देवराज चौहान@राजगढ़
जिले में मछली के कारोबार के नाम पर चल रहे रिश्वतखोरी के खेल का अंत आखिरकार लोकायुक्त के हाथों हुआ। महानिदेशक लोकायुक्त योगेश देशमुख के आदेश पर भोपाल लोकायुक्त टीम ने शनिवार 6 अप्रैल को इस भ्रष्टाचार के जाल को तोड़ते हुए आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया।
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शिकायत और कार्रवाई की शुरुआत
इंदौर के मछली व्यवसायी अनवर कादरी ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि राजगढ़ के कुंडलियां डेम में मछली पालन का वैध ठेका लेकर काम कर रहे हैं। वहां के मत्स्य महासंघ अधिकारी सुरेखा सराफ और आउटसोर्स कर्मचारी मुबारिक गौरी झूठी रिपोर्टों का हवाला देकर ठेका रद्द करवाने की धमकी दे रहे थे। इसके बदले में उन्होंने रिश्वत की मांग की थी। जब यह शिकायत लोकायुक्त के पुलिस अधीक्षक दुर्गेश राठौर तक पहुंची, तो तुरंत मामले की सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई और आरोप सही पाए गए। इसके बाद लोकायुक्त टीम ने कार्रवाई की योजना बनाई।
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लोकायुक्त की कार्रवाई
लोकायुक्त टीम ने निरीक्षक रजनी तिवारी के नेतृत्व में ट्रेप दल तैयार किया और शनिवार को मुबारिक गौरी को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। मुबारिक गौरी एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया। इस ताबड़तोड़ कार्रवाई में लोकायुक्त टीम के अन्य सदस्य निरीक्षक घनश्याम मर्सकोले, प्रधान आरक्षक रामदास कुर्मी, नेहा परदेसी, आरक्षक मुकेश परमार, विनोद यादव और चैतन्य प्रताप सिंह भी शामिल रहे।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम
इस कार्रवाई के बाद मुबारिक गौरी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके अलावा, सुरेखा सराफ की भूमिका की भी गंभीरता से जांच की जा रही है, जिससे यह साफ हो गया है कि लोकायुक्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लोहे की तरह सख्त हैं और किसी भी कीमत पर घूसखोरी के मामलों को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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