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केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विशेष दर्जा दिए जाने से, रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में होने के बावजूद पर्यटक शुल्क अदा कर अपनी गाड़ियों से यात्रा कर सकते हैं। रातापानी सेंचुरी को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के बाद सफारी के लिए रूट बढ़ाए जा रहे हैं। अभी झिरी बहेड़ा और गिन्नौरी गेट से Tiger Safari की जाती है। जल्द ही तीन नए रूट- बरखेड़ा गेट (नर्मदापुरम रोड), करमई गेट (रेहटी मार्ग), और घोड़ापछाड़ गेट (जबलपुर रोड) से भी सफारी शुरू होगी। इन नए रूट्स को जल्द ही फाइनल किया जाएगा।
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120 फॉरेस्ट गार्ड की जरूरत
एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ एल. कृष्ण मूर्ति ने बताया कि रातापानी टाइगर रिजर्व में फील्ड स्टाफ बढ़ाने और नई साइटिंग के लिए बैठक आयोजित की गई है। फील्ड डायरेक्टर की नियुक्ति तक, सुपरिटेंडेंट सुनील भारद्वाज डायरेक्टर का कार्यभार संभालेंगे, वहीं रिजर्व में 120 फॉरेस्ट गार्ड और गश्ती चौकीदारों की तत्काल आवश्यकता है।
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भोपाल बना 'टाइगर कैपिटल'
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने से मध्यप्रदेश को 'टाइगर स्टेट' के रूप में नई पहचान मिली है। यह भोपाल के पास स्थित देश का एकमात्र टाइगर रिजर्व है, जिससे राजधानी को 'टाइगर कैपिटल' का दर्जा मिला है। इससे न केवल राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।
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स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
रिजर्व में 250 ग्रामीणों को अस्थायी सुरक्षा श्रमिक और गश्ती चौकीदार के रूप में भर्ती किए जाने की तैयारी है। इसके अलावा, लगभग 200 टूरिस्ट गाइड की आवश्यकता होगी। यह पहल स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर लेकर आएगी और क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन भी मिलेगा।
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