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Photograph: (thesootr)
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि हाईकोर्ट ने गेमिंग कंपनी को फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। यह अधिनियम फैंटेसी स्पोर्ट्स सहित सभी रियल मनी ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाता है। इस मामले की सुनवाई मुख्य जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने की।
रीवा की ऑनलाइन गेमिंग कंपनी ने दायर की याचिका
यह याचिका क्लब रूम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट ने दायर की है। कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन और अधिवक्ता अमोल आप्टे पेश हुए। जैन ने कहा कि फैंटेसी स्पोर्ट्स को पहले ही कई अदालतों ने मान्यता दी है और इसे ऑनलाइन गेमिंग की अलग श्रेणी माना गया है।
ऐसे में सरकार को इसे पूरी तरह बैन करने के बजाय नियमों के तहत विनियमित करना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि आईटी नियम 2021 में "permissible ऑनलाइन गेम" की श्रेणी बनाई गई थी, जिसमें फैंटेसी स्पोर्ट्स शामिल थे। इसके बावजूद 2025 के नए कानून ने पूरी तरह प्रतिबंध लगाकर मनमाना रुख अपनाया है, जो संविधान के अनुसार खरा नहीं उतरता।
मामले को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की तैयारी में सरकार
भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। हाईकोर्ट ने केंद्र को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मेहता ने यह भी कहा कि देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती दी गई है, इसलिए केंद्र इन सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कराने की तैयारी कर रहा है।
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कई गेमिंग कंपनियां लगा रही है याचिकाएं
यह एक हफ्ते में तीसरा मामला है जब इस अधिनियम को कोर्ट में चुनौती मिली है। शनिवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में हेड डिजिटल कंपनी की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा गया था। मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में एक ऑनलाइन कैरम गेम प्लेटफॉर्म ने भी इसकी वैधता पर सवाल उठाया। अब जबलपुर हाईकोर्ट में क्लब रूम 11 की याचिका की सुनवाई के बाद तुषार मेहता के जवाब से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचना तय हो गया है।
मध्य प्रदेश के रीवा की है क्लब बूम 11 कंपनी
क्लब बूम 11 कंपनी, जो इस याचिका के पीछे है, उसके फाउंडर और सीईओ रीवा निवासी बिजनेसमैन पुष्पेंद्र सिंह हैं। कंपनी के ब्रांड एंबेसडर बॉलीवुड एक्टर बॉबी देओल और क्रिकेटर युजवेंद्र चहल हैं।
क्या है ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025?
यह देश का पहला केंद्रीय कानून है, जो दांव लगाकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाता है। 20 अगस्त को यह विधेयक लोकसभा में पेश हुआ, दो दिनों में दोनों सदनों से पारित होकर 22 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति यदि ऑनलाइन मनी गेम्स ऑफर करता है या खेलता है, तो यह अपराध माना जाएगा। इसमें यह फर्क नहीं किया गया है कि खेल स्किल आधारित है या किस्मत पर निर्भर। अधिनियम के तहत अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया है।
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