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इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की स्कीम 171 को खत्म करने के लिए एक बार फिर बोर्ड में प्रस्ताव आ रहा है। शुक्रवार को IDA की बोर्ड मीटिंग संभाग आयुक्त कार्यालय में सुबह शुरू हो गई है। इसी दौरान स्कीम 171 से अपनी ज़मीन मुक्त करने की मांग को लेकर विभिन्न संस्थाओं के पीड़ित सदस्य सुबह सबसे पहले IDA के दफ्तर के वहां पहुंचे और अधिकारियों को ज्ञापन दिया कि हमारा प्रस्ताव बोर्ड में रखा जाए और उस पर फैसला लेकर स्कीम से मुक्त किया जाए। अधिकारियों ने ज्ञापन लिया इसके बाद सभी पीड़ित संभाग आयुक्त कार्यालय पहुंच गए हैं और उनका कहना है कि हम सब बोर्ड मीटिंग खत्म होने का इंतजार करेंगे। हम शांतिपूर्वक अपनी बात रख रहे हैं, 30 साल हो गए हैं और अब ज़मीन मुक्त होना चाहिए। सारे हमने कायदे नियम से पूरी राशि IDA को चुका दी है, सारी जांच कई बार हो चुकी है और अब स्कीम से मुक्ति चाहिए।
बता दें स्कीम के कारण 30 सालों से परेशान 6000 पीड़ितों की उम्मीदें टिकी हुई है। उधर आईडीए नियमों के जाल में उलझा हुआ है और रास्ता निकालने में जुटा हुआ है। संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह और आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार का फैसला अहम होने जा रहा है। विधायक महेंद्र हार्डिया इस केस के लिए लंबे समय से लगे हैं। वह भी लगातार अधिकारियों और बोर्ड को इस संबंध में फैसले के लिए बोल रहे हैं।
बोर्ड बैठक में टल रहा प्रस्ताव, अब सभी पीड़ित आएंगे
इस मामले में लंबे समय से बोर्ड में या तो प्रस्ताव आ नहीं रहा या फिर आ रहा है तो इसे फैसले के लिए टाला जा रहा है। अब यह प्रस्ताव नहीं टले और इसमें उनके हक में फैसला हो इसके लिए पुष्पविहार कॉलोनी प्लाट धारक समूह ने घोषणा कर दी है कि वह बोर्ड बैठक के दौरान आईडीए परिसर में मौजूद रहेंगे और अपनी मांग दोहराएंगे।
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पीड़ितों को क्यों है आशंका
दरअसल पीड़ित 30 साल से जमीन की मुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब स्कीम से मुक्ति के लिए जब सारी प्रक्रिया हो गई, लेकिन बोर्ड की मुहर जरूरी है। दरअसल हाल ही में नगरीय प्रशासन विभाग का एक पत्र स्कीम 97 के संबंध में दिया इसके तहत कहा गया कि आईडीए को डीनोटिफिकेशन का अधिकार नहीं है।
पत्र, शासन के गजट नोटिफिकेशन से बड़ा नहीं
जानकारों और पीड़ितों का कहना है कि मप्र शासन ने खुद ही गजट नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि कोई भी स्कीम आईडीए या किसी भी अन्य प्राधिकरण से कैसे मुक्त हो सकती है। इसके तहत साफ है कि जिन स्कीम में 10 फीसदी से कम विकास काम हुआ है. वहां पर विकास शुल्क लेकर स्कीम को लैप्स किया जा सकता है। इसके लिए मप्र शासन ने गजट नोटिफिकेशन में ही प्रारूप भी जारी किया है, जिसे भरकर राशि लिया जाना है। यह प्रारूप भी इसी नोटिफिकेशन के आधार पर आईडीए ने बीते साल जारी किया था और इसके तहत 22 दिसंबर 2024 को विकास शुल्क 5.84 करोड़ रुपए भर दिए गए थे। आईडीए के बोर्ड में ही स्कीम 171 के लिए विकास शुल्क 5.84 करोड़ तय हुआ था। इसी के तहत यह प्रारूप जारी हुआ था।
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डर केवल भूमाफियाओं का है
दरअसल इस स्कीम में लंबे समय से भूमाफियाओं के खेल चल रहे हैं। इसमें भले ही जमीन पर अभी किसी को भवन अनुज्ञा के अधिकार नहीं है, लेकिन यहां खरीद-फरोख्त और कब्जे के दौर लगातार चलते रहे हैं। इसमें कई माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण भी मिलता रहा है। तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर पीड़ितों को जमीन पर कब्जा दिलवाया गया और जमीन के दस्तावेज की जांच भी हुई। लेकिन इसके बाद भी बोर्ड को डर इसी बात का है कि इसमें भूमाफिया कोई खेल नहीं कर लें और अच्छा करने में कुछ गलत नहीं हो जाए।
4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉 इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की स्कीम 171 को समाप्त करने के लिए बोर्ड में प्रस्ताव आ रहा है। इस स्कीम के कारण 6000 से ज्यादा पीड़ित 30 साल से परेशान हैं और उनके लिए यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण है। 👉 पहले बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को टाला गया था। अब पुष्पविहार कॉलोनी के प्लॉट धारक अपनी मांग को दोहराने के लिए आईडीए परिसर में मौजूद रहेंगे। 👉 इस स्कीम में भूमाफियाओं का लंबे समय से कब्जा और लेन-देन चल रहा है। हालांकि, पीड़ितों को जमीन पर कब्जा दिलवाया गया था, फिर भी बोर्ड डरता है कि भूमाफिया इसे गलत तरीके से न हड़प लें। 👉 स्कीम 171 में 13 सोसायटी और 211 निजी जमीनों की कुल 151 हेक्टेयर जमीन शामिल है। जानकारों के अनुसार, स्कीम 171 को खत्म किया जा सकता है और आईडीए नई स्कीम लाकर उसे अपने कब्जे में ले सकता है, जिससे सोसायटी वालों को राहत मिल सकती है और भूमाफियाओं के खेल पर रोक लग सकती है। |
लेकिन यह रास्ता भी है इससे निपटने के लिए
लेकिन इससे निपटने के लिए जानकारों का कहना है कि यह रास्ता भी है कि स्कीम 171 को खत्म किया जाए और सोसायटी वालों को मुक्ति दी जाए। लेकिन इसमें जो निजी जमीन है आईडीए उस पर नई स्कीम लाकर उसे वापस अपने कब्जे में ले ले और बाद में 50-50 फीसदी के रेशो में यहां विकास काम कर 50 फीसदी जमीन लौटा दे। इससे सोसायटी वालों को राहत मिलेगी वहीं भूमाफियाओं के खेल पर भी काफी हद तक रोक लग सकेगी।
13 सोसायटी व निजी की 151 हेक्टेयर जमीन है
स्कीम 171 में 13 सोसायटी के साथ 211 निजी स्वामित्व की भी कुल 151 हेक्टेयर जमीन है जो मुक्त होना है। इसमें पीड़ितों की संख्या करीब छह हजार प्लाट धारक है। सोसायटी में देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था, इंदौर विकास गृह निर्माण संस्था, मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था, मारूति गृह निर्माण संस्था, सन्नी को आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी , रजत गृह निर्माण संस्था, संजना गृह निर्माण संस्था, अप्सरा गृह निर्माण संस्था, न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था, श्रीकृपा गृह निर्माण सहकारी संस्था आदि है।
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