हैंडपंप मेंटेनेंस का बिल पास करने 24 हजार की रिश्वत लेते पकड़ाया PHE का कार्यपालन यंत्री

मध्यप्रदेश के जबलपुर में PHE विभाग के कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। उन्होंने ठेकेदार से हैंडपंप मेंटेनेंस का बिल पास करने के बदले 24 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।

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Neel Tiwari
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PHE Executive Engineer caught

Photograph: (THESOOTR)

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मध्यप्रदेश के जबलपुर में बुधवार को आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पीएचई विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री को रंगेहाथ रिश्वत लेते पकड़ लिया।

कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह पर आरोप है कि उसने हैंडपंप मेंटेनेंस का बिल पास करने के बदले ठेकेदार से 24 हजार रुपये की मांग की थी। यही नहीं, इस पूरे खेल में उनके साथ विभाग का एक अकाउंटेंट क्लर्क विकास पटेल भी शामिल पाया गया, जिसे ईओडब्ल्यू ने हिरासत में ले लिया है।

पहले 10% दो, फिर पास होगा बिल

मामले की शिकायत दमोह जिले के रहने वाले ठेकेदार रोहित बरौलिया ने की थी। उन्होंने बताया कि सिहोरा ब्लॉक के कई क्षेत्रों में हैंडपंपों की मरम्मत का काम पूरा करने के बाद उन्होंने विभागीय कार्यालय (दमोह नाका, जबलपुर) में करीब 2 लाख 47 हजार रुपए का बिल प्रस्तुत किया था।

बिल पास करने के लिए विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर शरद कुमार सिंह और अकाउंटेंट क्लर्क विकास पटेल दोनों मिलकर ठेकेदार से 10 प्रतिशत यानी 24 हजार रुपए की रिश्वत की मांग कर रहे थे।

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ठेकेदार की शिकायत के बाद कार्रवाई

ठेकेदार ने रिश्वत की इस मांग की शिकायत सीधे जबलपुर ईओडब्ल्यू के एसपी अनिल विश्वकर्मा को लिखित रूप से दी। शिकायत का सत्यापन करने के बाद आज बुधवार दोपहर ईओडब्ल्यू की टीम ने trap कार्रवाई को अंजाम दिया। जैसे ही कार्यपालन यंत्री (EE) ने रिश्वत की रकम ली, टीम ने उन्हें मौके पर पकड़ लिया। इसके बाद क्लर्क को भी हिरासत में ले लिया गया।

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लगातार हो रही रिश्वतखोरों पर कार्रवाई

ईओडब्ल्यू अधिकारियों का कहना है कि शिकायत की पुष्टि होने के बाद ही यह कार्रवाई की गई। फिलहाल दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जा रहा है।

ईओडब्ल्यू सहित लोकायुक्त टीम भी लगातार रिश्वत लेने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही कर रही है। लेकिन इसके बाद भी शासकीय अधिवक्ता से लेकर जनपद पंचायत और PHE जैसे डिपार्टमेंट में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

इन मामलों ने यह साफ कर दिया है कि सरकारी विभागों में आम कामकाज के नाम पर रिश्वतखोरी अब भी एक बड़ी समस्या है, जिस पर सख्ती से नकेल कसना जरूरी है।

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