RGPV घोटाला: टेंडर ना निकालना पड़े इसलिए 5 लाख से बड़ा काम ही नहीं किया

RGPV में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। अधिकारियों ने टेंडर किए बिना नियमविरुद्ध तरीके से 6 करोड़ 91 लाख 72 हजार 808 रुपए की फर्नीचर समेत कई आइटम खरीदी। जेम पोर्टल के माध्यम से विवि प्रशासन ने खरीदी के लिए टुकडों में 360 ऑर्डर दिए।

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Pratibha ranaa
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नमन

RGPV घोटाला

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BHOPAL. मध्य प्रदेश की राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ( Rajiv Gandhi Technological University ) में करोड़ों रुपए के गबन के मामले में राज्य सरकार लगातार कड़ी कार्रवाई कर रही ( RGPV scam ) है। आरजीपीवी ( RGPV ) का पैसा निजी खातों में डालने और एफडी घोटाले के मामले में विस्तृत जांच के लिए पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी 13 बिंदुओं पर जांच करेगी और संबंधितों की जिम्मेदारी तय करेगी।

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पांच सदस्यों की कमेटी गठित

आरजीपीवी एफडी घोटाले की विभागीय जांच में करोड़ों हेरफेर का खुलासा हुआ। इस मामले में विस्तृत जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी अलग-अलग बिंदुओं पर जांच करेगी। इसमें पिछले पांच सालों में किए गए सभी फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जांच होगी। संबंधित बैंकों के अधिकारियों/कर्मचारियों की मिलीभगत और पिछले 5 साल में वित्तीय लेन-देन संबंधी पत्राचार/सत्यापन प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी। विश्वविद्यालय के सभी बैंक खातों और इनमें उपलब्ध राशि और फिक्स डिपॉजिट के रूप में उपलब्ध राशि की लिस्ट बनेगी। 

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सारे ऑर्डर 5 लाख रुपए से कम

वहीं विवि में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। अधिकारियों ने टेंडर किए बिना नियमविरुद्ध तरीके से 6 करोड़ 91 लाख 72 हजार 800 रुपए की फर्नीचर, ट्रेनर किट व सीसीटीवी और नेटवर्किंग आइटम की खरीदी। जेम पोर्टल के माध्यम से विवि प्रशासन ने खरीदी के लिए टुकडों में 360 ऑर्डर दिए। इन सभी ऑर्डर की कीमत 5 लाख रुपए से कम रखी, ऐसा इसलिए ताकि ओपन टेंडर ना जारी करना पड़े। जानकारी के अनुसार ये पूरी खरीदी 7 महीने (अक्टूबर 2020 से मई 2021 तक ) में की गई।

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ओपन टेंडर न करना पड़े, इसलिए ये किया

ओपन टेंडर न करना पड़े इसलिए मेटल शेल्विंग रैक्स खरीदी के लिए के एक महीने में तीन अलग-अलग ऑर्डर एक ही एजेंसी इंप्रेशन फर्नीचर इंडस्ट्रीज को दिए। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल लैब के लिए ब्लूटूथ ट्रेनर एजुकेशन किट के लिए करीब 5- 7 ऑर्डर किए। इनकी कीमत 3.14 लाख से 4.99 लाख है। 

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