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21 सितंबर को पितृपक्ष के समापन के दिन सूर्यग्रहण होगा, लेकिन यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा। विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने इस ग्रहण के वैज्ञानिक पहलुओं को समझाते हुए लोगों से अंधविश्वास और भय से बचने की अपील की। उन्होंने बताया कि इस ग्रहण को केवल कुछ देशों में ही देखा जा सकेगा। यह ग्रहण एक "सारोस खानदान" का हिस्सा है, जो लगभग 18 साल, 11 दिन और 8 घंटे के अंतराल के बाद फिर से इसी रूप में घटित हो रहा है।
भारत में नहीं दिखेगा सूर्यग्रहण
पितृपक्ष की अमावस्या पर होने वाला सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार रात 10 बजकर 59 मिनट 43 सेकंड पर शुरू होगा। 3 बजकर 23 मिनट 45 सेकंड पर समाप्त होगा। चूंकि यह समय भारत में रात का होगा, इसलिए यहां यह ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा।
यह सूर्यग्रहण केवल न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा। अनुमान है कि दुनिया की कुल आबादी का केवल 0.2 प्रतिशत हिस्सा ही इस खगोलीय घटना का साक्षी बनेगा।
डरने की कोई वजह नहीं
सारिका ने इस बात पर जोर दिया कि हर साल कम से कम चार ग्रहण होते हैं (दो चंद्र और दो सूर्य)। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि कोई व्यक्ति 75 साल का है तो वह अपने जीवन में कम से कम 300 ग्रहणों का अनुभव कर चुका होता है। उन्होंने कहा कि इतने ग्रहणों के बाद यदि कोई विपरीत असर नहीं हुआ है तो युवा पीढ़ी को इससे भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है। ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, जिसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।
ग्रहणों का खानदान सारोस
बताया जाता है कि ग्रहण एक खानदानी होते हैं, जिन्हें "सारोस" कहा जाता है। सारोस एक खगोलीय चक्र है, जो लगभग 18 साल, 11 दिन और 8 घंटे के अंतराल में फिर से उसी स्थिति में आता है। इस सूर्यग्रहण का पिछला उदाहरण 11 सितंबर 2007 को था और अगला वही ग्रहण 3 अक्टूबर 2043 को होगा। सारिका ने बताया कि यह ग्रहण सारोस 154 खानदान का हिस्सा है, और इसके पूरे खानदान में कुल 71 ग्रहण होंगे, जिसमें यह सातवां ग्रहण है।
अब अगला सूर्य ग्रहण कब दिखेगा?
अगर आप अपने शहर में सूर्य ग्रहण देखना चाहते हैं, तो आपको 2 अगस्त 2027 तक का इंतजार करना पड़ेगा। इस तारीख को आप आंशिक सूर्य ग्रहण का दीदार कर सकेंगे।
अन्य रोचक तथ्य
- 1950 से 2025 तक की 76 वर्ष की अवधि में कुल 340 ग्रहण घटित हुए हैं, जिसमें सूर्य और चंद्रग्रहण शामिल हैं।
- सबसे अधिक ग्रहण 1973 और 1982 में हुए, जब हर साल 7-7 ग्रहण देखे गए।
- साल 1964, 1991, 2000, 2009, 2011 और 2020 में 6-6 ग्रहण हुए।