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मध्यप्रदेश सरकार के नए पदोन्नति नियम 2025 के खिलाफ विरोध बढ़ गया है। मंत्रालय में आज यानी 25 जून से अफसरों और कर्मचारियों ने काली पट्टी पहनकर काम शुरू किया। यह विरोध सरकार द्वारा जारी नियमों के खिलाफ है। नए नियमों में आरक्षित वर्ग को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। इससे अनारक्षित वर्ग के अधिकारियों को पदोन्नति के अवसर कम मिलेंगे।
सपाक्स ने बुलाई बैठक
सपाक्स (स्पीक) ने इस मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति तैयार करने के लिए 29 जून को बैठक बुलाई है। इस बैठक में विभिन्न कर्मचारी और अधिकारी संगठन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। सपाक्स का कहना है कि अनारक्षित वर्ग के अधिकारियों को उचित सम्मान और पदोन्नति के अवसर मिलने चाहिए।
अधिकारियों का तर्क
मंत्रालय अधिकारी कर्मचारी सेवा संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा कि नए नियमों के तहत 36 प्रतिशत पद आरक्षित वर्ग के लिए निर्धारित किए गए हैं। इसके बावजूद, अनारक्षित वर्ग के अधिकारी महसूस कर रहे हैं कि उनकी अनदेखी की जा रही है। नायक ने सवाल उठाया कि अगर आरक्षित वर्ग के अधिकारी उच्च पदों पर रहते हैं, तो क्या सामान्य और पिछड़े वर्ग समाज के विकास में योगदान नहीं करते?
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मंत्रालय में आरक्षित पदों की स्थिति
वर्तमान में मंत्रालय के कई पदों पर आरक्षित वर्ग के अधिकारी नियुक्त हैं। अंडर सेक्रेटरी के 65 पदों में से 58 पर आरक्षित वर्ग के अधिकारी हैं। वहीं, उप सचिव के सभी 14 पदों पर आरक्षित वर्ग के अधिकारी हैं।
सपाक्स की आगामी बैठक
सपाक्स के अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर ने बताया कि 24 जून को मंत्रालय में बैठक हुई। बैठक में अनारक्षित वर्ग के अधिकारों के उल्लंघन वाले प्रावधानों की जानकारी दी गई। तोमर ने कहा कि सरकार अनारक्षित वर्ग की बात नहीं सुनना चाहती। अब इस वर्ग के पास आंदोलन और अदालत जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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