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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. शिक्षा विभाग के गजब कारनामे किसी से छिपे नहीं है। कैसे अधिकारी विभाग के निर्देशों को अपने मुताबिक तोड़ते और बदल देते हैं। कैसे चहेतों कर्मचारियों के फायदे के लिए नियमों की अनदेखी की जाती है इसका नया कारनामा चौंकाने वाला है।
यह सब किसी दूरस्थ अंचल के जिले में नहीं बल्कि राजधानी में हो रहा है जहां शिक्षा विभाग के मंत्री और अधिकारी बैठते हैं। जहां स्कूल शिक्षा की सबसे बड़ी इकाई डीपीआई यानी लोक शिक्षण संचालनालय और राज्य शिक्षा केंद्र हैं।
इन तमाम अधिकारियों की मौजूदगी को दरकिनार कर विभाग ने ऐसा कारनामा कर दिया है कि जिस पर सफाई देना भी मुश्किल है। अफसरों की इस कारगुजारी और शिक्षक की पदोन्नति को लेकर सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी जा चुकी है, लेकिन जवाब नहीं दिया गया। वहीं विभाग को भेजी गई शिकायतों पर भी जिम्मेदार चुप्पी साधे हैं।
हम बात कर रहे हैं शिक्षा विभाग, प्रौढ़ शिक्षा और राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियों की लापरवाही की। राजधानी भोपाल में एक व्याख्याता को अधिकारियों ने पांच-पांच दायित्व सौंप दिए हैं। जिस व्याख्याता को ये दायित्व सौंपे गए है उन पर पहले भी गड़बड़ियों के आरोप लगते रहे हैं।
इसी के चलते वे पहले भी इन पदों से हटाए भी गए हैं, लेकिन अधिकारियों ने सारी गड़बड़ी, हर शिकायत को दरकिनार कर उन्हें मनपसंद जिम्मेदारी सौंपना जरूरी समझा है।
यह तब किया गया है जबकि शिक्षकों की कमी को देखते हुए विभाग बार-बार अटैचमेंट पर रोक लगाने के आदेश जारी कर रहा है। सवाल ये है कि विभाग शिक्षकों को पढ़ाई में बाधक बनने वाले दायित्व नहीं देना चाहता तो वो कौन से अधिकारी हैं जो चहेते व्याख्याता को पांच-पांच जिम्मेदारी सौंप रहे हैं।
पढ़ाने की जिम्मेदारी से दूरी
उच्च माध्यमिक शिक्षक रामकिशोर यादव संस्कृत विषय के व्याख्याता हैं। मूल रूप से उनकी पोस्टिंग राजधानी भोपाल के महात्मा गांधी हायर सेकेण्डरी स्कूल में है लेकिन वे यहां केवल वेतन लेने ही पहुंचते हैं। बच्चों को पढ़ाने से उनका कोई सरोकार नहीं है।
रामकिशोर यादव शिक्षा विभाग के साथ ही प्रौढ़ शिक्षा और राज्य शिक्षा केंद्र में भी गहरी पैठ बनाए हुए हैं। इसी वजह से उन्हें एक साथ कई जिम्मेदारियां दी गई हैं। यादव भोपाल के डीपीसी हैं, उनके पास जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी का दायित्व है। वे जहांगीराबाद हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्य का प्रभार भी संभाल रहे हैं और एक्सीलेंस स्कूल में एनसीसी अधिकारी की पोस्ट पर भी जमे हुए हैं।
एक साथ पांच दायित्व हाथ में लेने का खामियाजा जहां दो स्कूलों के छात्र और एनसीसी कैडेट भुगत रहे हैं वहीं जिला परियोजना, प्रौढ़ शिक्षा और जहांगीराबाद संकुल की व्यवस्थाओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इस मनमानी व्यवस्था की कई शिकायत कलेक्टर, डीपीआई, राज्य शिक्षा केंद्र तक पहुंच चुकी हैं लेकिन अधिकारियों का संरक्षण होने से यादव पांच पदों पर कब्जा जमाए हुए हैं।
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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर...👉 शिक्षा विभाग में गड़बड़ियां: मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है, जहां एक व्याख्याता, रामकिशोर यादव, को पांच-पांच जिम्मेदारियां सौंप दी गईं, जबकि उन पर पहले भी गड़बड़ियों के आरोप लग चुके हैं। 👉 रामकिशोर यादव का प्रभाव: रामकिशोर यादव को पांच दायित्व दिए गए हैं, जिनमें डीपीसी, जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी, जहांगीराबाद हायर सेकेंडरी स्कूल का प्राचार्य और एनसीसी अधिकारी शामिल हैं, लेकिन यह सब तिकड़मबाजी के कारण हुआ है। 👉 अधिकारियों से साठगांठ: यादव ने अपने प्रभाव और अधिकारियों से साठगांठ कर विभिन्न पदों पर कब्जा किया। उन्होंने कई पदों को हथियाने के लिए मौके का फायदा उठाया, जैसे कि डीपीसी का प्रभार और जिला शिक्षा अधिकारी का दायित्व। 👉 नियमों की अनदेखी और शिकायतें: यादव पर नियमों की अनदेखी, मनमानी पोस्टिंग और शिक्षकों के तबादलों में गड़बड़ी के आरोप हैं। कलेक्टर ने उनके खिलाफ जांच और फटकार भी लगाई थी, बावजूद इसके वे पदों पर बने हुए हैं। 👉 शिक्षकों की परेशानियां: यादव के द्वारा पांच पदों की जिम्मेदारी उठाने से जहां दो स्कूलों के छात्र और एनसीसी कैडेट प्रभावित हो रहे हैं, वहीं अन्य विभागों की कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ रहा है। शिक्षकों द्वारा उनकी मनमानी के खिलाफ लगातार शिकायतें की जा रही हैं। |
पद हथियाने बार-बार साजिश
बीएचईएल के महात्मा गांधी हायर सेकेण्डरी स्कूल में संस्कृत विषय के व्याख्याता रामकिशोर यादव वहां एनसीसी के प्रभारी है। यह उनकी मूल पोस्टिंग है। साल 2022 में यादव ने अपने प्रभाव का उपयोग कर डीपीसी का प्रभार भी हथिया लिया था।
हालांकि चंद महीने बाद ही डीपीसी के पद पर सीमा गुप्ता की विभागीय पोस्टिंग होने से यादव से यह पद छिन गया। हांलाकि कुछ ही महीने बाद सीमा गुप्ता की आकस्मिक मौत के कारण यादव को यह मौका फिर मिल गया।
यादव डीपीसी के साथ ही जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी का दायित्व हासिल करने में भी कामयाब हो गए। अचानक विभागीय परीक्षा से चयनित ओपी शर्मा की पोस्टिंग से यादव को एक बार फिर डीपीसी का पद छोड़ना पड़ा।
डीपीसी का पद छूटने से दुखी रामकिशोर यादव ने नवम्बर 2024 में जहांगीराबाद गर्ल्स हायर सेकेण्डरी स्कूल की महिला प्राचार्य की सेवानिवृत्ति का फायदा उठाया। यादव शिक्षा विभाग में अपनी पहुंच के सहारे संकुल प्राचार्य का प्रभार हासिल करने में कामयाब हो गए।
अब यादव दो स्कूलों में एनसीसी अधिकारी के अलावा जहांगीराबाद संकुल का प्रभार और डीपीसी और प्रौढ शिक्षा अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर विभागों से आने वाली राशि की बंदरबाट कर रहे हैं। वहीं शिक्षक भी उनकी मनमानी से परेशान हैं।
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दोहरी पदोन्नति पर भी हैं सवाल
रामकिशोर यादव को पांच पदों का दायित्व विशेष योग्यता से नहीं बल्कि तिकड़मबाजी से मिला है। हर पद को हथियाने के पीछे यादव ने मौके का फायदा उठाया है। इसमें डीपीआई और राज्य शिक्षा केंद्र में बैठे उनके राजदार अधिकारी मददगार रहे हैं।
2022 में डीपीसी का पद खाली देख यादव ने अधिकारियों से साठगांठ कर इसका प्रभार हथिया लिया था जबकि वे इस पद की योग्यता नहीं रखते थे। यादव को साल 1998 में शिक्षक वर्ग-3 पर नियुक्ति मिली थी। उनके साथी शिक्षक अब तक केवल एक पदोन्नति ही हासिल कर पाए हैं और यादव दो पदोन्नति लेकर वर्ग-1 में व्याख्याता हो गए हैं।
यह पद राजपत्रित श्रेणी में नहीं है इसके बावजूद उन्हें डीपीसी का प्रभार तीन-तीन बार सौंपा गया। पूर्व में उन्हें केवल विभागीय जिम्मेदारी ही मिली थी लेकिन साल 2025 में आर्थिक अधिकार भी मिल गए। यादव के पास डीपीसी बनने की योग्यता है और न ही वे इसके लिए होने वाली विभागीय परीक्षा में शामिल होने की पात्रता रखते हैं।
एक साजिश में फंसे पूर्व डीपीसी ओपी शर्मा की विदाई के बाद उनका अतिरिक्त दायित्व जिला शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र अहिरवार के पास था। यादव ने दबाव बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी से यह दायित्व और आहरण अधिकार ले लिए। डीपीसी, राज्य शिक्षा केंद्र के अधीन है और जिला शिक्षा अधिकारी लोक शिक्षण के अधिकारी हैं, ऐसे में वे डीपीसी का प्रभार दूसरे व्यक्ति को सौंप ही नहीं सकते।
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मनमानी की बेहिसाब शिकायतें
अधिकारी-कर्मचारी अपने हिस्से का काम भी मुश्किल से करते हैं, फिर व्याख्याता रामकिशोर यादव द्वारा पांच पदों की जिम्मेदारी उठाना सबको चौंका सकता है। इसके पीछे भी अलग ही कहानी है।
दरअसल रामकिशोर यादव पर जिला प्रौढ़ शाला अधिकारी के पद पर रहते हुए कई आरोप लग चुके हैं। प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के रूप में नियमों की अनदेखी और बैरसिया विकासखंड के शिक्षकों को प्रताड़ित करने की शिकायतें भी अधिकारियों तक पहुंच चुकी हैं।
यादव प्रौढ़ शिक्षा में रहते हुए शिक्षकों के तबादलों के मामले में भी चर्चा में रह चुके हैं। उन्हें मनमाने तरीके से प्रौढ़ शिक्षा समन्वयक के पद सृजित करने पर कलेक्टर द्वारा फटकार भी लग चुकी है।
उनके द्वारा अनाधिकृत रूप से शिक्षकों के नियम विरुद्ध अटैचमेंट, मनमानी पोस्टिंग और पदनाम बदलने के मामले में कलेक्टर द्वारा जांच भी प्रस्तावित की जा चुकी है। जहांगीराबाद संकुल के फंड में जमा लाखों रुपए की राशि के दुरुपयोग की शिकायतें भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक पहुंच रही हैं।
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आरोपी ने कहा- कुछ लोग फैला रहे मेरे खिलाफ भ्रम
रामकिशोर यादव से जब 'द सूत्र' ने मामले में बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुझे शासन द्वारा दिए गए दायित्वों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। मेरी मूल पदस्थापना जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के रूप में है। जबकि डीपीसी और जहांगीराबाद कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य का दायित्व वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में दिया गया है।
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