजा मिलती है और क्या धान खरीदी की प्रक्रिया में सुधार होता है।
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