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MP News : मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला बेहद गंभीर है क्योंकि उन पर आरोप है कि उन्होंने सेवा में कार्यरत कर्नल रैंक की महिला अधिकारी सोफिया कुरैशी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक और अमर्यादित टिप्पणी की है। यह मामला अब केवल राजनीतिक विवाद न रहकर न्यायिक जांच के दायरे में आ चुका है, और इसकी गंभीरता को देखते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच हो।
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने "कुंवर विजय शाह बनाम उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश एवं अन्य" नामक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह साफ किया कि यदि कोई उच्च पद पर बैठा व्यक्ति अपनी स्थिति का दुरुपयोग करता है, या सार्वजनिक तौर पर किसी महिला अधिकारी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाता है, तो कानून की नजर में उसे भी वही प्रक्रिया और जवाबदेही भुगतनी होगी जो एक सामान्य नागरिक को भुगतनी पड़ती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकार को निष्पक्ष रहकर जांच करानी चाहिए ताकि न्यायपालिका की विश्वसनीयता बनी रहे और पीड़ित को न्याय मिल सके।
मानपुर थाने में दर्ज है आपराधिक मामला
मंत्री विजय शाह के कथित बयानों के संबंध में पहले ही थाना मानपुर, जिला इंदौर (ग्रामीण) में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। यह FIR अपराध क्रमांक 188/2025 के अंतर्गत पंजीबद्ध की गई है। इस शिकायत में भारतीय न्याय संहिता (भा.ज.स. – 2023) की धारा 152 (लोकसेवक द्वारा पद का अनुचित उपयोग), धारा 196(1)(बी) (धार्मिक या जातीय वैमनस्य फैलाने की मंशा से की गई अभिव्यक्ति), और धारा 197(1)(सी) (पद का दुरुपयोग कर सेवा कार्य में बाधा उत्पन्न करना) शामिल की गई हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि मामला केवल बयानबाज़ी का नहीं, बल्कि गंभीर आपराधिक प्रकृति का माना जा रहा है।
SIT में तीन वरिष्ठ IPS अधिकारी जांच करेंगे
पुलिस महानिदेशक, मध्य प्रदेश द्वारा इस मामले की जांच हेतु एक विशेष जांच दल (Special Investigation Team – SIT) का गठन किया गया है। इस SIT में राज्य के तीन अनुभवी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को नामित किया गया है, जिन्हें विभिन्न जिलों में कानून व्यवस्था और संवेदनशील मामलों की लंबी प्रशासनिक पृष्ठभूमि प्राप्त है।
प्रमोद वर्मा, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और सागर ज़ोन के पुलिस महानिरीक्षक, को टीम का नेतृत्व सौंपा गया है।
कल्याण चक्रवर्ती, उप पुलिस महानिरीक्षक, विशेष सशस्त्र बल, भोपाल – जो अपने निर्णयों में निष्पक्ष और संयमित माने जाते हैं।
वाहिनी सिंह, पुलिस अधीक्षक, डिंडोरी – जिन्हें महिला मामलों और संवेदनशील प्रकरणों में न्यायसंगत दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है।
इन तीन अधिकारियों की टीम को निर्देशित किया गया है कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित सीमा-रेखा में रहकर त्वरित, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करें।
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भोपाल से इंदौर तक पुलिस महकमा हुआ अलर्ट
SIT गठन के बाद पुलिस मुख्यालय, भोपाल से एक विस्तृत आदेश जारी किया गया है। सभी संबंधित अधिकारियों को सूचित किया गया है कि वे इस जांच में पूर्ण सहयोग दें। आदेश में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), पुलिस महानिरीक्षक (ग्रामीण इंदौर), पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण इंदौर), और मानपुर थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया है कि वे SIT को हर प्रकार की जानकारी, दस्तावेज़ और रिकॉर्ड शीघ्र उपलब्ध कराएं। यह भी कहा गया है कि किसी भी स्तर पर टालमटोल या लापरवाही को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।
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राजनीतिक गलियारों में मचा हड़कंप
मामला सामने आने और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने माफी मांगने के बाद कोई भी सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, उनके राजनीतिक विरोधियों ने इस अवसर को जोरदार ढंग से उठाया है। विपक्षी दलों ने यह कहते हुए सरकार पर निशाना साधा है कि जब एक महिला अधिकारी के सम्मान से खिलवाड़ होता है और सरकार मौन रहती है, तो यह प्रदेश की प्रशासनिक नैतिकता पर सवाल खड़े करता है। कई महिला संगठन और पूर्व आईएएस अधिकारी भी इस मुद्दे पर आगे आए हैं और जांच प्रक्रिया की निगरानी की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में देना होगा जवाब
अब विशेष जांच दल को अधिकार है कि वह मंत्री विजय शाह से आवश्यक पूछताछ करे, उनके बयान दर्ज करे, डिजिटल और वीडियो साक्ष्यों की जाँच करे और पीड़ित पक्ष की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करे। जांच पूरी होने के बाद, SIT को अपनी विस्तृत रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी। कोर्ट यह देखेगा कि क्या मंत्री के खिलाफ आरोपों में प्रथम दृष्टया सत्यता है, और यदि हाँ, तो उनके खिलाफ अगली न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यह मामला सिर्फ एक मंत्री की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी का नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में प्रशासनिक मर्यादा, महिला सम्मान, और न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता की कसौटी पर खड़ा है। सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख यह साबित करता है कि भारत का संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देता है , चाहे वह सत्ता में हो या सेवा में। यदि यह जांच निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ती है और समयबद्ध परिणाम सामने आते हैं, तो यह भविष्य के लिए एक मिसाल बन सकती है।