नाराज कांग्रेस विधायक को हाथ पकड़कर लाए ज्योतिरादित्य सिंधिया, ग्वालियर कलेक्ट्रेट में चला हाईवोल्टेज ड्रामा

ग्वालियर कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक से पहले बड़ा हंगामा हुआ। तहसीलदार के बर्ताव से नाराज़ कांग्रेस MLA सतीश सिकरवार बैठक छोड़कर जा रहे थे, लेकिन...

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Sourabh Bhatnagar
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ग्वालियर कलेक्ट्रेट में एक समीक्षा बैठक से पहले सियासी ड्रामा हो गया। ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार जब कलेक्ट्रेट पहुंचे, तो तहसीलदार ने उन्हें इतना नाराज कर दिया कि वो बैठक छोड़कर घर जाने के लिए निकल पड़े। यह सियासी ड्रामा तब और दिलचस्प हो गया, जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) खुद इस पूरे मसले को सुलझाने के लिए मैदान में कूद पड़े और माहौल को हल्का कर दिया। आखिरकार, सिंधिया सिकरवार को मनाकर बैठक में वापस लेकर आए।

क्या है पूरा मामला...आइए जानते हैं

क्या हुआ था?

दरअसल, जब कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार कलेक्ट्रेट पहुंचे, तो तहसीलदार कुलदीप दुबे ने उन्हें रोक लिया और कहा कि वे मुख्य गेट से नहीं बल्कि दूसरे गेट (VIP) से अंदर जाएं। इस व्यवहार से नाराज होकर सिकरवार तुरंत अपनी कार में बैठे और घर वापस लौटने के लिए निकल पड़े।

ऐसे हुई सिंधिया की एंट्री

इसी दौरान उनकी मुलाकात केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से हुई। सिंधिया ने स्थिति को भांपते हुए सिकरवार से बात की और उन्हें मनाकर बैठक में वापस लाया। उन्होंने खुद विधायक को अंदर लेकर जाने का फैसला लिया।

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समीक्षा बैठक के अंदर का माहौल

समीक्षा बैठक कलेक्ट्रेट में प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट की अध्यक्षता में चल रही थी। जब सिंधिया विधायक सिकरवार को लेकर बैठक में आए, तो कुछ देर के लिए माहौल हल्का हो गया। सिंधिया ने विधायक को बैठाया और स्थिति को संभालने का प्रयास किया।

यह मुद्दा क्यों बना?

समीक्षा बैठक प्रशासन और नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मानी जाती है। ऐसे में कांग्रेस विधायक को गेट पर रोकना और गेट बदलने के लिए कहना प्रशासनिक व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह घटना उनके विधायक के सम्मान से जुड़ी हुई है और तहसीलदार को इसका जवाब देना चाहिए।

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मामले ने लिया राजनीतिक रंग

अब यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। कांग्रेस नेता इसे अपने विधायक के सम्मान से जुड़ा मुद्दा बता रहे हैं, वहीं भाजपा खेमे में यह चर्चा का विषय है कि सिंधिया ने खुद हस्तक्षेप करके हालात को काबू में किया। सिंधिया की इस एंट्री ने इसे एक सियासी ड्रामा बना दिया है।

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