छत्तीसगढ़ में एक और सरकारी दवा निकली अमानक, इंजेक्शन भी निकला बेकार

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा खरीदी गई एक और दवा अमानक हो गई है। इसकी कमी से मिर्गी के इलाज में परेशानी आ सकती है। (फेनिटोइन सोडियम) नामक रसायन के इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध थी।

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VINAY VERMA
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Photograph: (the sootr)

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CG Newsछत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा खरीदी गई एक और दवा अमानक हो गई है। इसकी कमी से मिर्गी के इलाज में परेशानी आ सकती है। यह दवा phenytoin sodium (फेनिटोइन सोडियम) नामक रसायन के इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध थी, जो मिर्गी के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।

प्रदेश सरकार ने हाल ही में छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉरपोरेशन (CGMSC) के जरिए इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही सभी जिलों के CMHO (Chief Medical Health Officer) और मेडिकल कॉलेजों को इसे वापस करने का आदेश दिया है।

पहले से थी अमानक पाया गया था इंजेक्शन 

छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉरपोरेशन द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, phenytoin sodium इंजेक्शन पहले ही परीक्षण में अमानक पाया गया था। इसे सिस्टोग्राम लैबोरेट्रीज लिमिटेड द्वारा सप्लाई किया गया था। इस इंजेक्शन को पहले की जांच में भी अस्वीकार्य पाया गया था और उसे समय के लिए अस्पतालों में वितरण पर रोक लगा दी गई थी।

इसके बाद फिर से की पूर्ण गुणवत्ता की जांच की गई, जिसमें इसे फिर से अमानक घोषित किया गया है। इसके बाद, इसे अस्पतालों में वितरण से रोकते हुए गोदाम में वापस भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

यह इंजेक्शन मिर्गी के रोगियों को दी जाती है और कभी-कभी जीवनभर दी जाती है, ताकि वे झटकों से बच सकें। अब सवल उठ रहा है कि इस दवा को अस्पतलों में क्यों भेजा, जबकि इसके सैम्पल पहले ही फेल हो गए थे।

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अमानक दवाइयों की सूची लंबी

यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में अमानक दवाओं का मामला  सामने आया है। छत्तीसगढ़ में पहले भी कई दवाइयां अमानक घोषित हो चुकी हैं। इनमें पेंटाप्रजोल (गैस की दवा), प्रेगनेंसी डायग्नोस्टिक कीट, इंट्रावीनस ड्रिप सेट, पैरासिटामॉल, एजेंथ्रामाइसिन और सीफोबेज्यिम जैसे एंटीबायोटिक शामिल हैं।

इन दवाओं के अमानक होने के बाद भी सीजीएमएससी (Chhattisgarh Medical Services Corporation) और छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस मुद्दे पर सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं।

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समस्या का समाधान क्यों नहीं?

हालांकि, छत्तीसगढ़ में सीजीएमएससी का गठन राज्य के अस्पतालों में समय पर गुणवत्ता युक्त दवाइयां भेजने के लिए किया गया था, लेकिन अब तक इस प्रणाली में कई खामियां सामने आ चुकी हैं। पहले से ही जांच में फेल हुई दवाओं का अस्पतालों में भेजा जाना और मरीजों को इलाज देने के दौरान शिकायतों का आना एक गंभीर चिंता का विषय है।

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