BHOPAL. बीजेपी ( BJP ) की मंगलवार को जारी छठी सूची में तीन और सांसदों का टिकट काट दिया गया। पार्टी ने अब तक दस मंत्रियों समेत 103 सांसदों को फिर मौका नहीं दिया। 2019 के चुनाव ( Election ) में पार्टी ने 119 सांसदों का टिकट काटा था। एक तरफ बीजेपी ने लिस्ट समय रहते जारी की है तो वहीं मौजूदा सांसदों में से लगभग 100 को रिपीट नहीं किया है। इससे पार्टी कई संदेश दे रही है। पहला यह कि पार्टी ने समय रहते कैंडिडेट घोषित करके उन्हें चुनाव प्रचार में उतरने के लिए पर्याप्त समय दिया है। बीजेपी अपने दम पर 370 सीटों का टारगेट लेकर चल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने संसद सत्र में भी यह बात कही थी। ऐसे में पार्टी को 80 फीसदी तक का स्ट्राइक रेट दिखाना होगा, तभी यह टारगेट मिल सकता है। उम्मीदवारों के पास कम से कम एक महीने का वक्त है कि वे प्रचार कर सकें।
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केंद्रीय मंत्री को टिकट नहीं
बीजेपी की जारी 6वीं सूची में राजस्थान ( Rajasthan ) की दो और इनर मणिपुर ( Inner Manipur ) की एक सीट पर नए चेहरे को मौका दिया गया। करौली-धौलपुर सीट पर मनोज राजोरिया की जगह इंदुदेवी जाटव, दौसा में जसकौर मीणा की जगह कन्हैयालाल मीणा और इनर मणिपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह की जगह बसंत कुमार सिंह को टिकट दिया गया। पार्टी ने अब तक 405 प्रत्याशी उतारे हैं। 35 और प्रत्याशियों की घोषणा शेष है। इनमें बड़ी संख्या यूपी की है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी टिकट काटने के मामले में बीते चुनाव का रिकॉर्ड तोड़ पाती है या नहीं।
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इन दिग्गजों के काटे गए टिकट
इतने वक्त में बीजेपी उन सीटों पर भी रूठे कार्यकर्ता और नेताओं को मना सकेगी, जहां कुछ कद्दावर नेताओं के भी टिकट काटे गए हैं। इन नेताओं में गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह, बक्सर से अश्विनी चौबे, नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी, भोपाल से साध्वी प्रज्ञा, दिल्ली से रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा शामिल हैं। बीजेपी ने इस तरह से विवादित नेताओं को दूर किया है तो ऐसे वरिष्ठ नेताओं को भी चुनावी रेस से बाहर किया है, जो लंबे समय से बने हुए थे।
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NDA का दायरा बढ़ाने में जुटी बीजेपी
बीजेपी अपने टारगेट को पाने के लिए किस हद तक संजीदा है। इसे आंध्रप्रदेश में टीडीपी और पवन कल्याण से दोस्ती से समझा जा सकता है। इसके अलावा पंजाब में अकाली दल को साथ लाने की कोशिश है। महाराष्ट्र में बीजेपी बड़े गठबंधन की नेता है। इस तरह सहयोगी दलों को साथ लाने और विपक्षियों को तोड़ने से बीजेपी को फायदे की उम्मीद है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी जीतने वाली सीटों पर प्रयोग कर रही है और फंसने वाली सीटों पर दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को मौका दे रही है। इसके अलावा कमजोर सीटों पर प्रयोग भी हो रहे हैं और चौंकाने वाले नाम दिए जा रहे हैं।
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