BHOPAL. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में दो साल पुराना नियुक्ति फर्जीवाड़ा फिर चर्चा में आ गया है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद विश्वविद्यालय 13 सहायक प्राध्यापकों को नियमित करने जा रहा है।
प्रबंधन ने इन नियुक्तियों को नियमित करने ईसी यानी कार्य परिषद में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। इस खबर के बाद हाईकोर्ट की शरण लेने वाले एक याचिकाकर्ता ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की अपील की है। मामला हाईकोर्ट में लंबित होने के बावजूद हिंदी विश्वविद्यालय की मनमानी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में साल 2023 में सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति फर्जीवाड़ा खूब गरमाया था। नियुक्ति में विश्वविद्यालय प्रबंधन की हेराफेरी को लेकर कुछ लोगों ने हाईकोर्ट की शरण भी ली थी।
इनकी याचिकाएं अब भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है जहां उन पर सुनवाई चल रही है। इस बीच जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा कार्य परिषद की बैठक में इन्हीं 13 सहायक प्राध्यापकों को नियमित करने का प्रस्ताव तैयार किया है। यानी विश्वविद्यालय द्वारा हाईकोर्ट का अंतिम निर्णय आने से पहले ही इन्हें नियमित करने की तैयारी कर ली गई है।
जांच में सामने आई थी गड़बड़ी
विश्वविद्यालय द्वारा प्रबंधन पहले ही दिव्यांगों के लिए आरक्षित पदों पर सामान्य उम्मीदवारों की भर्ती के आरोपों से घिरा है। नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान योग्य उम्मीदवारों को छोड़कर सेवानिवृत्ति की आयु के निकट पहुंचे 55 साल के उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठते रहे हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा सहायक प्राध्यापकों के 13 पदों पर अपात्रों की नियुक्ति के बाद मामला उच्च शिक्षा विभाग और सरकार तक पहुंचा था। छानबीन समिति की जांच में कई चयनित सहायक प्राध्यापकों के पास इस पद के लिए जरूरी नेट और पीएचडी भी उपाधि न होने का खुलासा हुआ था। वहीं कुछ चयनित सहायक प्राध्यापक मूल रूप से मध्यप्रदेश के निवासी नहीं थे इसके बावजूद नियम को शिथिल किया गया था।
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हाईकोर्ट में केस फिर भी जल्दबाजी
अटलबिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में आरएसएस और अखिल विद्यार्थी परिषद से जुड़े लोगों को प्राथमिकता के आरोप भी लगे थे। इस मामले को लेकर नियुक्ति से वंचित उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। उनकी याचिका अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
इन पर अब तक निर्णय नहीं आया है और सुनवाई चल रही है। इस बीच हिंदी विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा कार्य परिषद की बैठक के एजेंडे में नियमितीकरण का प्रस्ताव शामिल करने की तैयारी कर ली है। जिससे आरोपों में घिरी नियुक्ति प्रक्रिया के जरिए चयनित सहायक प्राध्यापकों को नियमित करने की विश्वविद्यालय प्रबंधन की मंशा फिर सामने आ गई है।
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राज्यपाल से लगाई रोक की गुहार
कार्य परिषद के मिनिट्स में सहायक प्राध्यापकों के नियमितिकरण का प्रस्ताव शामिल किए जाने की शिकायत राजभवन तक पहुंच गई है। एक याचिकाकर्ता ने हिंदी विश्वविद्यालय प्रबंधन की तैयारी पर सवाल उठाए है।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय हाईकोर्ट का निर्णय आने से पहले सहायक प्राध्यापकों का नियमितिकरण करना चाहता है। क्या यह हाईकोर्ट की अवमानना का मामला नहीं है। याचिकाकर्ता ने राज्यपाल से इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर ईसी से इस प्रस्ताव को बाहर करने की मांग की है।
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