मध्य प्रदेश के रीवा से शिक्षा विभाग से जुड़ा हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक सहायक शिक्षक शिक्षा विभाग के लिए विभाग के लिए चुनौती बन गए हैं। कुम्हरा गांव में शासकीय विद्यालय के सहायक शिक्षक सरदार प्रसाद पांडेय पिछले 10 वर्षों से स्कूल नहीं आ रहे हैं। इस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और उनका भविष्य दांव पर लग गया है। प्रशासन के आदेशों के बाद इस समस्या को उलझा दिया है। इस मुद्दे का समाधान अब तक नहीं निकल पाया है। यह मामला अब शिक्षा विभाग के लिए चुनौती बन गया है।
जानें पूरा मामला
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के कुम्हरा गांव के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक की अनुपस्थिति ने शिक्षा व्यवस्था को संकट में डाल दिया है। सहायक शिक्षक सरदार प्रसाद पांडेय पिछले 10 वर्षों से स्कूल नहीं आ रहे हैं। उनकी जगह पर विद्यालय में अतिथि शिक्षक पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन ये शिक्षक न तो प्रशिक्षण प्राप्त हैं और न ही वे बच्चों को प्रभावी तरीके से पढ़ा पा रहे हैं।
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10 साल से स्कूल नहीं आए हैं शिक्षक
कुम्हरा गांव की कुल आबादी लगभग एक हजार है और शासकीय विद्यालय में कक्षा आठ तक 120 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश छात्र कोल आदिवासी समुदाय से हैं, जिनके लिए शिक्षा का महत्व अत्यधिक है। इस स्कूल में जिम्मेदारी संभालने वाले सहायक शिक्षक सरदार प्रसाद पांडेय पिछले 10 साल से स्कूल नहीं आए हैं। टीचर की अनुपस्थिति ने छात्रों को पढ़ाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और बच्चों का भविष्य अब खतरे में पड़ गया है।
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एसडीएम कार्यालय के आदेश ने किया हैरान
सहायक शिक्षक सरदार प्रसाद पांडेय वर्तमान में सिरमौर एसडीएम कार्यालय में निर्वाचन प्रभारी के तौर पर अटैच हैं। पांडेय को वापस स्कूल भेजने की मांग उठने पर कुछ महीने पहले, सेमरिया संकुल प्रभारी महेश साकेत ने इस मामले को लेकर एसडीएम कार्यालय को पत्र लिखा था, लेकिन इसके बावजूद 22 अगस्त 2024 को पांडेय को एसडीएम कार्यालय में परमानेंट अटैच कर दिया गया। साथ ही मांग को दरकिनार करते हुए परमानेंट अटैच करने का नया आदेश जारी कर दिया। इस निर्णय ने समस्या को और जटिल बना दिया। अब, स्कूल में पढ़ाई के लिए प्रशिक्षणहीन अतिथि शिक्षक को रखा गया है, जिनकी वजह से बच्चों की पढ़ाई और भी प्रभावित हो रही है।
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जिला शिक्षा अधिकारी की प्रतिक्रिया
जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, "जब एसडीएम जैसे जिम्मेदार अधिकारी शिक्षकों को अटैच कर रहे हैं, तो इसमें क्या किया जा सकता हैं?" उनकी मजबूरी यह है कि विभाग के प्रयासों के बावजूद इस मामले का कोई हल नहीं निकल पा रहा है। अभिभावक विरोध नहीं कर पा रहे, जिसका फायदा उठाकर टीचर्स अपनी सुविधा के अनुसार नौकरी कर रहे हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव संजय गोयल ने मामले की जानकारी मिलने पर कहा कि वह इसे दिखवाएंगे और जल्दी ही कार्रवाई की उम्मीद जताई। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई कदम उठाएगी।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ रीवा जिले के कुम्हरा गांव में शासकीय विद्यालय के सहायक शिक्षक पिछले 10 वर्षों से अनुपस्थित हैं।
✅ उनके अनुपस्थित रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और परिजनों ने इसका विरोध किया है।
✅ शिक्षक की जगह अतिथि शिक्षक को रखा गया है, जिनका प्रशिक्षण अधूरा है।
✅ सहायक शिक्षक एसडीएम कार्यालय में निर्वाचन प्रभारी के तौर पर अटैच हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई।
✅ जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार विभाग के प्रयासों के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल रहा।
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