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रंगपंचमी भारत में होली के बाद आने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण है इसका चल समारोह जो ढोल, डीजे और झांकियों के साथ रंगों से सराबोर हो जाता है।
तो ऐसे में क्या आपको पता है कि, भोपाल में रंगपंचमी की शुरुआत कहां से हुई थी? भोपाल में रंगपंचमी के चल समारोह की शुरुआत 1953 में सराफा चौक से हुई थी। आज यह शहर का सबसे प्रमुख सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है।
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रंगपंचमी का जुलूस कैसे शुरू हुआ
रंगपंचमी के जुलूस का विचार इंदौर के सराफा व्यापारी के माध्यम से आया। इंदौर में लंबे समय से रंगपंचमी पर गेर निकाली जाती रही थी और भोपाल के व्यापारी जब इंदौर जाते थे, तो वहां के जुलूस में शामिल होते थे। इस दौरान उन्होंने यह सोचा कि क्यों न भोपाल में भी ऐसा जुलूस निकाला जाए।
भोपाल में पहला रंगपंचमी
1953 में इस विचार को मूर्त रूप दिया गया और भोपाल में पहला रंगपंचमी चल समारोह आयोजित किया गया। लगभग 70-80 व्यापारी इस समारोह का हिस्सा बने और यह आयोजन सराफा चौक से शुरू हुआ। पहले यह समारोह भजन मंडली के साथ फाग गीतों के रूप में आयोजित होता था, लेकिन समय के साथ इसे और भी रंगीन और विशाल बना दिया गया।
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हिंदू उत्सव समिति का योगदान
बता दें कि, 1965 में हिंदू उत्सव समिति ने इस समारोह की जिम्मेदारी ली। समिति के प्रमुख सदस्य पं. ओम मेहता और किशनलाल बंसल ने इसे एक बड़े स्तर पर मनाने की शुरुआत की। इसके बाद, यह जुलूस और भी भव्य हो गया, जिसमें राधा-कृष्ण की होली पर आधारित झांकियां, हुरियारों के स्वांग और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होने लगीं।
रंगपंचमी चल समारोह की विशेषताएं
रंगपंचमी का चल समारोह भोपाल के सबसे बड़े उत्सवों में से एक बन चुका है। इसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं, और इसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक भी आते हैं। इस समारोह में ढोल, डीजे और झांकियां प्रमुख आकर्षण होते हैं। इस दौरान हुरियारे अपने पारंपरिक स्वांग के साथ जुलूस में शामिल होते हैं।
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जुलूस का मार्ग
रंगपंचमी का चल समारोह हर साल सराफा चौक से शुरू होकर हनुमानगंज तक जाता है। यह रास्ता रंगों, संगीत और नृत्य से सजा रहता है, जिससे पूरे शहर में एक अद्भुत माहौल बन जाता है।
होली मिलन का आयोजन
1994 में, हिंदू उत्सव समिति ने पहला सार्वजनिक होली मिलन आयोजित किया था। यह आयोजन यादगार-ए-शाहजहां पार्क में हुआ और इसमें हजारों लोग एकत्र हुए थे। इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ फाग गीत, संगीत और नृत्य का आयोजन किया गया था। इस मिलन समारोह में सभी राजनीतिक दलों के लोग एक मंच पर आए थे और इसका उद्देश्य था समुदाय को एकजुट करना और रंगों के माध्यम से भाईचारे का संदेश देना।
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रंगपंचमी का सांस्कृतिक महत्व
रंगपंचमी का चल समारोह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह भोपाल और इंदौर के सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस आयोजन में हर वर्ग और समुदाय के लोग शामिल होते हैं और एक दूसरे के साथ रंग खेलते हैं। यह उत्सव न केवल होली के रंगों को फैलाता है, बल्कि यह उन परंपराओं और कृत्यों को भी जीवित रखता है, जो हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं।