BHOPAL. फिलहाल संविदाकर्मी 7 दिन की हड़ताल के बाद काम पर लौट आए हैं। हड़ताल स्थगित होने से अस्पतालों में हालात भले सामान्य हो गए हैं, लेकिन अब भी संविदाकर्मियों पर एनएचएम की कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। स्वास्थ्यमंत्री की मध्यस्थता के चलते कुछ मांगों पर सहमति बनी है। हांलाकि ये कब तक पूरी होंगी ये तय नहीं है। वहीं हड़ताल पर गए कर्मचारियों को सेवा से बाहर करने के एनएचएम डायरेक्टर के निर्देश भी अब तक वापस नहीं लिए गए हैं। जिससे संविदाकर्मी अपने विरुद्ध कार्रवाई और वेतन में कटौती का अंदेशा जता रहे हैं। डायरेक्टर के निर्देश के बाद कई जिलों में हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों को नोटिस भी थमाए जा चुके हैं। वहीं कर्मचारियों का कहना है आंदोलन स्थगित हुआ है। यदि किसी के साथ भी ज्यादती हुई या वादा पूरा नहीं किया तो वे फिर मैदान में उतरेंगे।
दो साल से था मांग पूरी होने का इंतजार
मध्यप्रदेश में 32 हजार से ज्यादा संविदा कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग में काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम की कमान तो पूरी तरह संविदाकर्मियों के हाथ में ही है। जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी से लेकर मैदानी अमले में शामिल एएनएम, एमपीडब्लू, लैब टैक्नीशियन, नर्सिंग कर्मचारी भी संविदा पर तैनात हैं। इन कर्मचारियों द्वारा नियमितीकरण, समान काम के लिए नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन एवं अन्य सुविधाएं देने की मांग की जा रही है। वे चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश, सेवानिवृत्ति की सीमा को फिर से 65 साल करने, एनपीएस ग्रेच्युटी, हेल्थ इंश्योरेंस, डीए और अन्य लाभ देने की मांग भी करते आ रहे हैं। इनको लेकर बीते दो साल में कई बार धरना-प्रदर्शन किए जाते रहे हैं। वे पिछले दिनों में सेवा से बाहर किए गए सपोर्टिंग स्टाफ, मलेरिया और बहुउद्देश्यीय कार्यकर्ताओं की वापसी की मांग भी कर रहे हैं।
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सूचना पर जिम्मेदार करते रहे अनदेखी
एनएचएम डायरेक्टर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मुलाकात पूर्व सीएम की घोषणा के बाद भी मांग पूरी न होने से संविदाकर्मी आक्रोशित थे। उनके संगठन द्वारा इसी महीने में एनएचएम मुख्यालय को मांग पत्र भेजकर आंदोलन से भी अवगत करा दिया था। इसके बावजूद एनएचएम डायरेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी उनकी अनदेखी करते रहे। इस बेरुखी से नाराज संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने 22 अप्रैल से राजधानी भोपाल के साथ ही प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर अनिश्चितकालीन हड़काल शुरू कर दी थी। प्रदेश भर में 32 हजार से ज्यादा संविदाकर्मियों के हड़ताल पर जाने से अस्पतालों में काम ठप हो गया था। आंदोलन की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी। इसकी सूचनाएं लगातार एनएचएम, स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचती रहीं लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
डिप्टी सीएम के मनाने पर लौटे संविदाकर्मी
अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे संविदाकर्मियों से मिलने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा और जनप्रतिनिधि भी चुप्पी साधे रहे। इससे आंदोलन लगातार जोर पकड़ता रहा और जिला स्तर पर चल रहे धरना_प्रदर्शन में कर्मचारियों की संख्या बढ़ती रही। दूसरे कर्मचारी संगठन भी उनके समर्थन में आ रहे थे। इस बीच एनएचएम डायरेक्टर की ओर से हड़ताल में शामिल संविदाकर्मियों को बाहर करने के संबंध में 26 अप्रैल को जारी आदेश से आंदोलन और भी तेज हो गया। कर्मचारी विहीन अस्पतालों में मरीजों की कतारें लगने लगी थीं। वहीं मरीज इलाज न होने से मुश्किल में फंसे रहे। टीकमगढ़ और अन्य कई जगहों पर प्रसव पीड़ा झेलते अस्पताल पहुंची महिला को सड़क पर ही नवजात को जन्म देना पड़ा। तो कई मरीजों की जान इलाज न होने से जोखिम में पड़ गई थी। प्रदेश भर से आ रही इन खबरों और स्वास्थ्य व्यवस्था के लड़खड़ाने की खबरों के बाद डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल को ही आगे आना पड़ा।
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अब कार्रवाई को लेकर आशंकित संविदाकर्मी
एनएचएम डायरेक्टर की ओर से प्रदेश के जिला अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के जिला प्रमुखों को हड़ताल में शामिल होने वाले संविदाकर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश िदए गए थे। इसमें ऐसे कर्मचारियों की जानकारी जुटाकर उन्हें सेवा से बाहर भी करने का उल्लेख किया गया था। इसके लिए एनएचएम के तहत होने वाली संविदा नियुक्ति के प्रावधानों का भी हवाला दिया गया था। अब डिप्टी सीएम और स्वास्थ्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के भरोसे पर हड़ताल तो स्थगित हो गई है। लेकिन एनएचएम डायरेक्टर के पत्र पर क्या कार्रवाई होगी यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। इसके संबंध में एनएचएम या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई साफ जवाब भी कर्मचारियों को नहीं मिला है। इस वजह से अंचलों में काम करने वाले संविदा स्वास्थ्यकर्मी आशंकित हैं।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला | NHM | नेशनल हेल्थ मिशन | संविदा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल