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Ayodhya Ram Mandir construction:भारत के आध्यात्मिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। हाल ही में आयोजित माइनिंग कॉन्क्लेव में, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के एमडी संजीव कुमार सिंह ने एक जरूरी जानकारी साझा की जिसने सबका ध्यान खींचा। उन्होंने बताया कि अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर के निर्माण में मध्य प्रदेश की खदानों से निकले तांबे का उपयोग किया गया है।
CM मोहन यादव ने भी इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की सराहना की। उन्होंने कहा कि तांबा एक ऐसी धातु है जिसका मानव जीवन के साथ सदियों से गहरा संबंध रहा है और यह संबंध सोने और चांदी से कहीं बढ़कर है। यह बात साबित करती है कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोने में हर राज्य का अपना एक विशेष महत्व है।
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड का योगदान
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने राम मंदिर निर्माण के लिए 32 टन तांबा दान किया है। यह कोई साधारण दान नहीं है बल्कि यह मंदिर की संरचनात्मक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए एक वैज्ञानिक और महत्वपूर्ण योगदान है।
कंपनी ने 70 हजार कॉपर स्ट्रिप्स और 775 कॉपर वायर की रॉड्स मंदिर में लगे पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए आपूर्ति की थीं। यह तांबा 99% शुद्धता और इलेक्ट्रो-रिफाइंड कैटेगरी का है, जो तांबे का सबसे शुद्धतम रूप माना जाता है।
इस उच्च गुणवत्ता वाले तांबे का उपयोग यह सुनिश्चित करेगा कि मंदिर की नींव और स्ट्रक्चर हजारों वर्षों तक मजबूती से बनी रहे। तांबे की यह खासियत है कि यह जंग से रेसिस्टेंट होता है, जिससे पत्थरों को जोड़ने वाले जॉइंट्स समय के साथ कमजोर नहीं होंगे।
मध्यप्रदेश की खदानों की खासियत
मध्यप्रदेश भारत के प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यों में से एक है। यहां की खदानें न केवल तांबे के लिए, बल्कि हीरे और मैंगनीज जैसे अन्य खनिजों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की मलांजखंड खदान मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित है, जो भारत की सबसे बड़ी तांबे की खदानों में से एक है। इस खदान से निकलने वाला तांबा अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने भी इस कॉन्क्लेव में कहा कि सरकार मध्य प्रदेश को तांबा उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि देश के खनिज उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
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राम मंदिर का निर्माण
राम मंदिर का निर्माण केवल एक धार्मिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है। इस भव्य मंदिर के निर्माण में देश के अलग-अलग हिस्सों से सामग्री और विशेषज्ञता का उपयोग किया गया है।
राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर, कर्नाटक और महाराष्ट्र से ग्रेनाइट और अब मध्य प्रदेश की खदानों से तांबा, ये सभी दर्शाते हैं कि यह मंदिर पूरे भारत के योगदान से बना है।
मंदिर के निर्माण में देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान का भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह दर्शाता है कि यह मंदिर पूरे देश के लोगों की आस्था और विश्वास का परिणाम है।
अयोध्या का राम मंदिर एक ऐसा स्मारक है जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि भारतीय शिल्प कौशल, इंजीनियरिंग और राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है।
मध्य प्रदेश की खदानों से निकले शुद्ध तांबे का उपयोग इस मंदिर की नींव को और मजबूत करेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यह भव्य संरचना सदियों तक खड़ी रहेगी।
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