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आमीन हुसैन@रतलाम
भारत में सुरक्षाबलों की कठिन मेहनत और सूझबूझ के कारण कई बार बड़े आतंकवादियों को पकड़ा गया है। इनमें से एक अहम मामला रतलाम जिले का है। 2 अप्रैल 2025 को, एनआईए के जरिए वांछित 5 लाख रुपए के इनामी आतंकी फिरोज उर्फ सब्जी को रतलाम के थाना स्टेशन रोड क्षेत्र के आनंद कॉलोनी से गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी रतलाम पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है, क्योंकि आतंकी फिरोज जयपुर ब्लास्ट (Jaipur Blast) में शामिल था और लंबे समय से फरार था।
कार्रवाई में दो पुलिसकर्मियों का साहसिक योगदान
अहम भूमिका में दो पुलिसकर्मी थे, जो इस आतंकवादी के पकड़े जाने में सफल हुए। इनमें से एक ढोढर चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर सत्येंद्र रघुवंशी और दूसरे कांस्टेबल राहुल जाट थे। दोनों ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सफलता के साथ अंजाम दिया और अपनी साहसिकता का परिचय दिया। इन पुलिसकर्मियों ने तब अपनी समझदारी और तत्परता से आतंकी फिरोज को पकड़ा, जब वह अपनी बहन के घर में छिपा हुआ था।
पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन
इस साहसिक और महत्वपूर्ण कार्रवाई को देखकर रतलाम एसपी अमित कुमार ने दोनों पुलिसकर्मियों की प्रंशसा की। साथ ही, उनके लिए आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का प्रस्ताव भेजा। इस प्रस्ताव को पहले उज्जैन जोन के एडीजी (Additional Director General of Police) और आईजी (Inspector General of Police) को भेजा गया। फिर प्रमोशन समीक्षा समिति के जरिए इसे मंजूरी दी गई। अंततः, पुलिस मुख्यालय ने दोनों अधिकारियों को पदोन्नति देने का आदेश जारी किया।
साहस एवं कर्तव्य को सम्मान...💐
— Madhya Pradesh Police (@MPPoliceDeptt) July 14, 2025
प्रतिबंधित आतंकी संगठन अलसुफा के ₹05 लाख के इनामी फरार आरोपी फिरोज उर्फ सब्जी को गिरफ़्तार करने में अद्वितीय साहस दिखाने वाले —
🔹 उनि. सत्येन्द्र रघुवंशी
🔹 का.वा. प्रआर. राहुल जाट
(दोनों, जिला रतलाम)
को क्रम से पूर्व पदोन्नति प्रदान की गई है।
आतंकवादी फिरोज की गिरफ्तारी की कहानी
फिरोज, जो कि जयपुर ब्लास्ट में संदिग्ध था, रतलाम के आनंद कॉलोनी में अपनी बहन रेहाना के घर में छिपा हुआ था। पुलिस को इस बारे में सूचना मिली और टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। फिरोज ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए भागने की कोशिश की, लेकिन दोनों पुलिसकर्मियों ने उसे समय रहते दबोच लिया। बाद में इस जानकारी को एनआईए (National Investigation Agency) और एटीएस (Anti-Terrorism Squad) को दी गई।
आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की खबर को पांच प्वाइंट में समझें...
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दोनें को पदोन्नति के साथ मिली नई जिम्मेदारी
डीजीपी कैलाश मकवाना ने पुलिस रेग्युलेशन के तहत इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और दोनों अधिकारियों को सम्मानित किया। सब इंस्पेक्टर सत्येंद्र रघुवंशी को टीआई (थाना निरीक्षक) पद पर प्रमोट किया गया और रतलाम जिला बल में ही तैनात किया गया। कांस्टेबल राहुल जाट को हेड कांस्टेबल बना दिया गया और उन्हें बिलपांक थाने में तैनात किया गया।
पुलिसकर्मियों का साहसिक कार्य बना मिसाल
यह घटना न केवल रतलाम पुलिस बल के लिए बल्कि पूरे देश के पुलिसकर्मियों के लिए एक मिसाल बन गई है। दोनों अधिकारियों की मेहनत और सूझबूझ को उच्चतम स्तर पर सराहा गया है। उनकी साहसिकता और जिम्मेदारी ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है। उनकी कार्रवाई को अन्य पुलिसकर्मियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा जा रहा है।
जानें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन क्या होता है?
आउट ऑफ टर्न प्रमोशन (Out of Turn Promotion) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कर्मचारी को सामान्य प्रमोशन प्रक्रिया के मुकाबले जल्दी या बिना पूरी तरह से मानक अर्हताओं को पूरा किए प्रमोट किया जाता है। यह प्रमोशन संगठन की नीतियों और आवश्यकता के आधार पर दिया जाता है, और यह सामान्यत: विशेष परिस्थितियों या अत्यधिक उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण होता है।
आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के कारणों में शामिल हो सकते हैं-
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उत्कृष्ट प्रदर्शन: यदि कोई कर्मचारी अपने काम में असाधारण प्रदर्शन करता है, तो उसे जल्दी प्रमोट किया जा सकता है।
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आपातकालीन परिस्थितियां: कभी-कभी संगठन को अचानक किसी उच्च पद पर किसी कर्मचारी की आवश्यकता होती है, और ऐसे में किसी अन्य कर्मचारी को जल्द प्रमोशन मिल सकता है।
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विशेष योगदान: यदि किसी कर्मचारी ने कंपनी या टीम के लिए विशेष योगदान दिया है, जैसे कि किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का सफलतापूर्वक पूरा करना, तो उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जा सकता है।
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संगठनात्मक आवश्यकताएं: कभी-कभी एक संगठन की रणनीति के तहत यह प्रमोशन दिया जाता है, ताकि कर्मचारियों को प्रेरित किया जा सके या किसी पद पर तुरंत किसी व्यक्ति की आवश्यकता हो।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना और संगठन के लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करना होता है। आउट ऑफ टर्न प्रमोशन को अक्सर कर्मचारियों के लिए एक विशेष अवसर माना जाता है और यह संगठन की मान्यता और सराहना का प्रतीक होता है।
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