अब दुनियाभर में चमकेंगे पन्ना के हीरे, मिला जीआई टैग, बढ़ेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

पन्ना के हीरे को अब जीआई (Geographical Indication) टैग मिल चुका है। इससे हीरों की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनेगी और उनकी कीमत में भी बढ़ोतरी होगी। यह पन्ना के हीरा व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

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Sanjay Dhiman
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GI tag for panna dimounds

Photograph: (the sootr)

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PANNA. पन्ना के हीरों को अब एक खास पहचान मिल गई है। केंद्र सरकार से इसे जीआई टैग (Geographical Indication) मिल गया है। इसका मतलब है कि अब पन्ना के हीरों को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी और इनकी कीमत भी बढ़ेगी।

पन्ना, जो मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में स्थित है, हीरे की खदानों के लिए जाना जाता है। यहां से निकलने वाले हीरे बहुत ही खास होते हैं।

इनमें हल्का हरा रंग और बेहतरीन कटिंग होती है। यहां की उथली खदानों में खुदाई करने के लिए दूर-दूर से लोग पन्ना आते हैं। 

अब, जीआई टैग मिलने से इन हीरों की मांग बढ़ेगी, और इन्हें दुनिया भर में एक अलग पहचान मिलेगी। पन्ना के हीरा अधिकारी रवि पटेल ने यह जानकारी दी है। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर बधाई भी दी है। 

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जीआई टैग क्या है?

जीआई टैग का मतलब होता है ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication)। इसका मतलब यह है कि किसी खास उत्पाद को उस जगह से जोड़ा जाता है, जहां वह बनता है।

जब किसी उत्पाद को जीआई टैग मिलता है, तो वह उस जगह की खासियत और गुणवत्ता को दिखाता है। पन्ना के हीरे को यह टैग मिलने से यह साफ हो गया है कि इन हीरों की गुणवत्ता और खासियत बेहद खास है। अब यह टैग पन्ना की पहचान को और भी मजबूत करेगा।

पन्ना के हीरे को जीआई टैग के फायदे को ऐसे समझें 

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GI Tag मिला: मध्य प्रदेश के पन्ना से निकलने वाले बेशकीमती हीरों को अब आधिकारिक तौर पर GI Tag (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग) मिल गया है।

अंतर्राष्ट्रीय पहचान: इस टैग से पन्ना के हीरों को विश्व बाज़ार में एक विशिष्ट और कानूनी पहचान मिलेगी, जिससे उनकी ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी।

कीमत और महत्व में इज़ाफ़ा: GI Tag मिलने से हीरों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमत और उनका महत्व काफी बढ़ जाएगा।

स्थानीय लोगों को लाभ: इस उपलब्धि का सीधा फायदा पन्ना के हीरा व्यवसाय और खनन से जुड़े स्थानीय लोगों को मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

नकली माल पर रोक: GI Tag मिलने के बाद, पन्ना के हीरों की गुणवत्ता प्रमाणित हो जाएगी, जिससे बाजार में नकली या गलत ब्रांडिंग वाले हीरों की बिक्री पर लगाम लगेगी।

पन्ना के हीरे की विशेषताएं

पन्ना जिले का नाम हीरे की खदानों से जुड़ा हुआ है। यहां से निकलने वाले हीरे न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। पन्ना के हीरे में हल्का हरा रंग और कार्बन लाइन होती है, जो उन्हें बाकी हीरों से अलग बनाती है। यही वजह है कि पन्ना के हीरे की कटिंग और चमक दुनियाभर में बेजोड़ मानी जाती है।

GI Tag मिलने के बाद क्या बदलेगा?

GI Tag यानी भौगोलिक संकेत किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ता है। यह टैग बताता है कि उत्पाद की गुणवत्ता और विशेषता उसी क्षेत्र के कारण है। पन्ना के हीरों को यह टैग मिलने से उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमत बढ़ेगी।

  • ब्रांड वैल्यू में इज़ाफ़ा: अब पन्ना के हीरों की एक मजबूत ब्रांड वैल्यू बनेगी।

  • नकली माल पर रोक: GI Tag मिलने से नकली या गलत ब्रांडिंग पर रोक लगेगी।

  • विश्वसनीयता बढ़ेगी: ग्राहकों को अब प्रमाणित और विश्वसनीय हीरे मिल सकेंगे।

  • रोजगार के अवसर: इससे पन्ना के युवाओं और कारीगरों के लिए नए अवसर खुलेंगे।

पन्ना की ‘डायमंड सिटी’ के नाम से पहचान

पन्ना जिले का गौरव इससे पहले भी हीरे की खदानों के लिए है। अब जीआई टैग मिलने से पन्ना को एक और पहचान मिलेगी। पन्ना के हीरे का व्यवसाय न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ सकेगा। यह पन्ना और मध्यप्रदेश दोनों के लिए गर्व की बात है कि यहां से निकलने वाले हीरे को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है।

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ऐसे मिलता है जीआई टैग 

पन्ना के हीरे को जीआई टैग देने के लिए लखनऊ स्थित ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी ने चेन्नई स्थित संस्था में जून 2023 में आवेदन किया था। इसके बाद, भारत के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा पूरी जांच पड़ताल की गई। 14 नवंबर 2025 को अंततः जीआई टैग मिल गया। अब पन्ना के हीरे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक नई पहचान के साथ बिक सकेंगे।

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