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Politics MP name change, village, town city queue Mohan Yadav Photograph: (the sootr)
Bhopal : पटरी पर दौड़ती उस ट्रेन में जब राजेश खन्ना कहते हैं, अजी छोड़िए... नाम में क्या रक्खा है...। इंसान तो अपने कर्मों से पहचाना जाता है। ...तो भाईसाहब वो तो थी पुरानी बात। अब तो जो है, सो नाम में ही रखा है। मध्यप्रदेश में इन दिनों नाम बदलने की सियासत परवान चढ़ रही है। शाजापुर जिले के दौरे पर पहुंचे सूबे के मुखिया डॉ.मोहन यादव से लोगों ने गांवों के नाम बदलने की मांग की तो उन्होंने झट से मंच से ही 11 गांवों के नाम बदलने का ऐलान कर दिया। इससे पहले भी सीएम डॉ.मोहन यादव ने उज्जैन जिले के तीन गांव के नाम बदले थे।
दरअसल, मध्यप्रदेश इन दिनों उत्तरप्रदेश की राह पर सरपट दौड़ रहा है। यहां बदमाशों के एनकाउंटर हो रहे हैं। अपराधियों के घरों पर पिछले दिनों तक बुलडोजर भी चल रहा था। सरकार के प्रकल्पों में धर्म की गंगा बह रही है और अब मामला मोहल्लों, गांवों, कस्बों, शहरों और इलाकों के नाम बदलने पर आ पहुंचा है।
सीएम ने उज्जैन से की शुरुआत
सीएम डॉ.मोहन यादव कहते हैं, सरकार ऐसे स्थानों के नाम बदलने का काम करेगी, जिनका नाम लेने में जुबान अटकती है या कलम अटक जाती है। अपने इसी स्टेटमेंट के तहत उन्होंने मध्यप्रदेश में नाम बदलने की शुरुआत कर दी है। उन्होंने सबसे पहले उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदलने का ऐलान किया। बड़नगर में हुई जनसभा में सीएम ने कहा- बड़नगर के गजनीखेड़ी गांव का नाम चामुंडा माता नगर होगा। मौलाना गांव का नाम विक्रम नगर और जहांगीरपुर का नाम जगदीशपुर किया जाएगा। सीएम ने यहीं सीएम राइज स्कूल का उद्घाटन भी किया, जिसका नामकरण अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया।
और तो देखिए...सड़कों के नाम भी बदल डाले
उज्जैन के तीन गांवों का नाम बदलने के बाद अब सरकार ने शाजापुर जिले के 11 गांवों का नाम बदला है। शाजापुर जिले के कालापीपल का मोहम्मदपुर मछनाई गांव अब मोहनपुर के नाम से जाना जाएगा। सीएम डॉ. मोहन यादव ने शाजापुर में इसका ऐलान किया। ये सभी नाम उर्दू में थे, अब इनके नामों को हिंदी नामों में बदला गया है। इन गांवों को जोड़ने वाली 15 सड़कों के नाम भी बदले गए हैं। इसके अलावा कालापीपल अब राजस्व अनुविभाग होगा। यहां पोलायकलां में जिले की मुख्य मंडी बनाई जाएगी।
शाजापुर जिले के इन गांवों का बदला नाम
अब यहां से उठी नाम बदलने की मांग
अब राज्य में आधा सैकड़ा से ज्यादा गांवों और शहरों के नाम बदलने की मांग जोर पकड़ रही है। इनमें भोपाल, रायसेन, उज्जैन, विदिशा, सीहोर और मंदसौर के कई स्थान शामिल हैं।
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प्रमुख नाम और उनके इतिहास
1. औबेदुल्लागंज (रायसेन): पहले इसे हिरानिया कहा जाता था। यह नाम भोपाल रियासत की नवाब बेगम सुल्तान जहां के बेटे औबेदुल्ला खां के नाम पर रखा गया।
2. गौहरगंज (रायसेन): इसे पहले कलियाखेड़ी कहा जाता था, जो राजा भोज के मंत्री कलिया के नाम पर था। नवाब हमीदुल्लाह खां ने इसे अपनी बेटी गौहर सुल्तान के नाम पर गौहरगंज कर दिया।
शमशाबाद (विदिशा): इसका पुराना नाम सूर्य नगर था। यहां सूर्य मंदिर हुआ करता था, लेकिन मुगलकाल में इसे तोड़कर नाम बदल दिया गया।
नूरगंज (रायसेन): पहले इसे रूप नगर कहा जाता था। नवाबी शासन काल में इसका नाम बदलकर नूरगंज कर दिया गया।
भोपाल में यहां के नाम बदलने की मांग
जहांगीराबाद, शाहजहांनाबाद, नजीराबाद, मुबारकपुर, हबीबगंज, आदमपुर छावनी, पिपलिया बाजखां आदि।
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भोपाल को भोजपुर करने की मंशा
गौरतलब है कि भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग भी लंबे समय से चली आ रही है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में इस्लामनगर का नाम जगदीशपुर, होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और नसरुल्लागंज का नाम भेरुंदा किया गया था। हालांकि, राज्य सरकार केवल प्रस्ताव भेज सकती है। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार लेती है।
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इंदौर: विधायक ने महापौर को लिखी चिट्ठी
इसी लिस्ट में इंदौर भी जुड़ गया है। इंदौर 3 से बीजेपी विधायक गोलू शुक्ला ने महापौर काे चिट्ठी लिखकर अपनी विधानसभा में आने वाले पांच मोहल्लों-कॉलोनियों के नाम बदलने की मांग उठाई है। वैसे इंदौर में नाम बदलने की सियासत पुरानी है। यहां कई स्थानों का नाम बदला गया है, लेकिन चलन में नहीं हैं। जैसे राजेंद्र नगर रेलवे ओवर ब्रिज का नाम प्रतीक सेतु रखा गया था। अभी इसे राजेंद्र नगर ब्रिज के नाम से ही पहचाना जाता है। फूटी कोठी चौराहा ब्रिज का नाम संत सेवालाल के नाम किया। इसे फूटी कोठी फ्लायओवर से ही जानते हैं। केसरबाग ब्रिज का नाम पूर्व महापौर नारायण राव धर्म के नाम है, लेकिन पहचान केसरबाग ब्रिज के नाम से ही है। पत्राचार भी इसी नाम से होता है। बंगाली चौराहा ब्रिज का नाम माधवराव सिंधिया के नाम से है। जुबां पर बंगाली चौराहा ही है।
दरियागंज को किया जाए बागेश्वर धाम स्टेशन
इसके उलट छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के पास रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर विवाद गहरा गया है। स्टेशन का नाम दुरियागंज से बदलकर दरियागंज किए जाने पर स्थानीय लोगों ने विरोध जताया है। प्रदर्शन कारियों का कहना है कि यह इस्लामिक नाम है, जो बागेश्वर धाम की आस्था के खिलाफ है। स्थानीय निवासियों ने स्टेशन पर प्रदर्शन करते हुए मांग की है कि इसका नाम बागेश्वर धाम रेलवे स्टेशन किया जाए। विरोध का बड़ा कारण यह भी है कि स्टेशन का नाम हिंदी और अंग्रेजी के साथ उर्दू में भी लिखा गया है।
बेगम बाग, अंडा गली और तोपखाना नहीं चाहिए
इधर, सीएम डॉ.मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में अब महाकाल मंदिर क्षेत्र के नाम बदलने की मांग जोर पकड़ने लगी है। उज्जैन के सांसद, महाकाल मंदिर के पुजारी-पुरोहित और महामंडलेश्वर ने मांग की है कि मंदिर से लगे क्षेत्रों, जैसे बेगम बाग, अंडा गली और तोपखाना के नाम बदले जाएं। इसके साथ ही सांसद अनिल फिरोजिया ने फतियाबाद गांव का नाम बदलने की भी मांग उठाई है।
यूपी का तो सिर्फ नाम है, एमपी ही आगे
मध्यप्रदेश में नाम बदलने की मांग पुरानी है। नाम बदलने की राजनीति का गढ़ भले ही उत्तरप्रदेश को कहा जाए, लेकिन सबसे ज्यादा शहरों के नाम मध्यप्रदेश में बदले गए हैं। दो साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से नाम बदलने को लेकर दी गई एनओसी एक नया खुलासा करती है। 2022 तक की स्थिति में पांच वर्षों में देश के पांच राज्यों में सात शहरों के नाम बदले गए हैं। इनमें से 42 फीसदी मध्यप्रदेश के थे। दो वर्ष पहले लोकसभा में दिए गए सवाल के जवाब में भी पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में मध्यप्रदेश के तीन शहरों के नाम बदले गए।
शिवराज सरकार में बदले गए चार स्थानों के नाम
शिवराज सरकार में वर्ष 2018 से 2022 के बीच चार इलाकों के नाम बदले गए थे। इनमें 29 अगस्त 2018 को बिरसिंहपुर पाली का नाम मां बिरासिनी धाम किया गया। 5 नवम्बर 2021 को होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और बाबई का नाम माखननगर किया गया था। इसके बाद 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के नसरूल्लागंज कस्बे का नाम बदलकर भैरूंदा किया गया। इसी अवधि में ही भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया गया। भोपाल के मिंटो हॉल का नाम बदलकर कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर किया। जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट का नाम रानी दुर्गावती के नाम पर किया गया।
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