बीमारी दूर करने के बहाने MP में हो रहा धर्मांतरण का खेल, आदिवासियों को दिया जा रहा लालच

रतलाम में आदिवासियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाने का मामला सामने आया। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। अब पूरे मामले को लेकर जांच जारी है।

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Dablu Kumar
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RATLAM DHARMARTAN
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रतलाम जिले में कुछ लोगों के जरिए आदिवासियों पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने का मामला सामने आया है। आरोपियों ने आदिवासी समुदाय के लोगों से कहा कि तुम बार-बार बीमार होते हो। बीमारी प्रभु यीशु की नियमित प्रार्थना से ही दूर होगी। ईसाई धर्म को स्वीकार कर लो।

इस घटनाक्रम को लेकर पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें से एक आरोपी राजस्थान के बांसवाड़ा का है, जबकि दूसरा आरोपी रतलाम मेडिकल कॉलेज में पेरामेडिकल स्टाफ (नर्सिंग स्टूडेंट) है। ये घटनाएं रतलाम के औद्योगिक इलाके में स्थित टैंकर रोड की एक झोपड़ी में हुईं। यहां इलाज के बहाने धर्म परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा था।

जानें झोपड़ी में क्या हुआ था?

5 सितंबर को हिंदू संगठनों के पदाधिकारी ने औद्योगिक क्षेत्र के टैंकर रोड पर स्थित एक झोपड़ी में धर्मांतरण का प्रयास किए जाने की सूचना पाई।  इस दौरान जब वह मौके पर पहुंचे, तो वहां बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं और बच्चे मौजूद थे। सभी को इलाज और प्रार्थना के बहाने बुलाया गया था। झोपड़ी से बाइबल और क्रॉस भी बरामद किए गए थे, जिससे यह साबित होता है कि धर्मांतरण का प्रयास किया जा रहा था। हिंदू संगठनों के सदस्यों ने मौके से चार आरोपियों को पकड़ लिया और पुलिस को सूचित किया।

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एमपी पुलिस ने 4 को किया गिरफ्तारी

पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर चार आरोपियों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की। पूछताछ में आरोपियों ने धर्मांतरण कराने की बात स्वीकार की। इसके बाद शनिवार शाम को चारों पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में जगदीश निनामा (गंगासागर), विक्रम निनामा (शिवनगर), मांगीलाल (बांसवाड़ा) और एक अज्ञात व्यक्ति शामिल हैं। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में आरोपियों ने धर्मांतरण कराने का आरोप स्वीकार किया है।

धर्म परिवर्तन वाली खबर पर एक नजर 

  • रतलाम में आदिवासियों पर इलाज के बहाने धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ।

  • पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक रतलाम मेडिकल कॉलेज का स्टाफ है और एक राजस्थान के बांसवाड़ा का है।

  • 5 सितंबर को औद्योगिक क्षेत्र के टैंकर रोड पर झोपड़ी में आदिवासी महिलाओं और बच्चों को इलाज और प्रार्थना के बहाने बुलाया गया था।

  • कैलाश निनामा ने आरोप लगाया कि धर्म परिवर्तन के दबाव के कारण उसने मानसिक संतुलन खो दिया था और सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था।

  • पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की।

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कैलाश निनामा ने की शिकायत

विरियाखेड़ी के रहने वाले कैलाश निनामा ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया कि वह अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं और मजदूरी करते हैं। कुछ महीनों पहले उनकी तबियत खराब होने पर वे रतलाम मेडिकल कॉलेज गए थे। यहां उनकी मुलाकात जगदीश निनामा से हुई। जगदीश ने कैलाश से कहा कि यदि तुम्हारी बीमारी ठीक नहीं हो तो मुझे बताना। इसके बाद कैलाश ने अपना इलाज कराया और घर वापस आ गए।

कुछ दिनों बाद जगदीश फिर से कैलाश के पास आया और कहा कि वह प्रभु यीशु की प्रार्थना करता है। उसने कैलाश से कहा कि वह उसके लिए भी प्रार्थना करेगा, जिससे उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। जगदीश ने कैलाश को बताया कि शिवनगर में उसके भाई विक्रम निनामा के घर हर शुक्रवार को प्रभु यीशु की प्रार्थना होती है और कैलाश को वहां आने का निमंत्रण दिया।

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धर्म परिवर्तन का दबाव

5 सितंबर की सुबह कैलाश निनामा जगदीश के भाई विक्रम के घर गए। इस दौरान विक्रम, जगदीश, मांगीलाल और अन्य लोग मौके पर मौजूद थे। कुछ समय बाद विक्रम ने यीशु की प्रार्थना की और सभी को प्रसाद दिया। प्रसाद लेने के बाद लगभग सभी लोग वहां से चले गए, लेकिन कैलाश वहीं पर रुक गए। इस दौरान जगदीश, विक्रम और अन्य लोग कैलाश पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डालने लगे। जगदीश ने कहा कि विक्रम ने प्रार्थना से कई लोगों की बीमारियों को ठीक किया है।

कैलाश ने बताया कि धर्म परिवर्तन का दबाव बनाए जाने के बाद वह प्रसाद लेने के कारण मानसिक संतुलन खो बैठा था। विक्रम और उसके साथी सामूहिक रूप से लोगों का धर्म परिवर्तन करवा रहे थे, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। कई लोगों की आंखों पर रूमाल बांधकर और सिर पर हाथ रखकर प्रार्थना करवाई जा रही थी। इनमें कुछ लोग 18 साल से कम उम्र के थे।

FAQ

क्या धर्म परिवर्तन का दबाव बनाना अपराध है?
जी हां, धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाना भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है। धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत, किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म को बदलने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। रतलाम में जो मामले सामने आए हैं, उनमें आरोपियों ने आदिवासियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया, जिससे यह एक अपराध बनता है।
धर्म परिवर्तन के मामले में पुलिस क्या कदम उठाती है?
धर्म परिवर्तन के मामले में पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और उस पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकती है। रतलाम में आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई और फिर एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई करती है, ताकि ऐसे मामलों में सख्त दंड दिया जा सके।

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