रक्षाबंधन पर बाबा महाकाल को बांधी वैदिक राखी, जानिए क्यों है ये राखी खास

सावन के आखिरी सोमवार को बाबा महाकाल लकर मुखारविंद स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी सवारी में शामिल होंगे। बाबा की सवारी शाम 4 बजे निकाली जाएगी।

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Deeksha Nandini Mehra
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रक्षाबंधन पर बाबा महाकाल को बांधी वैदिक राखी
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Sawan Somwar Rakshabandhan 2024 : सावन के आखिरी सोमवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर (Ujjain Mahakal Temple ) में बाबा महाकाल का विशेष श्रंगार किया गया। पुजारियों द्वारा बाबा महाकाल (Baba Mahakal) को  वैदिक राखी बांधी गई है। इसके बाद  भस्मारती की गई। इस दौरान मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त मौजूद थे। आखिरी सोमवार को रात 2.30 बजे से मंदिर के पट खोल दिए गए थे।

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बाबा की सवारी में आज सीएम यादव होंगे शामिल 

सावन के आखिरी सोमवार को बाबा महाकाल की अंतिम सवारी निकाली जाएगी। इस दौरान बाबा महाकाल शाम 4 बजे होलकर मुखारविंद स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सावन के पांचवें और आखिरी सोमवार को महाकाल की सवारी में मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल होंगे। इसके साथ ही सीआरपीएफ बैंड भी साथ चलेगा।

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आज रात 10:30 बजे तक होंगे दर्शन 

महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए भक्त रविवार रात से ही कतार में लगना शुरू हो गए थे। भस्म आरती के लिए रविवार-सोमवार की दरमियानी रात 2.30 बजे पट खोल दिए गए। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि दर्शन का सिलसिला आज रात 10.30 बजे तक चलता रहेगा। 4 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना है।

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वैदिक राखी क्या है?

वैदिक राखी (Vedic Rakhi) वैदिक धर्मग्रंथों पर आधारित राखी की एक विशेष विधि है। इस दिन भक्त विशेष रूप से भगवान शिव या अन्य देवताओं की पूजा के दौरान राखी बांधते हैं। इसे आमतौर पर किसी धार्मिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में मनाया जाता है, जिसमें देवता की विशेष पूजा और श्रृंगार किया जाता है।

महाकाल को बांधी गई वैदिक राखी का शास्त्रों में बड़ा महत्व है। इसमें लोंग, इलायची, तुलसी के पत्ते, बिल्ब पत्र जड़े रहते हैं। इसे मंत्रों द्वारा बनाया जाता है। यह राखी भगवान को बांधकर देश और विश्व के कल्याण की मनोकामना की जाती है। यह राखी पुजारी परिवार की महिलाएं बनाती हैं। 

वैदिक राखी का महत्व

धार्मिक श्रद्धा: वैदिक राखी का मुख्य उद्देश्य धार्मिक श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करना होता है। यह विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के दौरान की जाती है, जिससे भक्तों को पुण्य प्राप्त होता है और उनकी श्रद्धा का प्रतीक होता है।

धार्मिक एकता: यह परंपरा धार्मिक एकता और समुदाय की भावना को प्रोत्साहित करती है। भक्त एक साथ आकर पूजा करते हैं और समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।

धार्मिक अनुष्ठान: वैदिक राखी को वैदिक नियमों के अनुसार विशेष विधि से बांधा जाता है, जो कि धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करता है। यह विधि श्रद्धालुओं को धार्मिकता और धार्मिक अनुशासन की याद दिलाती है।

पुण्य लाभ: इस दिन भगवान शिव या अन्य देवताओं की विशेष पूजा और श्रृंगार के माध्यम से भक्तों को पुण्य प्राप्त होता है और उनके जीवन में शुभता और समृद्धि की कामना की जाती है।

समर्पण और भक्ति: वैदिक राखी भक्तों के समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। यह पूजा व्यक्ति के आस्थाओं को प्रकट करने और भगवान के प्रति समर्पण को दर्शाने का एक तरीका है।

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