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कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भोपाल की एक अदालत ने समन जारी किया है, जिसमें उन्हें 9 मई को पेश होने का आदेश दिया गया है। यह मामला 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए उनके बयान से संबंधित है, जिसमें उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम पनामा पेपर्स में शामिल होने का आरोप लगाया था।
क्या है मामला
29 अक्टूबर 2018 को झाबुआ में आयोजित एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि पनामा पेपर्स में शिवराज सिंह चौहान और उनके बेटे कार्तिकेय का नाम शामिल है। हालांकि, बाद में उन्होंने शिवराज सिंह चौहान पर दिए गए बयान का खंडन किया, लेकिन कार्तिकेय के बारे में कही गई बात को नहीं सुधारा। इससे कार्तिकेय सिंह चौहान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा, जिसके चलते उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।
9 मई को पेश होने का आदेश
इस मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट तथागत याग्निक ने समन जारी किया है, जिसमें राहुल गांधी को 9 मई को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। मामला अब तक अनरजिस्टर्ड था, लेकिन कोर्ट ने इसे दर्ज कर लिया है।
पनामा पेपर्स क्या है
- पनामा मध्य और दक्षिण अमेरिका के बीच स्थित एक देश है। इसी देश की एक लॉ फर्म मोसेक फोंसेका थी, जिसकी स्थापना 1977 में हुई थी। यह कंपनी दुनियाभर में 2 लाख से अधिक कंपनियों के साथ एजेंट के रूप में काम कर रही थी।
- मोसेक फोंसेका के लाखों गोपनीय दस्तावेज लीक हुए, जिसे दुनिया भर में पनामा पेपर्स लीक के नाम से जाना गया। यह लीक 2016 में सामने आया और इसमें वित्तीय अनियमितताओं और टैक्स चोरी का खुलासा हुआ।
- लीक हुए ये दस्तावेज सबसे पहले जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung (SZ) को प्राप्त हुए, जिसने यह डेटा इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) को सौंप दिया।
- ICIJ के 78 देशों के 107 मीडिया संगठनों और 400 से अधिक पत्रकारों ने इन दस्तावेजों की जांच की और पाया कि 1977 से 2015 तक हजारों ऑफशोर कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी की गई थी।
- इस जांच के बाद, 2016 की शुरुआत में ICIJ ने सार्वजनिक रूप से खुलासा किया कि दुनिया के 193 देशों के कई राजनेता, व्यापारी और सेलेब्रिटीज टैक्स हेवन देशों में अपनी संपत्ति छिपाने के लिए इन कंपनियों का इस्तेमाल कर रहे थे।
- पनामा पेपर्स लीक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, बेनज़ीर भुट्टो, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक और सीरिया के राष्ट्रपति बशर अलअसद जैसे 140 से अधिक ताकतवर राजनेताओं के नाम शामिल थे।
- इस सूची में करीब 500 भारतीयों के नाम भी थे, जिनमें अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, डीएलएफ के केपी सिंह, इंडिया बुल्स के समीर गहलोत और अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी जैसी प्रमुख हस्तियों के नाम शामिल थे।
- इस खुलासे ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया और कई देशों में इसके राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव देखने को मिले।
- पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस घोटाले के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा।
- इस लीक के बाद कई देशों ने अपने नागरिकों की ऑफशोर कंपनियों और टैक्स चोरी की जांच शुरू की, जिससे कई नए खुलासे हुए और वित्तीय पारदर्शिता पर वैश्विक बहस छिड़ गई।
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शॉर्ट में समझें
पनामा पेपर्स 2016 में लीक हुए दस्तावेजों का एक बड़ा संग्रह है, जिसमें कई प्रमुख व्यक्तियों और कंपनियों के ऑफशोर वित्तीय लेनदेन का खुलासा हुआ था। इन दस्तावेजों में भारतीय राजनेताओं, व्यवसायियों और फिल्मी हस्तियों के नाम भी शामिल थे। हालांकि, शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम पनामा पेपर्स में नहीं पाया गया था।
24 घंटे के भीतर ही पलट गए थे राहुल गांधी
राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और इसे कांग्रेस की निराधार राजनीति का उदाहरण बताया था। वहीं, कांग्रेस ने इसे चुनावी माहौल में हुई एक सामान्य गलती के रूप में प्रस्तुत किया था। इस बयान के 24 घंटे के भीतर ही राहुल गांधी ने अपनी सफाई दे दी थी। मध्य प्रदेश में पत्रकारों के साथ गैरआधिकारिक बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि बीजेपी शासित राज्यों में इतने घोटाले हुए हैं कि वह कन्फ्यूज़ हो गए थे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि उनसे गलती हो गई और वह अपने बयान को सही करना चाहते हैं।
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मानहानि के कानूनी पहलू
भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि एक दंडनीय अपराध है, जिसमें दोषी पाए जाने पर दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इस मामले में, कार्तिकेय सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी के बयान से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है, जो मानहानि के दायरे में आता है।
Conclusion
राहुल गांधी को जारी किया गया यह समन आगामी राजनीतिक घटनाक्रमों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि 9 मई को अदालत में पेशी के दौरान क्या रुख अपनाया जाता है और इसका आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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