विश्वनाथ सिंह, INDORE. पंढरीनाथ थाने के टीआई कपिल शर्मा सहित 15 पुलिस जवानों की तीन दिन तक चली ट्रेनिंग और परीक्षा के बाद वे सभी पास हो गए हैं। सभी को कम से कम 50 प्रतिशत अंक लाने थे, लेकिन अच्छी बात यह रही कि सभी को 60 से 80 प्रतिशत अंक मिले हैं। अब उन्हें वापस पंढरीनाथ थाने जाने के आदेश दे दिए हैं। तीन दिन तक ट्रेनिंग डीसीपी जोन 4 के ऑफिस में चल रही थी। उन सभी की लिखित परीक्षा के लिए पेपर एसीपी हेमंत चौहान ने तैयार किया था। अब किसी तरह की लापरवाही होने पर किसी तरह की ट्रेंनिग या ऑफिस में अटैच नहीं किया जाएगा। बल्कि उन्हें सजा दी जाएगी।
वरिष्ठ अफसरों के आदेश का मैदान में होना चाहिए पालन
पुलिस कमिश्नर की सजा में डीसीपी जोन 4 के कार्यालय में अटैच टीआई कपिल शर्मा सहित पंढरीनाथ थाने के 12 से ज्यादा जवानों को एडीशनल सीपी लॉ एंड ऑर्डर अमित सिंह ने डीसीपी ऋषिकेश मीणा के साथ प्रशिक्षण शुरू किया। ट्रेनिंग के पहले ही दिन उन्होंने 50 मिनट का सेशन लेकर समझाईश दी। इसमें एडीशनल सीपी अमित सिंह ने बताया कि हमारे प्रशिक्षण में मुख्य रूप से वरिष्ठ अफसरों द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों का थाने और मैदान में अक्षरश: पालन करना शामिल है। जो निर्देश वरिष्ठ अफसरों द्वारा दिए जा रहे हैं उन्हें हम पूरी स्पीड के साथ फील्ड मे उतार नहीं पा रहे हैं।
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चेकिंग को प्रभावी बनाएं
सिंह ने बताया कि यह अलाइनमेंट का एक नया तरीका है। हमारे निर्देशों को लेकर रिस्पॉन्स कैसा होना चाहिए। पब्लिक के साथ हमारी बातचीत कैसी होनी चाहिए। माइक्रोबीट सिस्टम को कैसा होना चाहिए। चेकिंग को प्रभावी तरीके से कैसे की जा सकती है। साथ ही पेट्रोलिंग किस तरह से करनी है। कम्युनिटी पुलिसिंग पर कैसे काम करना है और पब्लिक इंटेलीजेंस को कैसे जनरेट कर सकते हैं।
थाने के स्टाफ को भी बढ़ाएंगे
उन्होंने बताया कि आगामी तीन दिन तक इन्हीं सब मुद्दों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा अगर लगाता है कि थाने में स्टाफ की कैपेसिटी को बढ़ाया जाए तो वह भी करेंगे। अर्बन पुलिसिंग के हिसाब से पूरे स्टाफ को ढ़ालना है। सिर्फ थाना प्रभारी ही नहीं, बल्कि कॉन्स्टेबल भी इन सभी चीजाें को बेहतर तरीके से समझे और उसको हूबहू फील्ड में लागू करने के लिए तत्पर रहे।
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पीड़ितों के आंसू पोछे, कंफर्ट जोन दे
इसमें बताया कि थाने मे बैठकर किस तरह से पब्लिक स्पीकिंग करनी है। जिन लोगों की गरिमा और आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है और वे आंसू बहाते हुए थाने आ रहे हैं। उनके आंसुओं को पोछकर उसे कंफर्ट जोन प्रदान किया जाए। उसके अंदर का जो गुबार है उसको निकाला जाए। साथ ही उसे तत्काल न्याय दिलाया जाए। अगर बीएनएस की धाराओं के तहत कोई अपराध बनता है तो उसे दर्ज करके विवेचना शुरू कर दी जाए।
अब अन्य थाने के स्टाफ को भी मिलेगा प्रशिक्षण
सीपी का फोकस है कि शहर में पुलिस की विजिबिलिटी बड़ाई जाए। इसके लिए बीट सिस्टम को और मजबूत करना है। इसमें माइक्रो बीट और कम्युनिटी पुलिसिंग पर काम करना है। हमारी चेकिंग रैंडमली हो और उसमें सरप्राइज एलिमेंट होने चाहिए। जो भी क्राइम का हॉट स्पॉट हो वहां पर यह व्यवस्था होने चाहिए। पुलिस असल में कलेक्टिव कंसर्न है। इसमें सभी स्टाफ को मिलकर बेहतर पुलिसिंग की तरफ अग्रसर किया जाना है। इस ट्रेनिंग में बाकी के थानों के स्टाफ को भी जोड़ा जाना है।