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Indore News:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले 30 नवंबर, रविवार को इंदौर में रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित एक महत्वपूर्ण नागरिक गोष्ठी में शामिल हुए। ये कार्यक्रम संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष के मौके पर हुआ। इस दौरान उन्होंने भारत और हिंदुत्व के बारे में अपने विचार साझा किए।
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भारत मानव धर्म का देश है
आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि पुराणों और दुनिया के विभिन्न विद्वानों ने हिन्दू और हिन्दुस्तान को अलग-अलग कालखंडों में परिभाषित किया है। भारत, मानव धर्म का देश है, जो सृष्टि में एकत्व का दर्शन करता है।
उन्होंने कहा कि यह मानव धर्म विश्व को बताने वाले हिन्दू है। हिन्दू एक भू-सांस्कृतिक अवधारणा है। हिन्दू धर्म संवेदना, कर्तव्य, गुण ( कैरेक्टरीस्टिक ) और जीवन शैली के साथ उपासन पद्धति से संबंधित है। हिंदुत्व भारत की आत्मा है।
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इसलिए हुए संघ की स्थापना
‘संघ यात्रा के सौ वर्ष’ पर बात करते हुए होसबाले ने संघ की स्थापना का कारण और उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि जब समाज में संगठन की कमी थी, लोग धर्म से दूर हो रहे थे। पराधीनता के समय सांस्कृतिक कमजोरी और स्वार्थी सोच बढ़ रही थी, तो समाज पतन की ओर बढ़ रहा था।
इस स्थिति को सुधारने और एक मजबूत समाज बनाने के लिए डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। उन्होंने बताया कि संघ के कार्यकर्ता हर आपदा में सबसे आगे रहते हैं। आपातकाल के दौरान संघ ने लोकतंत्र को फिर से स्थापित करने के लिए बहुत संघर्ष किया। रामजन्मभूमि आंदोलन और स्वदेशी जागरण में भी संघ का योगदान सभी को मालूम है।
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यह इसलिए हिंदू राष्ट्र
उन्होंने कहा कि संघ का काम एक राष्ट्रीय आंदोलन है। यह समाज का संगठन है। समाज को संगठित करना संघ का कार्य है। उन्होंने हिन्दुत्व को भारत की पहचान बताया। इस भूमि में रहने वाले इस समाज के कारण यह हिन्दू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि इसी एक संस्कृति की विविध अभिव्यक्तियां हैं, परंतु संस्कृति का मूल एक है। हिन्दुत्व, हिन्दू और हिन्दू राष्ट्र भारत की पहचान है।
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इन मुद्दों पर भी की बात
कार्यक्रम के आखिरी सत्र में सरकार्यवाह जी ने एक बौद्धिक चर्चा की। इस चर्चा में उन्होंने सिक्ख-पंजाब, नशा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, युवाओं की भूमिका, भ्रष्टाचार और हिन्दुत्व से जुड़ी समसामयिक समस्याओं के समाधान पर बात की। उन्होंने भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने के लिए समाज से एकजुट होकर काम करने की अपील की। धर्मांतरण पर उन्होंने कहा कि अगर कानून का सख्ती से पालन किया जाए तो कंवर्जन पर रोक लग सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म कभी भी कनवर्जन नहीं करता, बल्कि वह इंक्लूजन यानी सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करता है। स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिका में धर्म और संस्कृति का प्रचार किया, लेकिन किसी से रिलीजन बदलने के लिए नहीं कहा। इस कार्यक्रम में मालवा प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों से 750 से ज्यादा लोग शामिल हुए, जिनमें उद्योग, चिकित्सा, विज्ञान, साहित्य, मीडिया, शिक्षा, प्रशासन, न्याय, खेल और सामाजिक संगठनों के लोग थे। मंच पर प्रांत संघचालक प्रकाशजी शास्त्री और इन्दौर विभाग संघचालक मुकेश मोढ भी मौजूद थे।
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