समुद्र मंथन से निकले रत्नों की गाथा की भोपाल-उज्जैन में होगी प्रदर्शनी

भोपाल के रवींद्र भवन परिसर में समुद्र मंथन दिवस पर नाट्य समारोह और प्रदर्शनी का आयोजन होगा। यह प्रदर्शनी उज्जैन के महाकाल लोक परिसर में भी प्रदर्शित होगी।

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Sandeep Kumar
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भारतीय पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन एक बेहद रोचक और ज्ञान से भरी घटना मानी जाती है। इस मंथन से 14 अद्भुत रत्न निकले थे, जिनमें अमृत, लक्ष्मी, ऐरावत हाथी और कामधेनु जैसी दिव्य वस्तुएं शामिल थीं। अब इन्हीं रत्नों की कहानी को एक नई कला प्रदर्शनी के जरिए भोपाल और उज्जैन में आम लोगों के सामने लाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों का देवों और असुरों के बीच उज्जैन में बंटवारा हुआ था।

ये थे समुद्र मंथन से निकले 14 रत्न

1. शंख – भगवान विष्णु का प्रतीक और शुभता का संकेत

2. चक्र – विष्णु का अस्त्र जो धर्म की रक्षा करता है

3. गदा – शक्ति और साहस का प्रतीक

4. अमृत कलश – अमरता का अमूल्य वरदान

5. लक्ष्मी – धन, सौंदर्य और समृद्धि की देवी

6. ऐरावत – इंद्र का सफेद हाथी, बादलों और वर्षा का संकेत

7. कामधेनु – इच्छाएं पूरी करने वाली चमत्कारी गाय

8. उच्चैःश्रवा – दिव्य सफेद घोड़ा

9. पारिजात – स्वर्गिक खुशबू वाला वृक्ष

10. वरुण कुंभ – जल का प्रतीक

11. कालकूट विष (हलाहल) – जिसे शिव ने अपने कंठ में धारण किया

12. चंद्रमा – जिसे शिव ने अपने शीश पर धारण किया

13. अप्सराएं – कला, सौंदर्य और नृत्य की देवियां

14. धन्वंतरि – आयुर्वेद और औषधि के देवता, अमृत कलश के साथ प्रकट हुए

इन रत्नों के जरिए यह समझाया जाएगा कि जीवन में संघर्ष और संतुलन से ही मूल्यवान चीजें प्राप्त होती हैं, जैसे मंथन से रत्न निकले, वैसे ही मेहनत से सफलता मिलती है।

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24 जुलाई से शुरू होगी कला प्रदर्शनी

24 जुलाई को ‘समुद्र मंथन दिवस’ के मौके पर भोपाल के रवींद्र भवन परिसर में ‘कलाओं में बघेश्वर और मणिधर’ नाम से विशेष प्रदर्शनी लगेगी। इसका उद्घाटन सीएम मोहन यादव। यह प्रदर्शनी 29 जुलाई तक चलेगी, जिसमें लोग समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों की कथाओं को चित्रों और कलाकृतियों के जरिए देख सकेंगे।

प्रदर्शनी में लोक और जनजातीय कलाकारों ने अपनी कल्पना और परंपरा से समुद्र मंथन के हर रत्न को चित्रित किया है। हर रत्न का विशेष महत्व है, और इन चित्रों के जरिए उसकी कहानी युवाओं और दर्शकों तक पहुंचेगी।

उज्जैन में नाग पंचमी और बाघ दिवस पर भी दिखेगी प्रदर्शनी

इस प्रदर्शनी को भोपाल के बाद उज्जैन के महाकाल लोक परिसर में भी प्रदर्शित किया जाएगा। 27 जुलाई से शुरू होकर यह प्रदर्शनी 28 जुलाई को बाघ दिवस और 29 जुलाई को नाग पंचमी के खास मौके पर लोगों के लिए खोली जाएगी और एक हफ्ते तक चलेगी। उज्जैन, जहां समुद्र मंथन की प्राप्त वस्तुओं का वितरण हुआ था, वहां इस प्रदर्शनी का आयोजन और भी अर्थपूर्ण बन जाता है।

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इन विशेष चित्रों का होगा प्रदर्शन

समुद्र मंथन में शिव जी की भूमिका सबसे खास मानी जाती है, क्योंकि उन्होंने विष (हलाहल) को अपने कंठ में रखकर सृष्टि की रक्षा की थी। इस त्याग को चित्रों के जरिए दिखाया जाएगा।

नाग देवता, जो शिव के गले में रहते हैं, और बाघ, जो शक्ति और वन्य जीवन का प्रतीक हैं, इन्हें भी चित्रों और लोक परंपरा के माध्यम से पेश किया जाएगा।

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इस प्रदर्शनी की सबसे बड़ी खूबी है कि इसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोक कलाकारों ने अपनी परंपराओं को आधुनिक रंगों और ब्रश से जोड़ा है। वेद, पुराण और महाकाव्यों में वर्णित समुद्र मंथन को इन कलाकारों ने पेंटिंग, मूर्तिकला और मिट्टी के कामों में रूपांतरित किया है। यह कला सिर्फ देखने लायक नहीं, बल्कि सोचने और समझने लायक भी होगी।

प्रदर्शनी का स्थान और समय

प्रदर्शनी का पहला चरण 24 से 29 जुलाई 2025 तक भोपाल के रवींद्र भवन परिसर में होगा। इसके बाद, यह उज्जैन के महाकाल लोक परिसर में 27 जुलाई से एक सप्ताह के लिए प्रदर्शित की जाएगी। इस दौरान, बाघ दिवस और नाग पंचमी के अवसर पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम और कला प्रदर्शन होंगे।

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