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REWA. मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक शर्मनाक घटना घटी, जहां एक स्कूल के स्टाफ ने 5 साल के मासूम को टॉयलेट साफ करने पर मजबूर कर दिया। बच्चे के माता-पिता ने इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय बाल आयोग और मानवाधिकार आयोग से की थी, जिसके बाद पुलिस ने स्कूल के प्राचार्य, प्राध्यापिका और आया के खिलाफ केस दर्ज किया है।
यह है मामला
रीवा के ज्योति किंडर गार्डन स्कूल में एक पांच वर्षीय मासूम बच्चे के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। बच्चे ने गलती से क्लासरूम में पेशाब कर दिया था, जिसके बाद स्कूल स्टाफ ने उसे कड़ी सजा दी। आरोप है कि टीचर और आया ने उसे बुरी तरह डांटा और जबरन वॉशरूम में ले जाकर अपनी ही पैंट से टॉयलेट साफ करने को मजबूर कर दिया। परिजनों का आरोप है कि सजा यहीं खत्म नहीं हुई। बच्चे को लगभग चार घंटे तक बिना पैंट के ठंड में खड़ा रखा गया, जिससे वह बुरी तरह कांपने लगा और सुबकता रहा। इस अमानवीय व्यवहार के कारण बच्चे को मानसिक आघात पहुंचा और अब उसकी मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराई जा रही है।
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बच्चे की मां ने रोते हुए सुनाई दर्दनाक दास्तान
पीड़ित बच्चे की मां ने रोते हुए बताया कि उसके बेटे की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसे अचानक टॉयलेट आ गया था। लेकिन, स्कूल प्रशासन ने उसके साथ ऐसा बर्ताव किया, जैसे वह इंसान नहीं कोई कचरा हो। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा अभी पूरा 5 साल का भी नहीं हुआ है। उसे पहले भी ठंड से एलर्जी रही है। स्कूल प्रशासन ने मेरे बीमार बेटे के साथ जो किया, वह किसी भी मां के लिए असहनीय है।
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बाल आयोग और मानवाधिकार आयोग ने दिखाई मामले में सख्ती
परिजनों की शिकायत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और रीवा कलेक्टर और एसपी से जवाब मांगा। इसके बाद पुलिस ने आया विद्यावती काछी, टीचर जसबीर सिंह और प्रिंसिपल फादर अनिल के खिलाफ केस दर्ज किया है।
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पुलिस ने संगीन धाराओं में दर्ज किया केस
सीएसपी शिवाली चतुर्वेदी ने बताया कि सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की संगीन धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। स्कूल प्रशासन की लापरवाही और अमानवीय व्यवहार को लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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यह है मामले का टाइमलाइन
- 18 जनवरी को सुबह स्कूल में बच्चे के साथ घटनाक्रम हुआ
- छुट्टी के बाद बच्चे ने घर पहुंचकर मां को घटनाक्रम बताया
- उसी दिन शाम को परिजन स्कूल पहुंचे
- 21 जनवरी को स्कूल परिसर में ABVP ने हंगामा किया
- हंगामे के बाद स्कूल प्राचार्य ने गलती मानी
- 22 जनवरी को डीईओ और कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए
- 23 जनवरी को बाल आयोग ने डीईओ को नोटिस भेजा