रतलाम में मंत्री विजय शाह ने किया ध्वजारोहण, मीडिया से बचते आए नजर

मंत्री विजय शाह मीडिया के सवालों से बचते हुए रतलाम में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम के दौरान विवादों में घिर गए। उन्होंने स्कूली बच्चों के साथ भोजन किया और अपने बचपन के अनुभव साझा किए, जब उनसे आपत्तिजनक बयान के बारे में पूछा गया, तो वे सवालों से भाग गए।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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आमीन हुसैन@रतलाम
मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह हाल ही में विवादों में घिरे। कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर मीडिया ने सवाल किए। रतलाम जिले के एक सरकारी स्कूल में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण के कार्यक्रम के बाद मंत्री शाह से सवाल किए गए। मंत्री ने सवालों से बचने की कोशिश की।

सवालों से बचकर भागे मंत्री जी!

रिपोर्टों के अनुसार, जब मंत्री विजय शाह से उनके बयान के बारे में सवाल पूछा गया, तो वे तुरंत माइक आइडी हटाकर मौके से भाग गए। मीडिया में यह दृश्य खासा चर्चा में आया, जहां मंत्री शाह ने न केवल सवालों का जवाब देने से इनकार किया, बल्कि मीडिया से बचते हुए मौके से चले गए। इस घटना ने मंत्री की छवि पर सवाल उठाए हैं।

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मंत्री विजय शाह बोले- बचपन में था संघर्ष

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मंत्री विजय शाह ने रतलाम के डोसी गांव में स्कूली बच्चों के साथ भोजन करते हुए अपने बचपन के संघर्षों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वह एक अमीर घराने में पैदा हुए थे, लेकिन उनके बचपन में आर्थिक तंगी भी रही। उन्होंने बताया कि उनकी माँ उन्हें स्कूल में टिफिन देती थीं और वह अपने दोस्तों को भी खाना बांटते थे। शाह ने यह भी कहा कि उन्हें यह एहसास था कि कुछ बच्चों के पास किताबें और ड्रेस नहीं होती थीं।

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मंत्री ने किया दौलत का बखान

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मंत्री विजय शाह ने आगे कहा कि आजकल बच्चों को मध्याह्न भोजन मिलता है, लेकिन उन्होंने जब स्कूल जाना शुरू किया था, तो उनके पास सिर्फ अपनी रोटियां थीं। वह अपनी रोटियाँ दोस्तों को बांटते थे और इसके लिए उन्हें शर्म भी महसूस होती थी। शाह का कहना था कि यह अनुभव उन्हें आज भी याद है, और उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कोशिश थी कि हर बच्चे को किताबें, ड्रेस और भोजन मिले।

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स्वतंत्रता दिवस की बधाई और मीडिया से दूरी

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर, मंत्री शाह ने स्कूली बच्चों के साथ भोजन किया, लेकिन जैसे ही मीडिया ने उनसे उनके विवादास्पद बयान के बारे में पूछा, वे सीधे बधाई देने के बाद घटनास्थल से भाग गए। यह पल एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या मंत्री मीडिया से सवालों का सामना करने से डरते हैं या फिर उनका ध्यान सिर्फ अपनी छवि पर है।

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मंत्री शाह का बचपन और समाज की स्थिति

मंत्री विजय शाह ने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि वह हमेशा चाहते थे कि गरीब बच्चों को भी स्कूल में किताबें, ड्रेस और भोजन मिले। उन्होंने यह भी कहा कि जब वह बड़े हो रहे थे, तो उन्हें महसूस हुआ कि कई बच्चों के पास इन चीजों की कमी है। अब, मंत्री के अनुसार, उनके पास जितनी दौलत है, वह गरीब बच्चों की मदद करने के लिए है।

मंत्री शाह की छवि पर असर

मंत्री विजय शाह का मीडिया से भागना और सवालों का जवाब न देना उनके लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। यह घटना उनके लिए राजनीतिक रूप से परेशानी का कारण बन सकती है, क्योंकि इससे उनकी छवि को नुकसान पहुँच सकता है। वहीं, उनके द्वारा अपने बचपन के अनुभवों को साझा करने ने उनके मानवीय पक्ष को उजागर किया है, जो आम जनता से जुड़ा हुआ है।

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