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भोपाल।
मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा दुर्दिनों से गुजर रही है। आलम यह,कि बोर्ड की बारहवीं कक्षा के परीक्षा में सवा सौ से ज्यादा हायर सेकेंड्री स्कूल 30 फीसद परिणाम भी नहीं दे सके। बीते एक दशक में स्कूली शिक्षा का बजट दोगुना हुआ,लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे 25लाख से अधिक कम हो गए।
प्रदेश में स्कूल शिक्षा के हालातों से जुड़ा यह मामला बुधवार को सदन में उठा। कांग्रेस विधायक अजय सिंह के एक सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की बाहरवीं कक्षा के परिणाम का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 123 ऐसे हायर सेकेंड़ी स्कूल हैं,जिनका परीक्षा परिणााम 12वीं कक्षा में 30 प्रतिशत से कम रहा। इसी श्रेणी में सबसे खराब स्थिति दमोह जिले की है। जहां 22 स्कूल अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं दे सके।
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शून्य प्रतिशत रहा परिणाम
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि छिंदवाड़ा में दो,रीवा के एक स्कूल में एक भी बच्चा परीक्षा पास नहीं कर सका। दमोह के बाद रीवा वह जिला है,जहां 12 स्कूलों का परिणाम 30 प्रतिशत से कम है। कुछ स्कूलों में तो यह 5 से 7 प्रतिशत ही रहा। शालाओं में पढ़ाई का स्तर सुधारने मौजूदा सत्र में अप्रैल से ही स्कूल खोले गए। वहीं नए शिक्षण सत्र से पहले विद्यालयों में पुस्तकें भी उपलब्ध करा दी गई हैं।
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बजट दोगुना,बच्चे 25 लाख कम हुए
सिर्फ हायर सेेकेंड्री स्कूल ही नहीं,निचले स्तर पर भी सरकारी स्कूलों की हालत हैरत पैदा करने वाली है। कांग्रेस के ही विधायक प्रताप ग्रेवाल ने सदन में सवाल उठाया कि क्या वजह है कि बीते 10 सालों में मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा के बजट में करीब सौ फीसदी का इजाफा हुआ। यह लगभग दोगुना हो गया,लेकिन दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या महज आठ साल में ही करीब 25 लाख कम हो गई। जबकि दूसरी ओर बीते एक दशक में प्रदेश की आबादी बढ़ी है।
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सुशासन संस्थान से विभाग को उम्मीद
कांग्रेस सदस्य के सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में साल-दर-साल आ रही कमी को देखते हुए विभाग ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान भोपाल को दो माह पहले ही पत्र लिखा है। इसमें इस संस्थान से स्कूलों में नामांकन में आ रही कमी में सुधार लाने का आग्रह किया गया।
जर्जर स्कूल भवनों को लेकर चिंता,मदद जीरा समान
सदन में अन्य सदस्यों ने भी प्रदेश में स्कूल शिक्षा के हालात पर चिंता जताई। अनेक सदस्यों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों के खस्ताहाल स्कूल भवनों का हवाला देते हुए इनकी मरम्मत की मांग भी रखी।
दतिया से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती के एक सवाल के जवाब में मप्र स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री ने कहा कि राज्य शासन की ओर मौजूदा एवं पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार की ओर से हर जिले को 25-25 लाख रुपए शाला मरम्मत मद में आवंटित किए गए। हालांकि इससे पहले के वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार की ओर से कोई राशि इस मद में नहीं दी गई,लेकिन इससे पहले के वित्तीय वर्ष 2022-23 में करीब दो करोड़ 40 लाख रुपए स्कूलों की मरम्मत के लिए दिए गए।
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भोपाल में 138 स्कूल बसें कंडम घोषित
विधायक आतिफ अकील के एक सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि राजधानी भोपाल में 2598 स्कूल बसें संचालित हैं। इनमें से 138 बसों को कंडम मानते हुए स्क्रेप योग्य घोषित किया गया है। बता दें कि बीते करीब डेढ़ साल के दौरान ही राजधानी में स्कूल बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने की 14 घटनाएं हुईं। इन बसों की चपेट में आने से 6 लोग मारे गए थे एवं 18 घायल हुए ।