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सतना जिले की रघुराजनगर तहसील में 9 पटवारियों के तबादले के बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। इस तबादले के पीछे एक पत्र को आधार बनाया गया था, जो बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष अशोक कोल के नाम से मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को भेजा गया था। इस पत्र के अनुसार, रघुराजनगर तहसील में 5 साल से जमे पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों के तबादले की मांग की गई थी। लेकिन अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह पत्र फर्जी था और इसे अशोक कोल ने नहीं लिखा था।
फर्जी पत्र का खुलासा
इस घटनाक्रम का खुलासा होते ही बीजेपी पदाधिकारी अशोक कोल ने तुरंत मुख्यमंत्री कार्यालय और कलेक्टर को सूचित किया। उन्होंने दावा किया कि उनके नाम से भेजा गया पत्र फर्जी था। अशोक कोल ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका इस पत्र से कोई संबंध नहीं है और उन्होंने इसे फैक्स के जरिए सीएमओ को सूचित किया था। साथ ही, कलेक्टर को मिलकर उन्होंने इस मामले को अवगत कराया।
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पत्र में क्या था?
पत्र में रघुराजनगर तहसील के पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसमें कहा गया था कि इन अधिकारियों ने गिरोह बना लिया था, जो जनता के कामों की अनदेखी कर रहा था। खसरे में जानबूझकर त्रुटियां की जाती थीं और जमीन की खरीद-फरोख्त में हेरफेर की जाती थी। इसके परिणामस्वरूप किसानों को अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। पत्र में बृजेश निगम, वीरेश सिंह, हेमंत सिंह, स्नेहलता सिंह, अनूप पांडेय, उमेश सिंह, अजय सिंह और श्रीकृष्ण गौतम के नामों का उल्लेख था, और इन्हें हटाने की मांग की गई थी।
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तबादले पर उठे सवाल
पत्र के आधार पर हुए तबादले पर सवाल उठने लगे हैं। जिन पटवारियों को हटाने की बात थी, उन्हें कमाई वाले हल्कों में भेज दिया गया। इसके बाद राजस्व महकमे में हड़कंप मच गया। तबादलों पर प्रतिबंध के बावजूद हल्के बदलने और शहरी-ग्रामीण तबादलों को शहरी एसडीएम द्वारा करने पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह सब इस बात को और अधिक संदिग्ध बनाता है कि क्या सच में यह पत्र फर्जी था या किसी की साजिश का हिस्सा था।
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मुख्यमंत्री कार्यालय का संज्ञान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पत्र पर संज्ञान लिया और जनवरी महीने में इसकी जांच शुरू की। मार्च के पहले सप्ताह में, अपर सचिव स्तर से सतना कलेक्टर को उच्च प्राथमिकता के साथ कार्रवाई करने के निर्देश भेजे गए। इसके आधार पर अनुविभागीय अधिकारी रघुराजनगर के आदेश क्रमांक 162 के तहत 9 पटवारियों के हल्के बदल दिए गए थे।
5 बिंदुओं में समझे पूरी स्टोरी
✅ बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष अशोक कोल के नाम से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया था। इस पत्र में 5 साल से जमे पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों के तबादले की मांग की गई थी।
✅ बाद में यह पता चला कि यह पत्र फर्जी था और अशोक कोल ने इसे नहीं भेजा था। उन्होंने तुरंत मुख्यमंत्री कार्यालय और कलेक्टर को सूचित किया कि उनके नाम से भेजा गया पत्र झूठा था।
✅ पत्र में रघुराजनगर के पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसमें कहा गया था कि इन अधिकारियों ने एक गिरोह बना लिया था।
✅ इस पत्र के आधार पर जो तबादले किए गए, उनके बारे में सवाल उठने लगे। जिन पटवारियों को हटाया गया था, उन्हें कमाई वाले हल्कों में भेजा गया।
✅ मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले का संज्ञान लिया सतना कलेक्टर को कार्रवाई करने के निर्देश भेजे गए। जिसके बाद 9 पटवारियों के हल्के बदल दिए गए।