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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL.मध्यप्रदेश सरकार ने भगवान श्रीराम से जुड़े वनगमन पथ पर इस बार भव्य दीपोत्सव आयोजित करने का फैसला लिया है। दीपावली से पहले इन जिलों में दीपमालाओं से रोशनी बिखरेगी और प्रदेश राममय वातावरण में सराबोर होगा।
सरकार ने इसकी जिम्मेदारी संबंधित जिलों के कलेक्टरों को दी है, जो स्थानीय परंपराओं और महत्व को देखते हुए स्थान और दिन तय करेंगे। संस्कृति विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन आयोजनों को सिर्फ एक पर्व तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे धार्मिक पर्यटन से जोड़ा जाएगा, ताकि प्रदेश की पहचान राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर मजबूत हो।
गौरतलब है कि सरकार राम वनगमन पथ को धार्मिक-सांस्कृतिक सर्किट के रूप में विकसित कर रही है। इसके लिए स्थान का चयन और सर्वेक्षण का काम डेढ़ महीने में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद इन स्थानों पर सांस्कृतिक आयोजन होंगे, जिससे एक तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और दूसरा, स्थानीय लोगों को गर्व का अनुभव होगा कि प्रभु श्रीराम उनके इलाके से होकर गुजरे थे।
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किन जिलों में होगा दीपोत्सवसतना (चित्रकूट): स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई और रामसेल। |
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी हैं श्रीराम
इधर, कार्यक्रमों के सिलसिले में विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास भोपाल के तत्वावधान में दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट में ‘अरण्यवासी श्रीराम व्याख्यानमाला - शाश्वतम्’ का आयोजन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर भगवान श्रीराम के जीवन, उनके संदेश और आदर्शों को आधुनिक समाज और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया गया।
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मर्यादा और धर्म पर आधारित है राम का जीवन
अध्यक्षीय उद्बोधन में अभय महाजन ने कहा कि राम का जीवन दर्शन मर्यादा और धर्म पर आधारित है। राम के आचरण से हर व्यक्ति को सत्य, करुणा और आत्मसंयम का पालन करना सीखना चाहिए। राम का नाम सभी आंतरिक बुराइयों को दूर करता है और समाज में नैतिक और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
नवलेश दीक्षित ने कहा, ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल चित्रकूट है। राम का जीवन सत्य, प्रेम, करुणा और समतामूलक समाज का संदेश देता है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भौतिकता की अंधी दौड़ में उलझे बिना आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को अपनाएं।
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कुलगुरु डॉ. भरत मिश्रा ने बताया कि राम ने समाज को स्वावलंबी और एकजुट बनाने का काम किया है। महंत सीताशरण दास ने कहा कि वनवास के माध्यम से राम ने सामाजिक समरसता स्थापित की और जनमानस को अपने आदर्शों से प्रेरित किया।
डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने चित्रकूट की महिमा को उजागर करते हुए कहा कि यह भूमि तप, त्याग और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। उन्होंने राम के जीवन दर्शन को केवल सिद्धांत नहीं बल्कि सत्य, धर्म और मानवतावादी मूल्यों का व्यावहारिक उदाहरण बताया।
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