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मप्र लोक सेवा आयोग के बाहर दिसंबर 2024 में महाआंदोलन हुआ था। इस महाआंदोलन के नेतृत्वकर्ता राधे जाट थे। राधे जाट के खिलाफ संयोगितागंज पुलिस ने बाउंडओवर की कार्रवाई की थी। बता दें कि राधे जाट पर बाउंडओवर की कार्रवाई विवादों में आ चुकी है। मामला अब हाईकोर्ट इंदौर के पास पहुंच गया है।
हाईकोर्ट ने लगाई डीसीपी कोर्ट कार्रवाई पर रोक
हाईकोर्ट ने इस मामले में जाट के अधिवक्ता जयेश गुरनानी का पक्ष सुना। इसके बाद डीसीपी जोन 3 की कोर्ट पर आगे प्रोसीडिंग पर रोक लगा दी है। साथ ही इसमें अगली सुनवाई पर शासन पक्ष से जवाब मांगा गया है।
डीसीपी और एएसआई को बनाया है पक्षकार
पीएससी आंदोलन के बाद इस मामले में संयोगिता पुलिस ने जाट को आदतन अपराधी बताया था। इसके साथ ही, राधे जाट को बाउंडओवर के लिए नोटिस जारी किए थे। लेकिन संयोगितागंज पुलिस के सहायक उप निरीक्षक ASI भरत सिंह के बयान ही DCP जोन 3 हंसराज सिंह की कोर्ट में प्रतिपरिक्षण में फेल हो गए। इसमें डीसीपी कोर्ट ने कार्रवाई नहीं की। इस पर अब याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। याचिका में डीसीपी, एएसआई दोनों को पार्टी बनाया गया।
यह हुआ पूरा विवाद
राधे जाट के बाउंडओवर के लिए डीसीपी जोन 3 हंसराज सिंह की कोर्ट में केस पेश हुआ। इस दौरान दस्तावेज पेश हुए। इसमें दस्तावेज पेश करने वाले एएसआई भरत सिंह के 28 मई को बयान हुए। इस पर राधे जाट के अधिवक्ता जयेश गुरनानी ने क्रॉस किया। इसमें सिंह से पूछा गया कि इस दस्तावेज में सील टीआई की है, तो क्या साइन भी उन्हीं की है। इस पर सिंह ने मना कर दिया और बताया गया कि सील उनके द्वारा लगाई गई है। दस्तावेज पी2 व पी 4 में हस्ताक्षर की कूटरचना है। वहीं पी 1 में एएसआई दिलीप सिंह की साइन है। जो टीआई नहीं है।
सिंह पर केस करने का लगा आवेदन
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जयेश गुरनानी ने डीसीपी कोर्ट में आवेदन दिया। आवेदन में लिखा कि कानून के अनुसार कोर्ट में बयान गलत साबित होने पर गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होता है। तत्काल गिरफ्तारी होती है। ऐसे में सिंह के बयान से साफ है कि कूटरचित हस्ताक्षर से यह केस पेश हुआ है तो उन पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
ASI सिंह ने लगाया आवेदन, फिर से परीक्षण हो
इसी दौरान लगे इस आवेदन से हड़कंप मच गया। तत्काल सिंह ने डीसीपी को एक आवेदन दिया है। आवेदना में कहा गया कि मुझसे प्रतिपरिक्षण में घुमा घुमाकर सवाल पूछे गए। मैंने उस समय चश्मा भी नहीं पहना था। मेरी तबीयत भी खराब थी, इसलिए हड़बड़ाहट में कुछ प्रश्नों के उतर भूलवश गलत दे दिए गए। इसलिए न्यायहित में फिर प्रति परिक्षण कराया जाए। इसके बाद डीसीपी कोर्ट से नोटिस जारी हुए। इसमें सिंह के आवेदन को मंजूर करते हुए 6 जून को फिर से प्रतिपरिक्षण के लिए केस लगाया गया। इसके लिए जाट और उनके अधिवक्ता को नोटिस दिए गए। लेकिन उनका तर्क है कि एक बार प्रतिपरिक्षण होने के बाद फिर से नहीं हो सकते हैं। एक सीनियर पुलिस अधिकारी द्वारा जूनियर पुलिस अधिकारी का बचाव किया जा रहा है। साथ ही हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
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