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जबलपुर। कोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के दुरुपयोग को लेकर फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा है। दरअसल, इस मामले में पहले भी साल 2024 में तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की डिवीजनल बेंच ने आदेश जारी किए थे, लेकिन उनका पालन नहीं हुआ। अब एक नई याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने फिर से निर्देश दिए हैं।
सोशल मीडिया पर खुलेआम उल्लंघन
द सूत्र अपनी रिपोर्ट में पहले ही बता चुका है कि किस तरह हाईकोर्ट के पिछले आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग की वीडियो अपलोड की जा रही हैं और यहां तक कि कुछ चैनल व व्यक्ति इन वीडियो के जरिए पैसे भी कमा रहे हैं। बताया गया कि यह चैनल हाईकोर्ट के नाम पर कमाई कर रहे हैं और लाइव स्ट्रीमिंग नियम 2021 का खुला उल्लंघन हो रहा है।
2024 का आदेश और उसका उल्लंघन
याचिकाकर्ता अरिहंत तिवारी ने अदालत को याद दिलाया कि 4 नवंबर 2024 को डॉ. विजय बाजाज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में हाईकोर्ट ने पहले ही Meta, YouTube, X (पूर्व में ट्विटर) समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और आम जनता को स्पष्ट आदेश दिए थे कि वे किसी भी रूप में कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट, मॉर्फ या अवैध तरीके से इस्तेमाल न करें। इसके बावजूद आदेश को दरकिनार कर रील्स, मीम्स और क्लिप्स बनाकर धड़ल्ले से अपलोड किया जा रहा है।
अब आया नया आदेश
अब सितंबर 2025 को दिए गए ताजा आदेश में जबलपुर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि अब से सभी पीठों की क्रिमिनल मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग तुरंत रोकी जाए। हालांकि, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया कि Webex Link वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाए ताकि लोग चाहे तो सीधे कार्यवाही देख सकें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि किसी भी दर्शक को रिकॉर्डिंग की सुविधा न मिले। यह आदेश 15 सितंबर 2025 से लागू होगा।
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आदेश पर आदेश, लेकिन पालन कौन करेगा?
अब सवाल यह है कि जब 2024 का आदेश ही धूल खा रहा है और सोशल मीडिया पर खुलेआम उसका उल्लंघन हो रहा है, तो 2025 का आदेश कितना असरदार साबित होगा। क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट बनाने वाले लोग कोर्ट के आदेशों का सम्मान करेंगे या फिर यह मामला भी सिर्फ आदेश पर आदेश तक ही सीमित रह जाएगा?