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छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन 18 जुलाई 2025 को शून्यकाल में हसदेव अरण्य क्षेत्र में अडानी समूह द्वारा कथित अवैध पेड़ कटाई का मुद्दा गूंजा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य कांग्रेस विधायकों ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया और स्थगन प्रस्ताव के तहत तत्काल चर्चा की मांग की।
कांग्रेस ने तमनार क्षेत्र में कोयला खनन के नाम पर जंगल उजाड़ने, आदिवासियों के अधिकारों के हनन और पेसा कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया, जिससे विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
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हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई पर कांग्रेस का आक्रोश
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने हसदेव अरण्य में बड़े पैमाने पर हो रही पेड़ कटाई को पर्यावरण और आदिवासी समुदाय के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा, "कोयला खनन के नाम पर जंगल उजाड़ना और ग्राम सभा की स्वीकृति के बिना खनन शुरू करना गलत है। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों का भी हनन है।" महंत ने गारे-पालमा क्षेत्र में खनन निरस्त होने का हवाला देते हुए तमनार में हो रही मनमानी पर सवाल उठाया और स्थगन प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा की मांग की।
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कांग्रेस विधायकों का तीखा हमला
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने तमनार में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खनन कार्यों की बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि खनन के नाम पर मनमानी और अनैतिक गतिविधियां चल रही हैं। वहीं, विधायक विद्यावती सिदार ने कहा, "तमनार में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल खत्म हो रहे हैं। बीजेपी 'एक पेड़ माँ के नाम' का नारा देती है, लेकिन मेरे क्षेत्र में जंगल साफ किए जा रहे हैं। विरोध करने पर मुझे पुलिस ने बर्बर तरीके से हिरासत में लिया।"
लालजीत सिंह राठिया ने कहा कि उनकी विधानसभा में फर्जी प्रस्तावों के आधार पर पेड़ काटे जा रहे हैं। उन्होंने बीजेपी पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, "कांग्रेस सरकार ने जंगल बचाने का संकल्प लिया था, लेकिन बीजेपी जंगल साफ कर रही है।" द्वारिका यादव ने तमनार में एक उद्योगपति को लाभ पहुंचाने के लिए जंगल उजाड़ने का आरोप लगाया और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए।
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आदिवासियों के अधिकारों का हनन
कांग्रेस विधायक अनिला भेंड़िया ने आदिवासियों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हुए कहा, "जंगल के बहाने आदिवासियों को खत्म किया जा रहा है। मूलनिवासियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही।" संगीता सिन्हा ने भी आदिवासियों की अनदेखी और पर्यावरण विनाश पर चिंता जताई।
विक्रम उसेंडी ने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया, जबकि रामकुमार यादव ने बीजेपी के नारे "हमने बनाया, हमीं संवारेंगे" पर तंज कसते हुए कहा कि जंगल उजाड़कर सरकार किसे संवार रही है।देवेंद्र यादव ने पर्यावरण संकट और सर्व आदिवासी समाज के आक्रोश का जिक्र करते हुए कहा, "जल-जंगल की लड़ाई अब और तेज होगी। छत्तीसगढ़ का पर्यावरण खतरे में है।"
भूपेश बघेल का बीजेपी पर हमला
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हसदेव अरण्य में पेसा कानून, वन अधिकार कानून और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "तमनार में एक उद्योगपति की मनमानी चल रही है। स्थानीय निवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, और पूरा प्रशासन उस उद्योगपति के साथ खड़ा है।"
बघेल ने बीजेपी के "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान पर कटाक्ष करते हुए कहा, "एक पेड़ माँ के नाम और सारा जंगल बाप के नाम। तमनार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है।"बघेल ने विधानसभा में पारित संकल्प का उल्लंघन होने का दावा करते हुए इस मामले पर तत्काल चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा, "यह बहुत गंभीर मुद्दा है। सभी कार्यों को रोककर इस पर चर्चा होनी चाहिए।"
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सियासी तनाव और अडानी कनेक्शन
हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई का मुद्दा अडानी समूह से जुड़ा होने के कारण और भी चर्चा में है। कांग्रेस ने इसे एक बड़े उद्योगपति को लाभ पहुंचाने की साजिश बताया, जिसके खिलाफ स्थानीय आदिवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। NGT ने भी इस क्षेत्र में खनन और पेड़ कटाई पर आपत्ति जताई है, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सरकार इन नियमों की अनदेखी कर रही है।
स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग
कांग्रेस विधायकों ने एकजुट होकर स्थगन प्रस्ताव के तहत तमनार में पेड़ कटाई और खनन के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। डॉ. महंत ने कहा, "यह पर्यावरण और आदिवासी समुदाय के भविष्य का सवाल है। सरकार को जवाब देना होगा कि वह जंगल और आदिवासियों के हितों की रक्षा क्यों नहीं कर रही।" बघेल ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि यह केवल तमनार का नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों का मुद्दा है।
सत्तापक्ष पर दबाव
कांग्रेस के आक्रामक रुख ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है। विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति मिलने या न मिलने से सियासी माहौल और गर्म हो सकता है। स्थानीय आदिवासी समुदाय और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के विरोध के बीच यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई का मुद्दा छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के लिए एक बड़ा हथियार बन गया है। भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी सरकार को पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है। यह देखना बाकी है कि क्या विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा होगी और क्या सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी। इस बीच, तमनार में जंगल और आदिवासियों की लड़ाई ने राज्य की सियासत को और गर्मा दिया है।
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