जबलपुर में आदिवासी जमीन घोटाले में पत्रकार गंगा पाठक और गैंग पर बढ़ा इनाम

जांच के बाद जबलपुर के एसडीएम अभिषेक सिंह ठाकुर ने फर्जी तरीके से की गई रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया है। ज़मीन को दोबारा असली आदिवासी स्वामियों के नाम दर्ज किया गया है।

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Neel Tiwari
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journalist Ganga Pathak
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MP NEWS: जबलपुर के तिलवारा और बरगी थाना क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन हड़पने के फर्जीवाड़े में फरार चल रहे पत्रकार गंगा पाठक पर पुलिस ने इनाम राशि बढ़ा दी है। जबलपुर रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक ने इन आरोपियों की गिरफ्तारी या ठोस सूचना देने वालों को नकद इनाम देने की घोषणा की है।

आदिवासियों की जमीन पर फर्जीवाड़े का खेल

पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ है कि पत्रकार गंगा पाठक ने अपनी पत्नी ममता पाठक सहित सहयोगियों के साथ मिलकर आदिवासी समुदाय की जमीन पर कब्जा किया। उन्होंने गोंड जनजाति के असली जातीय रिकॉर्ड को बदलकर उन्हें राजपूत बताया और मृत व्यक्तियों के नाम पर ज़मीन की रजिस्ट्री करवा ली। इस घोटाले में स्थानीय रजिस्ट्रार कार्यालय केक कुछ अधिकारियों और कर्मचारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

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अब गिरफ्तारी पर मिलेगा अधिक इनाम

जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय ने पहले 5 हजार का इनाम घोषित किया गया था। अब DIG जबलपुर रेंज द्वारा इनाम की राशि में वृद्धि की गई है, जो इस प्रकार है:

गंगा पाठक, निवासी नरसिंह वार्ड, मदनमहल - इनाम 20 हजार रूपये

ममता पाठक, पति गंगा पाठक, निवासी नरसिंह वार्ड, मदनमहल - इनाम 10 हजार रूपये

द्वारका प्रसाद त्रिपाठी, निवासी संत नगर, ग्वारीघाट - इनाम 15 हजार रूपये

जो कोई भी व्यक्ति इन आरोपियों को गिरफ्तार करेगा या गिरफ्तारी में सहायक सूचना देगा, उसे यह राशि प्रदान की जाएगी। सूचनाकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

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अन्य मामलों की भी चल रही तलाश

जांच के बाद जबलपुर के एसडीएम अभिषेक सिंह ठाकुर ने फर्जी तरीके से की गई रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया है। ज़मीन को दोबारा असली आदिवासी स्वामियों के नाम दर्ज किया गया है। यह प्रशासनिक कदम आदिवासी हकों की सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। प्रशासन ने इस प्रकार के अन्य मामलों की भी पुनः जांच शुरू कर दी है।

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आदिवासी समुदाय की आवाज

घोटाले के उजागर होने के बाद आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि सिर्फ ज़मीन वापस करना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने मांग की है कि गंगा पाठक और उनकी पूरी गैंग को गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए। यह मामला आदिवासी समुदाय के जल-जंगल-जमीन के अधिकारों पर हो रहे व्यवस्थित हमलों का एक गंभीर उदाहरण बन गया है।

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