आईएएस डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त, ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर का प्रभार

केंद्र सरकार ने डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर के रूप में नियुक्त किया है। छत्तीसगढ़ कैडर के 2011 बैच के आईएएस अफसर डॉ. भूरे वर्तमान में राजनांदगांव कलेक्टर हैं।

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Jitendra Shrivastava
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Dr Sarveshwar Narendra Bhure Joint Textile Commissioner

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छत्तीसगढ़ कैडर के 2011 बैच के आईएएस डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को केंद्र सरकार ने बड़ा दायित्व सौंपा है। उन्हें ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर के पद पर नियुक्त किया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर दिया है। वर्तमान में वे राजनांदगांव कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं और जल्द ही उन्हें रिलीव कर दिया जाएगा। 

महाराष्ट्र से आईएएस तक का सफर

आईएएस अफसर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे का जन्म 12 सितंबर 1984 को महाराष्ट्र के भंडारा जिले के लखानंदुर गांव में हुआ था। उनके पिता शिक्षक थे और उन्होंने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी। भूरे की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में पूरी हुई, जहां उन्होंने पहली से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 11वीं और 12वीं की शिक्षा भंडारा शहर से पूरी की।

डॉ. सर्वेश्वर ने अपनी पूरी स्कूली शिक्षा मातृभाषा मराठी में की। 12वीं के बाद उनका चयन पुणे के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए हुआ। यहां उन्हें भाषा संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा क्योंकि एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होती थी। लेकिन अपनी मेहनत और समर्पण से उन्होंने यह चुनौती पार की और एमबीबीएस सफलतापूर्वक पूरा किया। 

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पहले आईपीएस फिर आईएएस

एमबीबीएस पूरा करने के बाद डॉ. भूरे ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। इसी दौरान उनकी शादी हुई और उन्होंने नौकरी के साथ-साथ पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए तैयारी जारी रखी। इस सफर में उनकी पत्नी डॉ. रश्मि भूरे ने उनका पूरा सहयोग किया और उन्हें प्रेरित किया।

साल 2009 में पहले प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की उत्तीर्ण कर आईपीएस अधिकारी बने। लेकिन उनकी मंजिल यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने साल 2010 में फिर यूपीएससी परीक्षा दी और इस बार आईएएस अधिकारी बने। उन्हें 2011 बैच और छत्तीसगढ़ कैडर अलॉट हुआ।

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कलेक्टर के तौर पर उल्लेखनीय कार्य

आईएएस बनने के बाद डॉ. भूरे की पहली नियुक्ति मुंगेली जिले के कलेक्टर के रूप में हुई। यहां उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया। इसके बाद वे दुर्ग जिले के कलेक्टर बने, जहां उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र और शहरी विकास से जुड़ी योजनाओं पर काम किया। फिर उन्हें राजधानी रायपुर का कलेक्टर बनाया गया।

रायपुर में उन्होंने नगरीय प्रशासन, स्वास्थ्य सेवाओं और कोविड-19 प्रबंधन जैसे जटिल कार्यों को सफलतापूर्वक संभाला। रायपुर कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कई नवाचार किए, जिन्हें राज्य स्तर पर सराहा गया।

बाद में वे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मिशन संचालक भी बने और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्तमान में वे राजनांदगांव कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं और जिले में विकास योजनाओं और प्रशासनिक सुधारों को लेकर चर्चा में रहे हैं। 

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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नई जिम्मेदारी

अब केंद्र सरकार ने उन्हें ज्वाइंट टेक्सटाइल कमिश्नर की जिम्मेदारी सौंपी है। यह पद न केवल उनके प्रशासनिक अनुभव को राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग में लाने का अवसर देगा बल्कि वस्त्र उद्योग से जुड़े महत्वपूर्ण नीतिगत और विकासात्मक कार्यों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा।

डॉ. भूरे का यह सफर प्रेरणादायी है, जिसमें उन्होंने एक छोटे से गांव से निकलकर मेडिकल शिक्षा पाई और फिर आईएएस में सफलता हासिल कर शीर्ष प्रशासनिक पद तक पहुंचे। अब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर उनकी नई भूमिका से छत्तीसगढ़ कैडर और राज्य के लिए गौरव की स्थिति बनी है।

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