मध्य प्रदेश के बहुचर्चित और विवादित नर्सिंग कॉलेज घोटाला ( Nursing College Scam ) मामले में एक और बड़ा गोलमाल सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपने ही अधिकारियों से जुड़े रिश्वत मामले में आरोप पत्र दायर किया है। सीबीआई (CBI) की चार्जशीट में रिश्वतखोरी और उसके अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 'अचार' व 'गुलकंद' जैसे कोड वाले शब्दों का खुलासा हुआ है।
अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण में सहायता के लिए कथित तौर पर रिश्वत ली थी। इस मामले में एक दिलचस्प बात सामने आई है। आरोप पत्र से पता चला है कि अवैध गतिविधि को छिपाने के लिए 'अचार', 'माता का प्रसाद' और 'गुलकंद' जैसे कोड शब्दों का इस्तेमाल किया गया था।
69 नर्सिंग कॉलेजों को दी थी क्लीन चिट
Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी में CBI ने मध्य प्रदेश के 169 नर्सिंग कॉलेजों को मामले में क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, 18 मई को निरीक्षण से संबंधित रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर सीबीआई ने अपने ही चार अधिकारियों और कम से कम 4 जिलों के नर्सिंग कॉलेजों के अधिकारियों समेत 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
एफआईआर में दावा किया गया था कि आरोपी अयोग्य कॉलेजों के लिए 'उपयुक्तता रिपोर्ट' जारी करने के लिए रिश्वत लेने में शामिल थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 जुलाई को CBI ने 14 लोगों के खिलाफ विशेष सीबीआई न्यायाधीश के समक्ष आरोप पत्र दायर किया था। आरोपियों में पूर्व सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज और मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारी सुशील कुमार मजोका शामिल हैं, जिन्हें सीबीआई को सौंपा गया था। नर्सिंग कॉलेजों के कई निदेशकों और स्टाफ के सदस्यों को भी आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। सीबीआई के आरोप पत्र में कहा गया है कि राज को 10 लाख रुपये की अवैध रिश्वत लेते समय गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारी की 'आचार' यात्रा
आरोप पत्र के अनुसार, इस साल 7 मई को आरोपियों में से एक राधा रमन शर्मा नाम के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बड़ी रकम के साथ रतलाम से जयपुर तक की यात्रा की थी और इस मोटी रकम को कोड नाम 'आचार' दिया गया था। आपको बता दें कि राधा एक अन्य आरोपी जुगल किशोर शर्मा के भाई हैं, जो ग्वालियर के भास्कर नर्सिंग कॉलेज में निदेशक हैं। आरोप पत्र में कहा गया है कि जुगल ने एक रिश्तेदार को बताया था कि राधा 'आचार का भारी डिब्बा' लेकर आ रहा है और रिश्तेदार को पैसे अपने घर पर रखने का निर्देश दिया गया था। किशोर ने कथित तौर पर इस रिश्तेदार को यह भी निर्देश दिया था कि अगर उसे फोन आए कि 'गुलकंद आ गया क्या' तो वह पैसे दे दे।
मामले का 'गुलकंद' कनेक्शन
सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया है कि रिश्वत की रकम का कोड 'गुलकंद' रखा गया था। दावा है कि10 मई को एक अन्य सीबीआई इंस्पेक्टर की पत्नी और इंदौर में एक कंपनी के सीईओ के बीच कथित रिश्वत के कुछ पैसे को सोने की ईंटों में बदलने के संबंध में 6 कोड के संदेश का आदान-प्रदान हुआ था। चार्जशीट के अनुसार, इंस्पेक्टर की पत्नी ने सीईओ से पूछा, सर खोडियार माता का प्रसाद मिल गया क्या। यहां 'माता का प्रसाद' एक कोड के रूप में इस्तेमाल किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि व्यवसायी ने रिश्वत की रकम को 100 ग्राम वजन वाली चार सोने की ईंटों में बदल दिया।
फ्लैश बैक: 2020 में पहली बार सामने आया फर्जीवाड़ा
मध्यप्रदेश में सबसे पहले 2020 में ये बात सामने आई थी कि राज्य नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी है, जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के एक कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से संबद्ध नहीं थे। मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गईं। जिनकी सुनवाई में कोर्ट ने प्रदेश के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी। अक्टूबर 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच शुरू की।
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पूरी की पूरी दाल ही काली
सीबीआई की शुरुआती जांच में कई नर्सिंग कॉलेजों में बड़े स्तर पर अनियमितताएं सामने आईं। ये कॉलेज अनिवार्य मानकों को पूरा नहीं करते थे। फिर भी मंजूरी पाने में कामयाब रहे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने निरीक्षण दल बनाए, जिसमें उसके अपने अधिकारी, नर्सिंग स्टाफ और भूमि रिकॉर्ड अधिकारी शामिल थे। अब व्हिसल ब्लोअर विशाल बघेल की याचिका के बाद दोयम दर्जे के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की ओर से नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलाने का खुलासा हुआ है। यानी यहां दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी की पूरी दाल ही काली नजर आती है।
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