पेंशन के लिए भटकने को मजबूर रिटायर्ड जज, जिला कोर्ट से अप्रूवल लेना बना परेशानी

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने पूर्व न्यायाधीश कल्याण एसोसिएशन की याचिका पर राज्य सरकार और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है।

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Neel Tiwari
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने पूर्व न्यायाधीश कल्याण एसोसिएशन की याचिका पर एमपी सरकार और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है। याचिका का विषय जिला न्यायालय के अनुमोदन के बिना भत्ते की राशि जारी न करने का रवैया है। मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

भत्ते की राशि और नियमों का विवाद

अधिवक्ता हितेश शर्मा ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2005 से पहले सेवा में आए जिला न्यायाधीशों को पेंशन के साथ अतिरिक्त भत्ते की राशि दी जाती थी। वर्ष 2005 के बाद सेवा में आए न्यायाधीशों ने भी भत्ते की राशि (वर्तमान में 15,000 रुपए) के लिए सरकार से अनुरोध किया। सरकार ने राशि जारी करने के आदेश तो दिए, लेकिन इसके लिए प्रतिवर्ष जिला और सत्र न्यायाधीश के अनुमोदन की शर्त रख दी।

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वृद्ध जजों के लिए परेशान करने वाली है प्रक्रिया

याचिका में बताया गया है कि वर्ष 2005 से पूर्व सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उम्र अब 80 साल से अधिक हो चुकी है। उन्हें हर साल अपने जिले जाकर अनुमोदन लेना पड़ता है। इससे पहले केवल बैंक में लाइफ सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना होता था। अब सरकार के संशोधित नियमों के कारण भत्ते की राशि नहीं मिल रही है।

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पेंशन पाने के लिए परेशान किया जा रहा

अधिवक्ता हितेश शर्मा ने कोर्ट को बताया, वे जज जिन्होंने अपनी आधी जिंदगी न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने में लगा दी, उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए परेशान किया जा रहा है। अदालत की यह प्रक्रिया वृद्ध जजों के लिए अत्यंत पीड़ादायक और असंवेदनशील है।

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वृद्धावस्था में भी न्याय की प्रतीक्षा

पूर्व न्यायाधीश कल्याण एसोसिएशन का कहना है कि लाइफ सर्टिफिकेट अप्रूव करने के लिए जिला और सत्र न्यायालय के चक्कर काटने के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि रिटायर जजों के लिए भी न्याय पाने की राह कठिन हो गई है, जबकि उन्होंने अपने पूरे जीवन में न्याय की रक्षा की।

हाईकोर्ट जबलपुर अब इस मामले का समाधान तलाश कर रहा है। 29 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई तय की गई है। अब देखना होगा कि अगली सुनवाई में हाईकोर्ट से में रिटायर्ड जजों को राहत मिलती है या उनकी परेशानी और भी लंबे समय तक जारी रहती है।

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