मंत्री विजय शाह और सांसद फग्गन सिंह सालों से सरकार में, फिर भी नहीं करवा सके गृह जिले में नियमित शिक्षकों की भर्ती

ध्यप्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। मंत्री विजय शाह और सांसद फग्गन सिंह 20 सालों से सरकार में हैं, लेकिन नियमित शिक्षकों की भर्ती कराने में विफल रहे हैं।

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Ramanand Tiwari
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BHOPAL. मध्यप्रदेश के जनजाति कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं। वे विभाग के मंत्री होते हुए भी अपने गृह जिले में जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में स्टाफ के लिए मोहताज नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला जिले के अपने गृह ग्राम कापा ब्लॉक में एक स्कूल गोद लिया था, उक्त स्कूल को भी शिक्षकों की दरकार है। प्रदेशभर के आदिवासी क्षेत्र के स्कूल पूरी तरह गैस्ट फैकल्टी के हवाले नजर आ रहे हैं।

कितना विकास किया सात बार के सांसद ने

केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके एवं 7 बार के सांसद रहने का तमगा प्राप्त फग्गन सिंह कुलस्ते भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेताओं में से एक हैं। इन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए अपने गृह ग्राम कापा में कितना विकास किया, विकास की एक बानगी हम सब के सामने है। कुलस्ते के गृह ग्राम में हायर सेकेंडरी स्कूल तो बन गया लेकिन उक्त स्कूल में नियमित प्रिंसिपल, स्पोर्ट्स टीचर एवं लैब टेक्नीशियन पदस्थ नहीं हो सके।

कुलस्ते ने मंडला जिले के कापा गांव में हायर सेकेंडरी स्कूल को गोद लिया था। उक्त गांव के स्कूल में महज दो से तीन नियमित शिक्षक हैं, जबकि उक्त हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षकों के आठ पद, दो पद सहायक शिक्षक विज्ञान एवं माध्यमिक शाला में पांच शिक्षक ऐसे कुल मिलाकर 15 पद स्वीकृत हैं।

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एमपी में नियमित शिक्षकों की भर्ती वाली खबर पर एक नजर...

  1. मंत्री विजय शाह और सांसद फग्गन सिंह की असफलता: जनजाति कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह और बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, जो 20 साल से सत्ता में हैं, आदिवासी क्षेत्र के स्कूलों में नियमित शिक्षकों की भर्ती में असफल रहे हैं।

  2. शिक्षकों की भारी कमी: मंडला जिले के कापा गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल में 15 शिक्षकों के पद खाली हैं, बावजूद इसके, नियमित शिक्षक नहीं नियुक्त किए गए। स्कूलों में अधिकांश शिक्षक गैस्ट फैकल्टी हैं।

  3. खाली पदों की स्थिति: प्रदेश भर के आदिवासी क्षेत्रों में हजारों शिक्षक पद रिक्त हैं, जिससे शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। खंडवा में ही 500 पद खाली हैं, जिसमें 49 प्राचार्य और 350 उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद शामिल हैं।

  4. विभागीय मंत्री का तुगलकी आदेश: जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री ने अनावश्यक रूप से प्रदेशभर से शिक्षकों को खंडवा जिले में स्थानांतरित कर दिया, जिससे शिक्षक न्यायालय की शरण में जा पहुंचे हैं।

  5. शिक्षक संघ का विरोध:मप्र राज्य कर्मचारी संघ और शिक्षक संघ ने विभाग की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए इसे उचित नहीं बताया और जांच की मांग की है, साथ ही बीच सत्र में हुए स्थानांतरण का विरोध किया है।

स्कूल खिले सालों हो गए, लेकिन नियमित शिक्षकों का पता नहीं

स्कूल खुले हुए सालों बीत गए इसके बावजूद उक्त स्कूल में नियमित शिक्षक पदस्थ नहीं हो सके हैं। स्कूल डिंडोरी जिले के बॉर्डर से लगा हुआ है, बॉर्डर के उस पार नदी है, कुछ स्टूडेंट तो नाव से नदी पार कर आज भी स्कूल पहुंचते हैं।

इन स्कूलों में टीचर न होने की एक वजह यह भी है कि आजकल ट्रांसफर चॉइस फिलिंग के माध्यम से होते हैं। चूंकि यह स्कूल दूर दराज के आदिवासी क्षेत्र में है, वहां हर कोई शिक्षक जाना ही नहीं चाहता।

200 बच्चों के इस स्कूल को हायर सेकेंडरी स्कूल का तमगा तो दिया गया है, लेकिन स्कूल में ना तो नियमित प्रिंसिपल, लैब टेक्नीशियन है। चूंकि उक्त स्कूल हायर सेकेंडरी होने की वजह से वहां पर कई बार गैस्ट फैकल्टी भी पढ़ाने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। वर्तमान में पद रिक्त हैं। इसके बावजूद हायर सेकेंडरी स्कूल बदस्तूर चल रहा है और जिम्मेदार भी निरंतर रस्मअदायगी कर रहे हैं।

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प्रदेश में स्कूल चल रहे भगवान भरोसे, मंत्री दिख रहे बेबस

जनजातीय कार्य विभाग द्वारा प्रदेश में स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। सालों-साल बीत जाने के बाद भी विभाग शिक्षकों की भर्ती नहीं कर सका है। इससे शिक्षा का स्तर बद से बदतर हो रहा है। मंत्री के गृह जिले खंडवा के ब्लॉक खालवा में लगभग स्कूलों में पांच सौ पद खाली हैं। इसमें 49 पद प्राचार्यों के हैं, जिसमें से महज 3 प्राचार्य कार्य कर रहे हैं, बाकी सभी पद रिक्त हैं।

यही हाल उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 350 पदों का है, इन पदों में से कुल 50 पद ही भरे हैं और 250 पद खाली हैं। मंडला में लक्ष्मी अग्रवाल की मूल शाला ही खाली है। हां 6 से 7 हायर सेकेंडरी स्कूलों में जब से खुले हैं, तब से अब प्रत्येक स्कूल में 3 से 4 शिक्षकों के पद रिक्त हैं।

भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं ग्वालियर के कई स्कूलों में शिक्षकों के अलावा अन्य स्टाफ का अभाव तो है ही, लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं जिनमें क्रीड़ा अधिकारी ही नियुक्त नहीं हो सके हैं। फौरी तौर पर तहकीकात की तो संज्ञान में आया कि ग्वालियर में 10 पद, मुरैना में 10 पद एवं जिला कार्यालय में तकरीबन 5 पद रिक्त हैं।

जबलपुर में भी केएसपी में 12 पद खाली हैं और माध्यमिक शिक्षक के 8 पद एवं ज्ञानोदय स्कूल में संस्कृत के 2 पद खाली हैं। भोपाल में भी एक ही स्कूल में 42 पद भरे जाने हैं। इसके अलावा भी ज्ञानोदय में 12 पद खाली हैं। यही हाल भोपाल के आसपास के जिलों में संचालित आदिवासी स्कूलों का है।

इंदौर में मीडिल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 12 पद एवं ज्ञानोदय में लगभग 7 पद रिक्त हैं। स्पोर्ट्स टीचर के पद लगभग सभी स्कूलों में खाली हैं। टीचर्स नहीं होने का दंश झेल रहे हायर सेकेंडरी स्कूलों में गैस्ट फैकल्टी भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति में स्वतः अंदाजा लगाया जा सकता है कि हायर सेकेंडरी स्कूल में कैसे और कैसी पढ़ाई हो रही होगी।

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मंत्री शाह के तुगलकी फरमान से टीचर्स हलाकान

जनजातीय कार्य विभाग के शिक्षकों को एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में एक्जाम लेकर प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त किया गया था। लेकिन कुछ साल बाद ही केंद्र सरकार ने एकलव्य स्कूल के लिए स्टाफ नियुक्त कर दिया। ऐसी स्थिति में कुछ स्कूलों में स्टाफ ज्यादा होने की वजह से जनजातीय कार्य विभाग एक साल से अतिशेष स्टाफ के तौर पर कार्य ले रहा था, यहां तक तो सब ठीक चला। लेकिन विभाग की कोताही की वजह से डबल स्टाफ स्कूलों में पदस्थ रहा।

तकरीबन एक साल से उक्त स्टाफ की पदस्थापना को लेकर विभाग में मंथन-चिंतन भी हुआ लेकिन नतीजा सिफर रहा। ट्रांसफर की बयार समाप्त होने के बाद अचानक थोक में अतिशेष स्टाफ की प्रतिनियुक्ति समाप्त करते हुए प्रदेशभर के शिक्षकों को जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री के गृह जिले खंडवा में पदस्थ किए जाने का तुगलकी फरमान विभाग द्वारा निकाल दिया गया। जिससे हड़कंप की स्थिति बन गई।

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आनन-फानन में किया फेरबदल बनी गले की फांस

आनन-फानन में विभाग ने प्रदेश भर के स्कूलों से शिक्षकों के तबादला आदेश महज अपने गृह जिले खंडवा में ही कर दिए। अब ट्रांसफर का दंश झेल रहे शिक्षक न्यायालय की शरण में पहुंच चुके हैं जहां से उन्हें स्टे भी मिलना शुरू हो गए हैं। प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मंत्री के गृह जिले खंडवा में पदस्थ किया गया स्टाफ विभाग की गले की फांस बन चुका है।

विभाग द्वारा मंत्री की मंशानुसार उनके गृह जिले खंडवा में भेजे गए शिक्षकों को न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद है। जबलपुर हाईकोर्ट में तकरीबन 15 शिक्षकों ने स्टे के लिए आवेदन लगा दिया है जिनकी तारीख 7 एवं 17 अक्टूबर लगी है। भोपाल में 15, इंदौर में 7 और ग्वालियर में 10 लोगों को मिलाकर तकरीबन 70 शिक्षकों ने शासन द्वारा किए गए प्रतिनियुक्ति समाप्त कर खंडवा किए गए तबादलों के खिलाफ न्यायालय में दस्तक दे दी है।

विभाग की कथनी और करनी में अंतर

जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में एक ओर शिक्षकों का टोटा है। दूसरी ओर विभाग के मंत्री अपनी मनमानी पर उतारू हैं। मंत्री विजय शाह ने अपने गृह जिले खंडवा में प्रदेश भर से एक साथ आधा सैकड़ा से ज्यादा शिक्षकों को पदस्थ किए जाने का फरमान जारी कर दिया। जब कि कुछ समय पूर्व ही खंडवा से ट्रांसफर कर 25 शिक्षकों को अन्य जगह भेजा था। स्कूल का सत्र शुरू होने के बाद बीच सत्र में ऐसी तुगलकी कार्य प्रणाली से शिक्षकों का मनोबल टूट सकता है। एक ओर शिक्षक है नहीं, जो है भी वे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आदिवासी क्षेत्रों के स्टूडेंट्स के भविष्य का क्या होगा?

यह बोल रहे मंत्री और संसद

  • जनजाति कार्य विभाग के मंत्री विजय शाह ने कहा कि अपने यहां दस हजार पद खाली हैं। उन्हें भरने की पहल की जा रही है। 3 साल में धीरे-धीरे रिक्त पद भरे जाएंगे। एकलव्य स्कूल में पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष होने के कारण हटाना था, इसलिए उन्हें ट्राइबल स्कूलों में भेजा गया है।
  • जिला मंडला के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि अभी एक टीचर रिटायर हुआ है, बाकी स्कूल में पर्याप्त स्टाफ है। बीच में थोड़े बहुत ट्रांसफर हुए होंगे, कुछ अतिशेष टीचरों को भी वहां किया गया है।
  • मप्र राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष हेमंत श्रीवस्तव ने कहा कि टीचर प्रतिनियुक्ति पर थे। ट्राईबल विभाग से आए हुए टीचरों को काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थ करना चाहिए था। एकतरफा कार्यवाही बीच सत्र में करना उचित नहीं। विभाग की इस कार्यवाही का हम विरोध करते हैं और इसकी जांच होना चाहिए।
  • मप्र राज्य कर्मचारी संघ के महामंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मंत्री और अधिकारी बेलगाम हैं। बीच सत्र में कुछ टीचरों के स्थानांतरण कर दिए हैं। मप्र राज्य कर्मचारी संघ इसका विरोध करता है। विभागीय मंत्री द्वारा केवल अपने जिले में ही सभी शिक्षकों के ट्रांसफर किया जाना स्वयं सवालिया निशान खड़े करता है। जबकि पद प्रदेश में कई जगह रिक्त हैं।
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