सागर के श्रीदेव दत्तात्रेय मंदिर में केवल ब्राह्मणों की एंट्री, HC हुआ सख्त

सागर जिले के श्रीदेव दत्तात्रेय मंदिर में केवल ब्राह्मणों को दर्शन की अनुमति देने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अवमानना याचिका दायर करने का निर्देश दिया।

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Sandeep Kumar
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सागर जिले के श्रीदेव दत्तात्रेय मंदिर में सिर्फ ब्राह्मणों को पूजा और दर्शन की अनुमति देने को लेकर विवाद गहरा गया है। गौरझामर के डॉ. उत्तम सिंह लोधी ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि पब्लिक ट्रस्ट की जमीन पर बने इस मंदिर में अन्य जातियों के लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता। यह स्थिति असहमति का कारण बन चुकी है, और कई लोगों ने इस निषेधाज्ञा के खिलाफ आवाज उठाई है।

मंदिर पर कब्जा 

याचिका में यह भी कहा गया कि मंदिर में पूजा करने और दर्शन करने का विशेष अधिकार ब्राह्मणों को ही दिया गया है। आरोप है कि मंदिर के चारों ओर गोलू शेंडे ने कब्जा कर रखा है। उनके पिता पहले मंदिर के महंत और ट्रस्टी थे, और उनका यह कहना है कि देव दत्तात्रेय ब्राह्मणों के देवता हैं, इसलिए केवल ब्राह्मण ही मंदिर में पूजा कर सकते हैं।

इस स्थिति से लोगों में आक्रोश है और इसके विरोध में आंदोलन भी चलाया गया। याचिकाकर्ता ने इस पर उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सख्ती दिखाई।

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हाईकोर्ट की सुनवाई और आदेश 

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने इस मामले में सख्त कदम उठाया। कोर्ट ने कहा कि यदि पहले पारित यथास्थिति आदेश का पालन नहीं होता है, तो याचिकाकर्ता को अवमानना याचिका दायर करने का पूरा अधिकार होगा। इस आदेश के बाद पुलिस को भी मंदिर के आसपास तैनात किया गया है।

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क्या है यथास्थिति आदेश? 

पूर्व में मंदिर ट्रस्ट और ट्रस्टी की नियुक्तियों से संबंधित कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। इसका मतलब है कि वर्तमान में किसी भी प्रकार का बदलाव या पुनर्नियुक्ति तब तक नहीं की जा सकती जब तक कोर्ट का आदेश न हो।

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