नील तिवारी, JABALPUR. पीएसएम कॉलेज के नाम से प्रसिद्ध जबलपुर के प्रगत शिक्षा अध्ययन संस्थान के प्राचार्य आरके स्वर्णकार को लगातार नियमों और आदेशों की अनदेखी और अपने पद का दुरुपयोग कर मनमानी करना भारी पड़ गया और प्राचार्य सस्पेंड कर दिए गए। लगातार कई मामलों में अधीनस्थ शिक्षकों को परेशान करने, अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर के आदेश जारी करने से भी प्राचार्य स्वर्णकार को कभी हिचकिचाहट तक नहीं हुई। तभी तो इनपर पिछले 4 सालों से अध्यापकों सहित कर्मचारी संघ लगातार अनियमितताओं के आरोप लगाते आ रहे हैं। आखिरकार प्राचार्य की हिम्मत इतनी बढ़ गई की अधीनस्थ शिक्षकों के बाद उन्होंने उच्च अधिकारियों के आदेशों की भी अनदेखी करना शुरू कर दी ।
मनमर्जी से देते थे निलंबन और वेतनवृद्धि रोकने के आदेश
आरके स्वर्णकार को निलंबित करने के पहले लगातार अधिकारियों द्वारा कार्यप्रणाली सुधारने आदेशित किया जाता रहा है। कमिश्नर कार्यालय के संज्ञान मे ऐसे कई मामले आए जिसमे पहले तो आरके स्वर्णकार ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया और उसके बाद उच्च अधिकारियों से निर्देश मिलने बाद भी जानबूझ कर कार्यवाही में देरी की, ताकि पीड़ित शिक्षक परेशान होता रहे। उस वक्त भी कमिश्नर कार्यालय ने स्वर्णकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उनके जवाब से संतुष्ट ना होने पर साल 2023 में सजा के तौर पर उनकी 1 वेतन वेतनवृद्धि भी रोक दी गई थी।
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पहला मामलाः
नरसिंहपुर के धमेटा विकासखण्ड चीचली में माध्यमिक शिक्षक इन्द्र भूषण सिंह राजपूत को 2021 में बिना किसी ठोस कारण के निलंबित कर दिया गया। वर्ष 2022 मे आरके स्वर्णकार को संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर का प्रभार मिला पर कई आवेदनों के बाद भी उन्होंने इंद्रभूषण के निलंबन में कोई सुनवाई नहीं की। इंद्रभूषण ने इसकी शिकायत कमिश्नर कार्यालय में की और जांच में सामने आया कि संयुक्त संचालक स्वर्णकार द्वारा जानबूझकर देरी की गई है। तब कमिश्नर कार्यालय के दखल के बाद शिक्षक इंद्रभूषण की बहाली हुई और स्वर्णकार की एक वेतन वृद्धि रोकने का दंड भी दिया गया था।
दूसरा मामलाः
प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान की लेक्चरर डॉ. ज्योति खरे बीएड की कक्षा शिक्षिका थीं। उन पर यह कहते हुए कार्यवाही की गई कि कक्षा में उनके द्वारा ली गई उपस्थिति का रजिस्टर प्रभारी द्वारा ली गई उपस्थिति से मेल नहीं रखता। जिसके बाद डॉ. खरे पर कार्रवाई कर उनकी विभागीय पदोन्नति पर रोक दी गई। डॉ. ज्योति खरे ने इसके खिलाफ विभाग मे अपील की और इस बार भी आरके स्वर्णकार की ही गलती सामने आई इसमें उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह आदेश जारी किया था। इस मामले मे विभाग ने स्वर्णकार को कार्यप्रणाली सुधारने के निर्देश दिए थे।
तीसरा मामलाः
इसी संस्थान की अध्यापक मेघना सिंह ठाकुर पदस्थ हुए 5 माह ही हुए थे और उनके खिलाफ भी वेतन वृद्धि रोकने का आदेश स्वर्णकार ने जारी कर उनकी सर्विस बुक में इसकी प्रविष्टि कर दी थी। जिसकी जांच के बाद सामने आया की आरके स्वर्णकार को प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के खिलाफ ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार ही नहीं है। अपने पद के दुरुपयोग और मनमर्जी करने आदेश आदेश न मानने का दोषी पाया गया और आरके स्वर्णकार को मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1965 में कदाचरण का दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया गया। इनकी जगह अब यह प्रभार डॉ. राम मोहन तिवारी को दिया गया है जो अगले आदेश तक अस्थाई रूप से प्रगत प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान के प्राचार्य रहेंगे।
राम मनोहर भी नहीं हैं दूध के धुले
आपको बात दें कि राम मनोहर तिवारी ही पहले लोक शिक्षण के संयुक्त संचालक जो वर्ष 2021 मे लोकयुक्त द्वारा 21 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे। उनके इस पद से हटने के बाद ही आरके स्वर्णकार को प्रभार मिला था और अब स्वर्णकार के फंसने पर राम मनोहर को उनका प्राचार्य पद का प्रभार मिल गया। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जल्द ही स्वर्णकार भी वापस आएंगे बस किसी और के किसी नए प्रकरण में फंसने का इंतजार है।