मध्य प्रदेश में सीहोर के पास आष्टा गांव में देश का सबसे बड़ा पेट्रोकेमिकल प्लांट ( एथेन क्रैकर प्लांट ) लगाने की परियोजना किसानों के विरोध के कारण अटक गई है। गेल इंडिया ( Gail India ) द्वारा लगाए जा रहे इस प्लांट के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन किसानों के विरोध के बाद जमीनों की नपती और सीमांकन का काम रुक गया है।
प्रशासन अब पूरी तरह से सरकारी भूमि की तलाश कर रहा है और किसानों से बातचीत और गांवों में सर्वे का दौर चल रहा है। इस परियोजना में कुल 60 हजार करोड़ रुपए का निवेश होना है।
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सरकार सावधानी से बढ़ रही आगे
मध्य प्रदेश के उद्योग विभाग के अनुसार, एथेन क्रैकर प्लांट ( Ethane Cracker Plant ) परियोजना राज्य का अब तक का सबसे बड़ा एकल परियोजना निवेश है। हालांकि, किसानों के विरोध के कारण सरकार इस मामले में सावधानी से आगे बढ़ रही है।
प्लांट के लिए सरकारी भूमि के अलावा किसानों की खेती की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, लेकिन किसान अपनी उपजाऊ जमीन को उद्योगों के लिए किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहते हैं।
जमीन की तलाश के लिए किया जा रहा सर्वे
सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने कहा कि एथेन क्रैकर प्लांट परियोजना के लिए केवल सरकारी जमीन का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सर्वे किया जा रहा है ताकि इस परियोजना में पूरी तरह से सरकारी भूमि का उपयोग किया जा सके।
खेती की जमीन देने से किसानों का इनकार
मध्य प्रदेश सरकार ने गेल इंडिया को सीहोर में पेट्रोकेमिकल प्लांट ( Petrochemical Plant ) स्थापित करने की मंजूरी दी। इसके बाद, एमपीआईडीसी को गेल इंडिया के लिए उपयुक्त जमीन खोजने का निर्देश दिया गया। स्थानीय अधिकारियों ने जमीन आवंटन के लिए सर्वेक्षण शुरू किया, लेकिन किसानों ने अपनी निजी जमीनें देने से इनकार कर दिया। इसके चलते अधिकारियों और किसानों के बीच झड़प हुई। किसानों ने 29 मई को आष्टा में एक रैली निकाली विरोध प्रदर्शन किया था। इसके साथ ही ज्ञापन भी दिया था।
सर्वेक्षण और किसानों से बातचीत करने के निर्देश
आष्टा की एसडीएम स्वाति उपाध्याय ( SDM Swati Upadhyay ) और तहसीलदार मुकेश सांवले ( Tehsildar Mukesh Sawle ) उन किसानों से बातचीत कर रहे हैं जिनकी कृषि भूमि का अधिग्रहण इस प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया है कि किसानों की बात सरकार तक पहुंचाई जाएगी। दो गांवों में सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और किसानों के साथ बैठकें हो चुकी हैं। दो अन्य गांवों में सर्वेक्षण और किसानों के साथ बैठकें करनी बाकी हैं। एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी। आगे का निर्णय सरकार के स्तर पर होगा। फिलहाल, केवल सर्वेक्षण और किसानों से बातचीत करने के निर्देश हैं।
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