पैरामेडिकल कॉलेज के 2 सेशन पर रोक जारी, मान्यता देने वाले अधिकारियों की भी देनी होगी जानकारी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और एडमिशन पर लगी रोक को हटाने की मांग खारिज कर दी। काउंसिल को सभी संबंधित दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया गया है। यह फैसला पैरामेडिकल कॉलेजों के लिए महत्वपूर्ण है।

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Neel Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

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JABALPUR. जबलपुर हाईकोर्ट में पैरामेडिकल कॉलेजों में मान्यता सहित अन्य अनियमितताओं के खिलाफ लगाई गई याचिका पर गुरुवार, 24 जुलाई को सुनवाई हुई। इसमें पैरामेडिकल कॉलेज ने इस मामले की सुनवाई नर्सिंग कॉलेज से अलग करने की मांग की।

जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजनल बेंच में हुई इस सुनवाई में पैरामेडिकल कॉलेजों ने निवेदन किया कि सत्र 2023-24 और 2024-25 पर लगी रोक को हटाया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया।

राहत नहीं, जवाब दो - हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने अपने पहले के आदेश को बरकरार रखते हुए परीक्षा, परिणाम और मान्यता पर रोक को यथावत रखा है। कोर्ट ने नर्सिंग और पैरामेडिकल मामलों की अलग-अलग सनी पर भी अभी कोई निर्देश नहीं दिया है। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से पेश अधिवक्ता विशाल बघेल ने इस पर जवाब देने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दी है।

पैरामेडिकल काउंसिल पेश करेगी मान्यता से जुड़े दस्तावेज

विशाल बघेल ने यह भी मांग की कि जिन कॉलेजों को मान्यता दी गई है, उन सभी की इंस्पेक्शन रिपोर्ट, संबद्धता प्रक्रिया और प्रशासनिक आदेशों सहित इंस्पेक्शन करने वाले अधिकारियों की जानकारी उन्हें दी जाए। कोर्ट ने इस पर निर्देश देते हुए कहा कि सभी संबंधित दस्तावेज अगली सुनवाई यानी 25 जुलाई तक कोर्ट में प्रस्तुत किए जाएं।

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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...

👉 सुनवाई पर निर्णय: जबलपुर हाईकोर्ट में पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और अन्य अनियमितताओं के खिलाफ याचिका पर 24 जुलाई को सुनवाई हुई। पैरामेडिकल कॉलेजों ने सत्र 2023-24 और 2024-25 पर लगी रोक को हटाने की मांग की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

👉 मान्यता से जुड़े दस्तावेज: कोर्ट ने पैरामेडिकल काउंसिल को निर्देश दिया कि मान्यता से संबंधित सभी दस्तावेज 25 जुलाई तक कोर्ट में प्रस्तुत किए जाएं। इसमें इंस्पेक्शन रिपोर्ट और संबंधित अधिकारियों की जानकारी भी शामिल होगी।

👉 नर्सिंग कॉलेजों पर CBI रिपोर्ट: कोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों में हुई CBI जांच की रिपोर्ट को डिजिटल रूप में याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराने का आदेश दिया। सरकारी वकील को कर्मचारियों की व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया गया।

👉 कोर्ट ने की तीखी टिप्पणियां: कोर्ट ने इस मामले पर तीखी टिप्पणियां की और इसे "शैक्षणिक सर्कस" जैसा बताया, क्योंकि जब मान्यता ही नहीं दी गई थी, तो परीक्षा और एडमिशन कैसे हुए।

👉 अगली सुनवाई: इस मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी, जिसमें पैरामेडिकल कॉलेजों द्वारा दी जाने वाली जानकारी की पारदर्शिता की समीक्षा की जाएगी और छात्र-छात्राओं के भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा।

 

सीबीआई जांच की रिपोर्ट भी होगी सार्वजनिक

लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने नर्सिंग कॉलेजों में हुई CBI जांच की रिपोर्ट की कॉपी भी मांगी। कोर्ट ने कहा कि चाहे रिपोर्ट कितनी ही बड़ी क्यों न हो, उसे डिजिटलाइज करके याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराया जाए। इस दौरान सरकारी वकील को निर्देशित किया गया कि वह इसमें सहयोग के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करें।

नर्सिंग शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

इस मामले में पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि 2025 में सत्र 2023-24 की मान्यता दी जाना “शैक्षणिक सर्कस” जैसा है। कोर्ट ने सवाल उठाया था कि जब मान्यता ही नहीं दी गई थी, तो एडमिशन और परीक्षा कैसे हो सकती है? कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों से यह स्पष्ट हो गया है कि हाईकोर्ट अब इस मामले में गंभीरता के साथ फैसला लेगा।

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25 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

अब इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार 25 जुलाई को होगी। इसमें यह तय किया जाएगा कि पैरामेडिकल कॉलेजों की ओर से दी जाने वाली जानकारी कितनी पारदर्शिता से पेश की जाती है और छात्रों के भविष्य को लेकर कोर्ट क्या दिशा निर्देश देता है।

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