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Ram Vanagaman Path Chitrakoot Photograph: (thesootr)
BHOPAL. भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट अब अपने गौरवशाली इतिहास को आधुनिकता के संगम से संवारने के लिए तैयार हो रहा है। वर्षों से विकास के नाम पर घोषणाओं की झड़ी लगती रही, लेकिन अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने चित्रकूट को विश्वस्तरीय धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाने के लिए 750 करोड़ रुपए की योजना को अमलीजामा पहनाने का संकल्प लिया है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार के इस कदम से चित्रकूट की पौराणिक महिमा पुनर्जीवित होगी। साथ ही यह तपोस्थली प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में शुमार होगी।
गौरतलब है कि 2007 से श्रीराम वनगमन पथ के विकास की योजनाएं फाइलों में उलझी रहीं। शिवराज सरकार में इसकी आधारशिला रखी गई। फिर कमलनाथ सरकार में वादे हुए। 2023 में शिवराज कैबिनेट में श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास को मंजूरी मिली, लेकिन सब चुनावी गणित में उलझ गया। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हालांकि अभी राम वनगमन पथ को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। किन-किन शहरों में विकास होगा, फिलहाल इसकी पुख्ता तैयारी नहीं है।
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80 एकड़ में बनेगा रामायण एक्सपीरियंस पार्क
चित्रकूट के कायाकल्प के लिए मोहन सरकार ने कार्ययोजना बनाई है। नगर में आधुनिक परिवहन सेवाओं के साथ-साथ 80 एकड़ में रामायण एक्सपीरियंस पार्क विकसित किया जाएगा, जिसमें 151 फीट ऊंची भगवान श्रीराम की भव्य मूर्ति स्थापित होगी। इसके अलावा 5डी और 3डी होलोग्राम तकनीक से रामायण काल की घटनाओं का जीवंत अनुभव कराया जाएगा। मल्टी फैसिलिटी सेंटर और ट्रैफिक कमांड सेंटर से सुगम यातायात की व्यवस्था करने का दावा है।
ये काम भी प्रस्तावित...
1000 संतों के लिए अध्यात्म-ध्यान केंद्र एवं सुविधायुक्त पर्णकुटियां।
आध्यात्मिक लाइब्रेरी, हर्बल गार्डन, गोशाला का निर्माण।
मंदाकिनी नदी पर 130 मीटर लंबा पुल और राघव प्रयाग घाट का पुनरुद्धार
24 करोड़ रुपए से हनुमान धारा में मल्टी फैसिलिटी सेंटर।
51 करोड़ से नयागांव में ट्रैफिक कमांड सेंटर, 11 करोड़ से सड़कों का चौड़ीकरण
रामायण कालीन स्थलों का सौंदर्यीकरण (मोकमगढ़ किला, सती अनुसुइया मंदिर, गुप्त गोदावरी, कामदगिरि परिक्रमा आदि)
पग-पग पर श्रीराम की निशानियां...
अयोध्या से प्रयागराज होते हुए चित्रकूट के बाद मध्यप्रदेश के सतना जिले की सीमा लगती है। 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में 11 वर्ष 11 माह और 11 दिन बिताए थे। इस तरह वनवास के बीच श्रीराम की लीलाएं एमपी के बड़े हिस्से में हुई हैं। इसके बाद यह पथ पन्ना, अमानगंज, कटनी, जबलपुर, मंडला, डिंडौरी, शहडोल होते हुए अमरकंटक तक जाता है। इसके आगे सरगुजा में सीता कुंड से छत्तीसगढ़ की सीमा लग जाती है। 2007 में श्रीराम वन गमन पथ की योजना बनाई गई थी। राम वनगमन पथ के विकास के लिए 18 साल से बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, लेकिन धरातल पर काम की रफ्तार कछुआ से भी धीमी है। अब माना जा रहा है कि जल्द इस दिशा में काम होगा।
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सनातन और पुरातन इतिहास भी जान लीजिए
इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में 6 मई 1997 को बांदा जनपद से काट कर छत्रपति शाहू महाराज नगर के नाम से नए जिले का सृजन किया गया था, जिसमें कर्वी और मऊ तहसीलें शामिल थीं। कुछ समय बाद 4 सितंबर 1998 को जिले का नाम बदलकर चित्रकूट कर दिया गया। यह उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में फैली उत्तरी विंध्य श्रृंखला में स्थित है। यहां का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्यप्रदेश के सतना में शामिल है।