खजाने के लिए सागर के चंदेल मंदिर बन रहे निशाना, तहस-नहस कर रहे लोग, गर्भगृह तक नहीं छोड़ा

मध्य प्रदेश के सागर जिले के लखनझिर और पत्थरगढ़ गांवों के जंगलों में स्थित चंदेलकालीन मंदिरों में खजाने की तलाश में लोग इन मंदिरों को खोदकर तहस-नहस कर रहे हैं।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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चंदेलकालीन मंदिर हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। लेकिन, मध्य प्रदेश के सागर जिले में बने ये मंदिर यहां छिपे खजाने की खोज को लेकर चर्चा में हैं। जिले के लखनझिर और पत्थरगढ़ गांवों के जंगलों में स्थित इन मंदिरों को लोग खजाने की तलाश में खोद-खोद कर तहस-नहस करने पर तुले हैं। 9वीं से 13वीं शताब्दी में नागर शैली में बने इन मंदिरों का गर्भगृह तक खोद डाला है। मंदिर की दीवारें भी तोड़ दी हैं। पुरातत्व विभाग ने चंदेलकालीन इन धरोहरों को संरक्षण देने पर कोई ध्यान नहीं दिया है। 

खंडित कर दी हैं मूर्तियां

इन मंदिरों के शिखर और भगवान की मूर्तियां खंडित हैं। नंदी की प्रतिमाएं को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। दीवालों को तोड़ दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर में खुदाई के लिए उत्तर प्रदेश से लोग मशीनें लेकर आए थे। 

रोक के बावजूद खुदाई जारी 

उजनेटी गांव से 12 किमी दूर सूखी बांकरई और धसान नदी के रास्ते मंदिर के इन खंडहरों तक पहुंचा जा सकता है। लोगों ने यहां स्थित तीन मंदिरों के गर्भगृह को 100 मीटर की गहराई तक खोद दिया है। इसके अलावा विनायका गांव में संरक्षित विष्णु मंदिर के आसपास भी 80 मीटर तक खुदाई की गई है, जबकि यहां 200 मीटर तक खुदाई करने पर रोक है। पुरातत्व विभाग के द्वारा अब यहां चौकीदार तैनात किए हैं।

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यहां बाजार लगता था कभी

एक समय था जब यहां पर अच्छा-खासा बाजार लगता था। इस बाजार को ‘पुतरों की ओल’ कहा जाता है। डकैतों का अड्डा रहे इन क्षेत्रों में वर्षों से खजाने को ढूँढने के लिए खुदाई चल रही है। आस-पास के लोग हर दिन इस कोशिश में समय व्यतीत कर रहे हैं। खजाने के लालच में एक बैंककर्मी ने तो नौकरी तक छोड़ दी थी।

पुरातत्व विभाग को उठाने चाहिए ठोस कदम

इतिहासकारों का कहना है कि लोग पहले सुरक्षा के लिए धन जमीन में जरुर छिपाते थे, लेकिन हर जगह खजाना मिलना जरूरी नहीं है। पुरातत्व विभाग को इन धरोहरों को बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। लगातार खुदाई से इन प्राचीन मंदिरों की सुंदरता को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

 

 

 

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