INDORE : विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय प्रबन्ध समिति की दो दिवसीय बैठक जोधपुर के माहेश्वरी भवन में सम्पन्न हुई। रविवार 28 जुलाई को बैठक में हुए फैसले की जानकार दी गई। इसमें सबसे अहम मप्र-छग प्रांत के नए क्षेत्रीय संगठन मंत्री की घोषणा करना है। संघ के वरिष्ठ प्रचारक जितेंद्र पंवार को यह जिम्मेदारी दी गई है। अभी तक इस पद पर मनोज वर्मा थे लेकिन उनके केंद्र में जाने के बाद छह माह से यह पद खाली था।
कौन है पंवार
जितेंद्र पवार संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं। वह राजगढ़ के मूल निवासी है। अशोकनगर में जिला प्रचारक रहे, बाद में झारखंड में विभाग प्रचारक, सह प्रांत प्रचारक रहे, अभी वर्तमान में मध्यक्षेत्र में क्षेत्र शारीरिक प्रमुख रहे। अब वह विश्व हिंदू परिषद में भोपाल क्षेत्र का कार्य देखेंगे। उनके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत मालवा, मध्य भारत, महाकौशल, और छत्तीसगढ़ यह चार प्रांत आते हैं। वीएचपी मालवा प्रांत के प्रांत सह प्रचार प्रसार प्रमुख रवि कसेरा ने इसकी पुष्टि की है।
बैठक में दुकानों के बाहर नाम लिखने का समर्थन
परिषद की केन्द्रीय प्रबन्ध समिति की दो दिवसीय बैठक जोधपुर के माहेश्वरी भवन में सम्पन्न हुई। रविवार को बैठक की सम्पूर्ण जानकारी के लिए हुई पत्रकार वार्ता को विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि बैठक में प्रत्येक विस्थापित हिन्दू को नागरिकता मिले, हिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित करने के साथ, मन्दिरों को जागरण, धर्म प्रचार, सेवा व समरसता के केन्द्र बनाने का संकल्प लिया गया।
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जन्माष्टमी पर होंगे जनजागरण कार्यक्रम
विहिप अध्यक्ष ने कहा कि इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को विहिप के 60 वर्ष पूर्ण होंगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे में देशभर में हजारों स्थानों पर व्यापक जनजागरण कार्यक्रम होंगे। 24 अगस्त से 1 सितंबर के बीच आयोजित होने वाले इन स्थापना दिवस महोत्सव कार्यक्रमों के अन्तर्गत विहिप की 60 वर्षो की उपलब्धियां, वर्तमान में राष्ट्र, धर्म व हिन्दू समाज के समक्ष चुनौतियां तथा उनके निराकरण के सम्बन्ध में चर्चाएं, संगोष्ठियाँ व सार्वजनिक कार्यक्रम होंगे।
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दुकानो के बाहर नाम लगाना सही कदम
विहिप ने कहा कि मुसलमानों को अधिकार बताया जाता है कि वह खाने के पहले देखें कि वह खाना हलाल का है या नहीं। खाने में धार्मिक भाव को देखा जा सकता है तो बेचने वाले के बारे में क्यों नहीं? इस बारे में कानून 2006 में बना था। 2011 में नियम बने थे। इन नियमों में यह निर्देश था कि खाने का सामान बेचने वालों को अपना लाइसेंस दुकान पर लगाना पड़ेगा जिसमें उनका नाम शामिल है। तब केन्द्र में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की सरकार थी। बहुत सारे ऐसे कानून है जिसमें हर दुकानदार को अपनी दुकान के सामने अपना रजिस्ट्रेशन लगाना पड़ता है। इसमें उसका नाम होता ही है एवं इसके अलावा अन्य काफी जानकारियां होती है, जैसे जीएसटी नंबर, टिन नंबर, शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट आदि। फिर इस बार ही आपत्ति क्यों?
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कई दुकानदार हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखते हैं नाम
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि यह सर्वविदित है कि हिन्दू धर्म स्थलों, तीर्थो तथा धर्मिक यात्राओं के मार्ग में बहुत सारे मुसलमान दुकानदार अपने दुकान का नाम हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर रखते है तथा कई जगह तो वे हिन्दू देवी देवताओं के चित्र भी लगाते है। यह सीधे-सीधे अपना मजहब छुपाकर धोखा देने की बात है। कोई इस प्रकार के धोखे को अपना कानूनी अधिकार कैसे बता सकता है? क्या तीर्थ यात्रियों को यात्रा में अपने धर्म के अनुसार धार्मिक सात्विक खाना खाने का अधिकार भी नहीं है? आलोक कुमार ने यह भी कहा कि निश्चय ही लोकतंत्र में दो आदेश नहीं हो सकते। किसी एक धर्म के मानने वालों के लिए अलग और हिन्दू धर्म के मानने वालो के लिए अलग। हमें यह मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस आदेश पर रोक लगाई है। इस आज्ञा का सम्मान होना चाहिए। किंतु, हम यह आशा करते हैं कि गुण दोष के आधार पर पूरी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना यह आदेश वापस लेकर याचिका को शीघ्र रद्द करेगी।
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